कोच्चि : केरल के कासरगोड की रहने वाली 23 साल की आथिरा ने धर्म परिवर्तन कराये जाने की एक ऐसी खौफनाक कहानी सुनायी है, जो किसी को भी अंदर से हिला दे. आथिरा ने यह कहानी टाइम्स ग्रुप से बयान की है. 10 जुलाई को अस्पताल के लिए घर से निकली आथिरा तब लौट कर घर नहीं आयी. इसके बदले उसका 15 पन्नों का लंबा पत्र परिवारवालों को मिला, जिसमें उसने इस्लाम अपनाने की बात कही थी. इतना ही नहीं उसने अपने मामा को फोन कर कहा था कि वह अब शांति की खोज में जा रही है, लेकिन अथिरा एक बार फिर हिंदू धर्म में वापस आ चुकी है और परिवार के साथ रह कर उसकी यह धारणा बनी है कि लोगों को दरअसल अपने धर्म की पूरी जानकारी नहीं होती है, ऐसे में वे दूसरे धर्म की ओर आकर्षित होते हैं. इस दौरान आथिरा को जाकिर नाइक जैसे लोगों का भाषण और हिंदू धर्म की बुराईयां का बखान सुनना पड़ा. इस दौरान भुगती गयी मानसिक पीड़ा की दास्तां उसने स्वयं साझा की है.
आथिरा के इस कदम के बाद उसके माता-पिता ने हाइकोर्ट का दरवाजा खटखटाया. कोर्ट ने अाथिरा को वापस परिवार वालों को रखने की इजाजत तो दे दी, लेकिन शर्त लगायी कि उसे इस्लाम की पढाई जारी रखने दी जाएगी और जबरन हिंदू धर्म अपनाने को बाध्य नहीं किया जाएगा.
अब आथिरा स्वेच्छा से फिर हिंदू धर्म में लौट चुकी हैऔर कहती है कि उसे अपनी गलती का अहसास हुआ. उसने बताया कि हिंदू धर्म के खिलाफ उसे बहकाया गया है और खामियां गिनायी गयीं. उससे कहा जाता था कि पत्थर की पूजा कर कैसे मदद की उम्मीद करती हो? इस दौरान उसे जाकिर नाइक के भाषण सुनाये जाते थे, जिसमें सारे धर्म की आलोचना होती थी और सिर्फ इस्लाम की तारीफ होती थी. इससे उसे लगता कि इस्लाम ही सर्वश्रेष्ठ है. उसे नरक की एक किताब दी गयी, जिसे वह डरावनी बताती है और कहती है कि उसे लगा कि इसमें कही गयी बातें सच होंगी.
इस दौरान वह सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया एसडीपीआइ और पापुलर फ्रंट ऑफ इंडिया पीएफआइ के संपर्क में आयी. सिराज नामक एक युवक पापुलर फ्रंट ऑफ इंडिया का कार्यकर्ता था और उसके दोस्त का रिश्तेदार था. एसडीपीटी एवं पीएफआइ के कार्यकर्ताओं ने उसका पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कराया, जिसके बाद वह अपने माता-पिता से मिल सकी.