नयी दिल्ली: अर्थव्यवस्था की मौजूदा हालत के लिये वित्त मंत्री अरुण जेटली पर हमला करके राजनैतिक तूफान खड़ा कर चुके भाजपा के वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा ने गुरुवारको कहा कि अर्थव्यवस्था की हालत पर चर्चा के लिए उन्होंने पिछले साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात का समय मांगा था, लेकिन उन्हें समय नहीं मिला. उन्होंने राष्ट्रीय टेलीविजन चैनलों से कहा, मैंने पाया कि मेरे लिए दरवाजे बंद थे. इसलिए, मेरे पास (मीडिया में) बोलने के अलावा कोई विकल्प नहीं था. मुझे विश्वास है कि मेरे पास (प्रधानमंत्री को देने के लिए) उपयुक्त सुझाव हैं. अर्थव्यवस्था की हालत के लिए वित्त मंत्री अरुण जेटली की उनकी आलोचना को सरकार द्वारा नकारे जाने से बेपरवाह भाजपा के वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा गुरुवारको अपनी बात पर कायम रहे और उम्मीद जतायी कि केंद्र अपनी आर्थिक नीतियों की दिशा में बदलाव करेगा.
सिन्हा ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह या पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी चिदंबरम जैसे लोग जिन्हें वित्तीय मामलों पर विशेषज्ञ माना जाता है, अगर बोलें तो उस समय की सरकार को उसे सुनना चाहिए. उन्होंने उन लोगों की राय को राजनैतिक शब्दाडंबर के तौर पर खारिज किये जाने के खिलाफ सलाह दी. भाजपा नेता ने पूर्ववर्ती संप्रग सरकार का नाम लिये बिना कहा कि केंद्रीय परियोजनाओं के लचर कार्यान्वयन के लिए उसे जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता, क्योंकि राजग पिछले 40 महीने से सत्ता में है.
यह पूछे जाने पर कि क्या असंतोष की वजह से उन्होंने सरकार की आलोचना की तो सिन्हा ने पलटकर कहा कि यह सबसे घटिया आरोप है जो उनपर लगाया जा सकता है. उन्होंने जोर दिया कि वह तकनीकी रुप से भाजपा के सदस्य हैं और पार्टी ने मुझे बाहर नहीं किया है. सिन्हा के पुत्र केंद्रीय नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री जयंत सिन्हा ने सरकार की आर्थिक नीतियों का जोरदार बचाव किया. सरकार का अपने पुत्र द्वारा किये गये बचाव का उल्लेख करते हुए सिन्हा ने कहा कि वह जानना चाहते हैं कि अगर उनके द्वारा उठायी गयी चिंताओं का जवाब देने में जयंत इतने ही सक्षम हैं तो उन्हें वित्त मंत्रालय से क्यों हटाया गया. जयंत ने सरकार की आर्थिक नीतियों का गुरुवार को एक अंग्रेजी दैनिक में प्रकाशित लेख में बचाव किया. उन्हें पिछले साल जुलाई में वित्त राज्य मंत्री के पद से हटाकर नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री बनाया गया था.
उन्होंने कहा, आर्थिक संवृद्धि दर में तिमाही दर तिमाही गिरावट आ रही है. मैंने तब बोलने का फैसला किया जब अर्थव्यवस्था में समस्या में वृद्धि हो रही है. मुझे उम्मीद है कि सरकार अब भी पैदा हुए हालात में सुधार के लिये कदम उठायेगी. सिन्हा ने कहा कि उन्होंने निजी द्वेष की वजह से ये मुद्दे नहीं उठाये हैं. उन्होंने कहा कि एक अग्रणी अंग्रेजी दैनिक में लेख के जरिये अर्थव्यवस्था के बारे में चिंताओं को उजागर करने के पीछे का उद्देश्य सार्वजनिक पटल पर कुछ मुद्दों को लाना था ताकि सरकार अपनी दिशा में सुधार करे. सिन्हा ने कहा कि उन्होंने उम्मीद नहीं की थी कि उनका लेख इतना हंगामा खड़ा कर देगा. उनकी राय की जयंत द्वारा आलोचना किये जाने का जवाब देते हुए 84 वर्षीय पूर्व आइएएस अधिकारी ने कहा कि सिर्फ संबंधित मंत्री या सरकार के प्रवक्ता को उसपर टिप्पणी करनी चाहिए थी.
उन्होंने कहा, लेकिन अगर वे (सरकार) मानते हैं कि वह (जयंत) मेरे द्वारा उठाये गये मुद्दों का जवाब देने में बेहद सक्षम हैं तो मेरा सवाल है कि उन्हें वित्त मंत्रालय से क्यों हटाया गया. सिन्हा ने कहा कि वह और उनके पुत्र अपना-अपना धर्म निभा रहे हैं. उन्होंने कहा कि इसे पिता और पुत्र के बीच मुद्दे के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए.
सिन्हा ने कहा, अगर किसी ने उनसे (जयंत से) लेख लिखने को कहा है तो यह घटिया चाल है. मैंने उनसे (इस मुद्दे पर) बातचीत नहीं की है. (वाकई क्या हुआ) इसे जानने के लिए, किसी समय उनसे बातचीत करूंगा. सिन्हा अटल बिहारी वाजपेयी नीत राजग-1 सरकार में वित्त मंत्री थे. उन्होंने कहा कि पूर्ववर्ती संप्रग सरकार में नीतिगत अपंगता और भ्रष्टाचार की वजह से परियोजनाएं आगे नहीं बढ़ी. उन्होंने कहा कि भाजपा नीत राजग सरकार के तीन साल से अधिक समय बीत जाने के बाद इस बात की उम्मीद थी कि हालात में सुधार होगा.
उन्होंने कहा, हम कुछ हद तक (परियोजनाओं पर) आगे बढ़ें, लेकिन वांछित रफ्तार से आगे नहीं बढ़े. और, हम 40 महीने तक सरकार में रहने के बाद इसके लिये पूर्ववर्ती सरकार को जिम्मेदार नहीं ठहरा सकते. नागर विमानन राज्य मंत्री जयंत सिन्हा ने अपने पिता के लेख का वस्तुत: उल्लेख करते हुए कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था के सामने चुनौतियों पर कई लेख लिखे जा चुके हैं. उन्होंने कहा, दुर्भाग्यवश ये लेख कुछ संकीर्ण तथ्यों से व्यापक निष्कर्षों को रेखांकित करते हैं. उन्होंने कहा, एक या दो तिमाही के नतीजों से अर्थव्यवस्था का आकलन करना ठीक नहीं है और चल रहे संरचनात्मक सुधारों के लम्बे समय तक के प्रभाव का मूल्यांकन करने के लिए यह आकड़े अपर्याप्त हैं. जयंत ने कहा कि ये संरचनात्मक सुधार केवल वांछनीय नहीं है, बल्कि इनकी जरुरत एक न्यू इंडिया के निर्माण और बेहतर नौकरियां उपलब्ध कराने के लिए है.
उन्होंने कहा, नयी अर्थव्यवस्था अधिक पारदर्शी, वैश्विक रूप से प्रतिस्पर्धी और इनोवेशन आधारित होगी तथा नयी अर्थव्यवस्था और भी अधिक न्यायोचित होगी जिससे सभी भारतीयों को बेहतर जीवन मिलेगा. जयंत ने दावा किया कि वर्ष 2014 से मोदी सरकार द्वारा शुरु किये गये संरचनात्मक सुधारों से सुधारों का तीसरा चरण शुरू हुआ. इससे पहले वर्ष 1991 में और दूसरा चरण 1999-2004 राजग सरकार में हुआ था. उन्होंने कहा, हम मजबूत अर्थव्यवस्था का निर्माण कर रहे है जिससे न्यू इंडिया के लिए लंबी अवधि के लिए फायदा होगा और रोजगार के अवसरों का सृजन होगा.