हर वक्त निशाने पर क्यों रहते हैं अरुण जेटली?
भाजपा का सबसे कुलीन चेहरा अरुण जेटली निशाने पर हैं. यशवंत सिन्हा ने इंडियन एक्सप्रेस में लेख लिख कर कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था की हालत खराब है और अब बोलने का वक्त आ चुका है. अगर मैं नहीं बोलता हूं, तो यह राष्ट्र के साथ अन्याय होगा. लेख का शीर्षक ‘I need to speak […]
भाजपा का सबसे कुलीन चेहरा अरुण जेटली निशाने पर हैं. यशवंत सिन्हा ने इंडियन एक्सप्रेस में लेख लिख कर कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था की हालत खराब है और अब बोलने का वक्त आ चुका है. अगर मैं नहीं बोलता हूं, तो यह राष्ट्र के साथ अन्याय होगा. लेख का शीर्षक ‘I need to speak up now’ (मुझे अब बोलना ही होगा) है. इस लेख में खराब अर्थव्यवस्था के लिए जेटली को जिम्मेदार ठहराया गया है. नरेंद्र मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे. तब उनकी छवि एक कारोबार समर्थक मुख्यमंत्री के रूप में थी. लोकसभा चुनाव में प्रचार के दौरान भी मोदी के एजेंडे में आर्थिक मुद्दे सबसे ऊपर थे. अब सरकार अपने वायदों पर खरी नहीं उतर पा रही है तो विपक्ष ही नहीं बल्कि पार्टी के कई नेता भीसवाल उठाने लगे हैं.
मोदी सरकार में भाजपा के सबसे ताकतवर मंत्री अरुण जेटली हैं. यशवंत सिन्हा के पहले सुब्रमण्यम स्वामी भी जेटली पर सवाल उठा चुके हैं. स्वामी ने कहा कि जेटली पेशे से वकील हैं और अर्थशास्त्र की उनकी उतनी समझ नहीं कि वित्त मंत्रालय के लिए फिट बैठें. ध्यान रहे कि पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने अपने पूरे लेख में नरेंद्र मोदी को जिम्मेवार नहीं ठहराया. जबकि नोटबंदी का फैसला नरेंद्र मोदी ने लिया था. ऐसे में हर वक्त जेटली सॉफ्ट टार्गेट बन जाते हैं.
जेटली सरकार के लिए क्यों बन जाते हैं जरुरी
कई राजनीतिक टिप्पणीकारों का मानना है कि गुजरात दंगे के बाद नरेंद्र मोदी से इस्तीफा लेने के लिए जेटली को भेजा गया था. मोदी के पार्टी में उदय के साथ ही जेटली उनके करीब होते चले गये. हालांकि सुषमा स्वराज और राजनाथ सिंह मोदी कैबिनेट में जेटली की तरह बड़े मंत्रालय को संभालते हैं, लेकिन सरकार में उनका वैसा प्रभाव नहीं दिखता जैसा जेटली का.जानकारों का भी मानना है कि मौजूदा सरकार में मोदी और शाह के लिए जेटलीअपने बौद्धिक कौशल, तार्किकता, गहरी कानूनी एवं तकनीकी जानकारी के आधार पर एक जरूरत बन चुके हैं.
अरुण जेटली दिल्ली में पले – बढ़े हैं. शानदार कम्यूनिकेशन स्किल और अच्छी अंग्रेजी की वजह से दिल्ली के अभिजात वर्ग के लोगों के बीच उनकी अच्छी पकड़ है. वे लंबे वक्त से पार्टी का प्रवक्ता रह चुके हैंऔर वह शासन की नब्ज को भी समझते हैं लेकिन उन्होंने आज तक कहीं भी चुनाव नहीं जीता है. यह बात उनके खिलाफ जाती है. उनकी छवि एक जननेता के रूप में नहीं बन पायी. वहीं कुछलोग मानते हैं कि जैसे हर टीम में एक ऑलराउंडर की जरूरत होती है. जेटली की भूमिका भी मौजूदा सरकार में ऑलराउंडर की है.
भाजपा के प्रणब मुखर्जी हैं जेटली
प्रणब मुखर्जी कांग्रेस पार्टी में संकटमोचक की भूमिका में दिखे थे. उन्होंने वित्त मंत्री, रक्षा मंत्री जैसे कई पद संभाले थे लेकिन बतौर वित्त मंत्री उनका कार्यकाल ज्यादा सफल नहीं रहा. एक अच्छे मैनेजर के रूप में कांग्रेस को कई बार संकटों से निकाला.
जयंत सिन्हा को हाशिये में किया
जयंत सिन्हा वित्त राज्य मंत्री थे लेकिन उन्हें नागरिक उड्डयन जैसा मंत्रालय दिया गया. दुनिया के बेहतरीन शिक्षण संस्थानों से पढ़ाई कर चुके और वैश्विक अर्थव्यवस्था का व्यापक अनुभव रखने वाले शख्स का तबादला कम महत्व वाले मंत्रालय में करना बहुत से अर्थशास्त्रियों की समझ से बाहर था. दिल्ली की राजनीति में जेटली से टकराने वाले भाजपा नेताओं का उदय मुश्किल हो जाता है.