विस्तार लेते आईओटी से पैदा होगा एक करोड़ रोजगार
ऑटोमेशन में तेजी से हो रही बढ़ोतरी में आईओटी यानी इंटरनेट ऑफ थिंग्स की बड़ी भूमिका मानी जाती है. ऑटोमेशन अब तक बड़े उद्योगों व सर्विस सेक्टर में ही लागू हो पाया है. लेकिन, धीरे-धीरे नयी तकनीकों के साथ आने से इसका दायरा बढ़ रहा है और भविष्य में ज्यादा-से-ज्यादा चीजें इससे जुड़ेंगी, जिससे यह […]
ऑटोमेशन में तेजी से हो रही बढ़ोतरी में आईओटी यानी इंटरनेट ऑफ थिंग्स की बड़ी भूमिका मानी जाती है. ऑटोमेशन अब तक बड़े उद्योगों व सर्विस सेक्टर में ही लागू हो पाया है. लेकिन, धीरे-धीरे नयी तकनीकों के साथ आने से इसका दायरा बढ़ रहा है और भविष्य में ज्यादा-से-ज्यादा चीजें इससे जुड़ेंगी, जिससे यह अर्थव्यवस्था का इंजन भी बन सकता है.
हालांकि, इससे कुछ मौजूदा नौकरियों पर जरूर संकट पैदा होगा, लेकिन इससे नये कारोबारों की राह खुलेगी, जिससे रोजगार के नये मौके पैदा होंगे. आईओटी से कैसे होगा आर्थिक बदलाव और इससे संबंधित विविध पहलुओं को रेखांकित कर रहा है
आज का साइंस टेक पेज …
पिछले कुछ वर्षों से भारत को दुनियाभर में आइटी आउटसोर्सिंग की राजधानी के रूप में माना जाता रहा है. लेकिन, बदलते आर्थिक, राजनीतिक और भौगोलिक परिदृश्य में पिछले कुछ समय से इसमें मंदी के संकेत दिख रहे हैं. खासकर आईटी सर्विसेज सेक्टर में नयी नौकरियां पैदा नहीं हो पा रही हैं और इसे अनेक प्रकार की नयी चुनौतियों व तकनीकों से संघर्ष करना पड़ रहा है. ऐसे समय में, जरूरत इस बात की है कि मौजूदा और आनेवाली प्रतिभाओं को नये डोमेन में तैयार करना होगा.
खासकर आईओटी यानी इंटरनेट ऑफ थिंग्स, ऑटोमेशन और बिग डाटा से जुड़े ट्रेनिंग के मामले में इसे ज्यादा असरदार, समसामयिक और उन्नत बनाना होगा, ताकि भविष्य में औद्योगिक कार्यकलाप के ढांचे में इसे सेट किया जा सके. अच्छी खबर यह है कि भारत में आईओटी स्पेस में व्यापक विस्तार हो रहा है और करीब 65 फीसदी भारतीय स्टार्टअप इसी आधार पर काम करते नजर आयेंगे. इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी इंडिया द्वारा आयोजित आईओटी इंडिया कांग्रेस 2017 (दूसरे संस्करण) के दौरान अपने संबोधन में टेलीकॉम सेक्रेटरी अरुणा सुंदरराजन ने कहा कि सरकार इनके रेगुलेशन के लिए मशीन-टू-मशीन कम्युनिकेशन के जरिये ऐसे रास्ते तलाश रही है, ताकि रोजगार के नये मौके पैदा करने से जूझ रहे आईटी सेक्टर में नयी जान फूंकी जा सके और अर्थव्यवस्था को तेजी प्रदान करने में यह मददगार साबित हो.
रोजगार का इंजन
भारतीय सिलिकॉन वैली में पायी जा रही नयी चुनौतियों के मद्देनजर सुंदरराजन का कहना है, ‘बेंगलुरु और अन्य जगहों पर भारतीय आईटी उद्योग के लिए यह बड़ी चुनौती रही है कि नयी तकनीकों को लागू करते हुए कैसे इन्हें सुधारा जा सके. हमें इस बात का पूरा भरोसा है कि देश में हम एक से डेढ़ करोड़ तक नये रोजगार पैदा कर सकते हैं.’
स्टार्टअप से रोजगार
इस मामले में एक नयी बात यह होगी कि रोजगार के ये मौके बड़ी कंपनियों द्वारा नहीं, बल्कि डायग्नोस्टिक्स, स्पोर्ट्स वीयरेबल्स, वाटर मैनेजमेंट और पारंपरिक किस्म की अनेक समस्याओं का नये तरीके से समाधान तलाशने वाले स्टार्टअप्स के जरिये होगा. साथ ही इस प्रकार के अनेक क्षेत्रों ने नये अवसर पैदा हो सकते हैं, जिनसे जुड़े स्टार्टअप्स में नये रोजगार पैदा हो सकते हैं.
आईओटी स्पेस से बढ़ती उम्मीदें
इसमें बढ़ोतरी के लिए बाजार के प्रमुख सूत्रधार ये चीजें होंगी :
– आईओटी आधारित स्टार्टअप्स
– सरकार की समर्थनकारी पहल
– स्मार्ट एप्लीकेशंस की बढ़ती स्वीकार्यता
– अधिकांश आबादी तक स्मार्टफोन व संबंधित तकनीकों की आसान पहुंच
– इंटरनेट का बढ़ता घनत्व.
बदलाव की मुहिम
हाल ही में कुपोला टेक्नोलॉजीज को अधिग्रहित करनेवाले पीपल प्रैक्टिसेज एट हैपिएस्ट माइंड्स टेक्नोलॉजीज के डायरेक्टर सचिन खुराना का कहना हैं, ‘स्थापित आईटी कंपनियों और टेलीकॉम सेक्टर के बढ़ते हितों और स्टार्टअप्स के लिए बेहतर प्लेटफॉर्म और इकोसिस्टम के निर्माण के मद्देनजर आईओटी का दायरा परिपक्व हो रहा है. लेकिन, बदलाव के वास्तविक कारक आईओटी टीम या बनाये जा रहे प्लेटफॉर्म की संख्या होगी, बल्कि उनके द्वारा प्रभावी और कम लागत में की जाने वाली समस्याओं का समाधान होंगी.’
इन क्षेत्रों में होगा आईओटी का व्यापक इस्तेमाल
– स्मार्ट होम्स – अक्षय ऊर्जा – ट्रांसपोर्टेशन – लोजिस्टिक्स
प्रभावी भूमिका में हैं भारतीय कंपनियां
एचएफएस नामक एक रिसर्च फर्म ने पिछले वर्ष जारी अपनी एक रिपोर्ट में यह आशंका जतायी थी कि भारत के आईटी सर्विसेज इंडस्ट्री में जारी ऑटोमेशन के कारण आगामी पांच वर्षों में अपेक्षाकृत कम कुशलता वाले करीब 6.4 लाख जॉब खत्म हो जायेंगे.
हालांकि, इतनी तादाद में जॉब्स भले ही खत्म हो जायेंगे, लेकिन मौजूदा ट्रेंड यह दर्शा रहे हैं कि आईओटी के इस्तेमाल से इसकी भरपाई की जा सकती है. रिपोर्ट में बताया गया है कि आईओटी को अपनाने के कारण इस क्षेत्र में भारतीय कंपनियों की हिस्सेदारी में व्यापक पैमाने पर बढ़ोतरी हो सकती है.
15 अरब डॉलर का भारतीय बाजार
नैसकॉम की एक अध्ययन रिपोर्ट में कुछ इसी तरह के विचार दर्शाये गये हैं, जिसमें वर्ष 2020 तक भारतीय आईओटी बाजार के 15 अरब डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद जतायी गयी है, जो वैश्विक बाजार का करीब पांच फीसदी तक होगा.
विशेषज्ञ की राय
आईओटी का हमारे देश के आर्थिक परिदृश्य पर व्यापक असर पड़ने वाला है. अच्छी बात यह है कि इससे नये कारोबारी मौके पैदा होंगे, जिससे रोजगार के नये अवसर सृजित होने की राह बनेगी. आईओटी इंडिया कांग्रेस के जरिये इस उद्योग से जुड़े सभी साझेदारों को एक मंच पर लाया जा रहा है, ताकि इस संबंध में मौजूदा और संभावित चुनौतियों से मिल-जुलकर सक्षम तरीके से निबटा जा सके.
शेखर सान्याल, कंट्री हेड एंड डायरेक्टर, आईईटी इंडिया
पर्यावरण अनुकूल स्मार्ट सिटी
जुलाई, 2015 में भारतीय अर्थव्यवस्था का आकार दो खरब डॉलर था, जबकि वर्ष 2025 तक इसके पांच खरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान व्यक्त किया गया है. इसमें आईओटी, मशीन लर्निंग आदि सेक्टर की हिस्सेदारी सबसे ज्यादा बढ़ने की उम्मीद जतायी गयी है.
विश्व की टॉप प्रोफेशनल सर्विसेज फर्म पीडब्ल्यूसी का अनुमान है कि वर्ष 2020 तक भारत के अलावा चीन और मध्य पूर्व एशियाई देशों में अनेक नये शहरों का निर्माण किया जायेगा, जिनमें पर्यावरण-अनुकूल तकनीकों का इस्तेमाल किया जायेगा, ताकि पर्यावरण से जुड़ी समस्याओं को कम किया जा सके.
इसके लिए सरकार और निवेश करनेवाले, दोनों मिलकर इनोवेटिव इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करेंगे. आंध्र प्रदेश में अमरावती नामक नयी सिटी को इसी तर्ज पर बसाया जायेगा. ऐसे में इंफ्रास्ट्रक्चर और कंस्ट्रक्शन सेक्टर में इनोवेटिव, स्मार्ट और सस्टेनेबल समाधान मुहैया कराने के क्रम में व्यापक पैमाने पर रोजगार के मौके पैदा होंगे.
शहरीकरण पर होगा फोकस
बदलते आर्थिक परिदृश्य में देश की अधिकांश आबादी शहरों में बसेगी. नीति निर्माताओं ने इसके कुछ प्रमुख कारक बताये हैं, जो इस प्रकार हैं :
– गांवों में कार्यरत मजदूरों का कृषि से गैर-कृषि सेक्टर की ओर बढ़ता रुझान.
– आधुनिक सुविधाओं के कारण गांवों से शहरों की ओर आबादी का पलायन.
– सस्टेनेबल सेल्फ-इंप्लॉयमेंट, ताकि रोजगार की दशा में सुधार हो.
– असंगठित क्षेत्र से संगठित क्षेत्र की ओर श्रमिकों का रुख.
5जी से आयेगा बड़ा बदलाव
हालांकि, भारत में अभी 4जी ही चल रहा है, लेकिन उम्मीद जतायी जा रही है कि जल्द ही 5जी की शुरुआत की जा सकती है. ऐसे में आईओटी को और गति मिलेगी, जिससे ऑटोमेशन आधारित कारोबारों में ज्यादा तेजी आयेगी. टेलीकॉम मंत्रालय की एक रिपोर्ट के हवाले से ‘इकोनोमिक टाइम्स’ की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि आगामी कुछ माह में 5जी का परीक्षण शुरू होगा.