नयी दिल्ली : पाकिस्तान के कब्जेवाले कश्मीर (पीओके) में भारतीय सेना के सर्जिकल स्ट्राइक के एक साल पूरे हो चुके हैं. 27-28 सितंबर, 2016 की रात हुई इस कार्रवाई ने पूरी दुनिया को पहली बार यह संदेश दिया कि सीमा पार आतंकवाद पर भारत का रूख सॉफ्ट कतई नहीं है. इस कार्रवाई पर पत्रकार नितिन ए गोखले की किताब ‘सिक्योरिंग इंडिया द मोदी वे: पठानकोट, सर्जिकल स्ट्राइक्स एंड मोर’ का विमोचन उप-राष्ट्रपति शुक्रवार को नयी दिल्ली में करेंगे. ब्लूमबर्ग पब्लिशिंग इंडिया ने किताब को प्रकाशित किया है.
पुस्तक में कहा गया कि 18 सितंबर, 2016 को उत्तरी कश्मीर के उड़ी शहर में सुबह भारी हथियारों से लैस आतंकवादियों ने एक बटालियन मुख्यालय पर हमला कर दिया, जिसमें 17 जवान शहीद हो गये और 19 अन्य घायल हो गये. सेना के मनोबल को बढ़ाने और घाटी पार से होनेवाले घुसपैठ को रोकने के लिए दबाव बढ़ रहा था. इसी दबाव के बीच सर्जिकल स्ट्राइक की रणनीति बनी.
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23 सितंबर 2016 को प्रधानमंत्री अपने सभी रूटीन कार्यों और मीटिंग को निपटाकर सुरक्षा सलाहाकार अजित डोभाल के साथ रात के 11 बजे पैदल साउथ ब्लॉक पहुंचे. वहां पहले से रक्षा मंत्री परिकर और आर्मी चीफ दलबीर सुहाग थे. मीटिंग में सभी पक्षों पर सावधानीपूर्वक विचार किया गया, जिसमें एक बात तो निश्चित हो गयी थी कि अटैक कब और कैसे करना है. निगरानी का जिम्मा प्रधानमंत्री के पास था.
भारत की तरफ से रात 12.30 बजे कमांडोज को हवाई मार्ग से एलओसी के 500 मीटर अंदर उतारा गया, जहां से वह 2 किलोमीटर अंदर तक घुसे. सुबह 4.30 बजे तक यह ऑपरेशन चला. भारतीय सेना के कमांडोज ने आतंकवादियों के 7 लॉन्च पैड को नष्ट कर दिया. 38 आतंकवादी मारे गये. भारत की ओर से हमला होने के बाद लॉन्च पैड की सुरक्षा में जुटे दो पाकिस्तानी सैनिक भी मारे गये.