13.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

बर्थ डे स्पेशल : सच साबित हो रही है मनमोहन सिंह की भविष्यवाणी

नयी दिल्ली : नोटबंदी के दौरान संसद में बोलते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि ‘कोई रेनकोट पहनकर बाथरूम में नहाना मनमोहन सिंह से सीखें. इसे बिडंबना ही कहिए की संसद में इस तीखी टिप्पणी के पहले मनमोहन सिंह ने नोटबंदी के बारे में जो कुछ भी कहा वह आज सच साबित होते […]

नयी दिल्ली : नोटबंदी के दौरान संसद में बोलते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि ‘कोई रेनकोट पहनकर बाथरूम में नहाना मनमोहन सिंह से सीखें. इसे बिडंबना ही कहिए की संसद में इस तीखी टिप्पणी के पहले मनमोहन सिंह ने नोटबंदी के बारे में जो कुछ भी कहा वह आज सच साबित होते दिख रही है. मनमोहन सिंह ने कहा था कि सरकार के इस फैसले से भारत के जीडीपी में दो प्रतिशत की गिरावट होगी. नोटबंदी को बेवजह का रोमांच बताते हुए मनमोहन सिंह ने कहा था कि भारत के असंगठित क्षेत्र को जबर्दस्त नुकसान होगा. 8 नवंबर को नोटबंदी के लगभग एक साल पूरे हो जायेंगे और मनमोहन सिंह की भविष्यवाणी सच साबित हो गयी.

मिजाज से प्रोफेसर मनमोहन राजनीति कभी सीख नहीं पाये
मनमोहन सिंह एक बेहद सफल अर्थशास्त्री रहे और प्रधानमंत्री भी बने लेकिन मिजाज से हमेशा प्रोफेसर ही रहे. राजनीति की दुनिया में आकर भी उन्होंने राजनीति नहीं सीखी. शायद ही उन्होंने विपक्षी नेताओं पर कभी तीखी टिप्पणी की हो. इस बात का उन्हें नुकसान भी उठाना पड़ा. बतौर प्रधानमंत्री अपने आखिरी कार्यकाल में उनकी चमक फीकी पड़ने लगी. भारतीय अर्थव्यवस्था को सबसे गहरी समझ रखने मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार, वित्त मंत्री, योजना आयोग के उपाध्यक्ष, और प्रधानमंत्री तमाम बड़े पदों पर रहे.
पढाई के दौरान जगी थी भारतीय अर्थव्यवस्था में रूचि
अर्थशास्त्र से उन्होंने स्नातक किया था लेकिन भारतीय अर्थव्यवस्था में उनकी रूचि उस वक्त से ही बढ़ती गयी जब वह ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में डी फिल करने गये. यहां उन्होंने भारत के निर्यात में थीसीस लिखा " भारतीय निर्यात का प्रदर्शन :1951-1960 , निर्यात की संभावनाएं. भारत सरकार में बतौर सलाहकार के रूप में उन्हें लाया गया था. ललित नारायण मिश्रा जब उद्योग मंत्री रहा करते थे तो उन्हें वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय का सलाहकार बनाया गया था.
मनमोहन सिंह के करियर की सबसे बड़ी सफलता भारत को लाइसेंस व परमिट राज से मुक्त करना है. संसद में उन्होंने बजट पेश के दौरान ऐतिहासिक भाषण देते हुए एक कवि को उद्धृत किया था ‘उस विचार को रोका नहीं जा सकता, जिसका वक्त आ चुका है’. वह दौर भारत के लिए सबसे बुरा वक्त था.भारत के आर्थिक संकट का इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि सरकार के पास आयात करने के लिए मात्र दो सप्ताह के पैसे थे. भारत से बाहर रह रहे अप्रवासी समुदाय भी भारतीय बैंकों से पैसे निकालना शुरू कर दिया था.
नाजुक दौर से गुजर रही अर्थव्यवस्था पर फूंका था जाना
नाजुक दौर से गुजर रहे देश की अर्थव्यवस्था का वह बदलाव का वक्त आ चुका थाऔर मनमोहन सिंह ने यह काम करके दिखा दिया. जिसे भारत की सख्त जरूरत थी. मनमोहन सिंह के वित्त मंत्री बनने की कहानी भी दिलचस्प है. तत्कालीन सरकार ने पहले वित्त मंत्री के लिए उस वक्त के जाने – माने अर्थशास्त्री आइ जी पटेल को ऑफर दिया लेकिन पटेल ने इसे ठुकरा दिया. आइजी पटेल बाद में लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के निदेशक बनाये गये. अपने प्रधानमंत्री के कार्यकाल के दौरान उन्होंने रघुरामराजन समेत कई अन्य अर्थशास्त्रियों को उन्होंने भारत लाया. मनमोहन सिंह ने कहा था कि देश में नये अर्थशास्त्रियों की एक पीढ़ी का तैयार होना जरूरी है. तमाम तरह की कामयाबियों के बाद मनमोहन सिंह का कार्यकाल विवादों से भरा रहा और उनकी छवि एक अच्छे प्रशासक व नेता की नहीं रही.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें