सावधान! स्टेशन जाने से पहले अपना टिकट जांच लें, कहीं कन्फर्म टिकट वेटिंग लिस्ट में या रद्द तो नहीं हो गया?

नयीदिल्ली : रेल यात्री सावधान! खबर है कि रेलवे में एक नये तरह का खेल चल रहा है. आपके कन्फर्म टिकट को वेटिंग लिस्ट में डालने का खेल. यह रेलवे का खेल है, IRCTC का या टिकट दलालों का, इसका खुलासा अभी नहीं हो पाया है, लेकिन इस तरह की कारस्तानी से रेल यात्री परेशान […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 1, 2017 12:30 PM

नयीदिल्ली : रेल यात्री सावधान! खबर है कि रेलवे में एक नये तरह का खेल चल रहा है. आपके कन्फर्म टिकट को वेटिंग लिस्ट में डालने का खेल. यह रेलवे का खेल है, IRCTC का या टिकट दलालों का, इसका खुलासा अभी नहीं हो पाया है, लेकिन इस तरह की कारस्तानी से रेल यात्री परेशान हैं. पता चला है कि रेल यात्रियों के साथ कुछ गड़बड़ी हो रही है. परेशानी टिकट की वजह से हो रही है. उत्तर रेलवे के मुख्य प्रवक्ता नीरज शर्मा कहते हैं कि कोच उपलब्धनहो,तोऐसी दिक्कतें आती हैं. लेकिन, इस बात का कोई जवाब नहीं दे रहा कि जब रेलवे के पास कोच नहीं हैं और टिकट रेलवे ने रद्द किये हैं, तो उसकी भरपाई यात्री क्यों करे? उसके टिकट के पैसे में कटौती क्यों की जा रही है?

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बहरहाल, मुश्किल यह है कि आपका कन्फर्म टिकट यदि वेटलिस्ट में पाया जाता है और आप टिकट कैंसिल करवाते हैं, तो टिकट वापसी में भारी भरकम राशि की कटौती कर ली जाती है. एक हिंदी वेबपोर्टल के मुताबिक, सिद्धार्थ दीक्षित की योजना 30 सितंबर को नयी दिल्ली से अमृतसर जाने की थी. अमृतसर-शताब्दी एक्सप्रेस में टिकट कटवाया था. 29 सितंबर को टिकट कन्फर्म हो गया. लेकिन, यात्रा के दिन यानी 30 सितंबर को तड़के उन्हें रेलवे से संदेश आया कि उनका टिकट वेटिंग लिस्ट में है.

सिद्धार्थ चौंके. ऐसा भला कैसे हो सकता है? वेटिंग लिस्ट की टिकट कन्फर्म होती है, कन्फर्म टिकट वेटिंग लिस्ट में कैसे जा सकती है? भागे-भागे स्टेशन पहुंचे. नयी दिल्ली रेलवे स्टेशन की 65 नंबर खिड़की से उन्हें सिर्फ इतना बताया गया कि ट्रेन में कोच कम हैं, इसीलिए उनके टिकट को प्रतीक्षा सूची में डाला गया है.

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सिद्धार्थ स्टेशन मास्टर के पास पहुंचे. स्टेशन मास्टर ने उन्हें बताया कि इस बारे में उन्हें कुछ नहीं मालूम. बाद में उन्हें बताया गया कि उनका टिकट रद्द कर दिया गया है. इसकी भी कीमत सिद्धार्थ को ही चुकानी पड़ी. उन्होंने 2,005रुपये खर्च कर टिकट बुक करायेथे. उन्हें वापस मिले महज 1,245 रुपये.

सिद्धार्थ इकलौते रेल यात्री नहीं हैं, जिन्हें रेलवे का यह सितम सहना पड़ा. उनके जैसे कई और भी लोग हैं, जिन्हें रेलवे की वजह से परेशानी तो झेलनी ही पड़ी, खून-पसीने की गाढ़ी कमाई का बड़ा हिस्सा भी रेलवे ने उनसे जबरन ले लिया.

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इस संबंध में उत्तर रेलवे के मुख्य प्रवक्ता नीरज शर्मा कहते हैं कि कोच उपलब्धनहो,तोऐसी दिक्कतें आती हैं. आमतौर पर अतिरिक्त कोच लगाकरशेष यात्रियों का भी समाधान कर दिया जाता है, लेकिन शनिवार को कोच उपलब्ध नहींथा, इसलिए यात्रियों कोऐसीपरेशानी झेलनी पड़ी. उन्होंने कहा कि आगे ऐसी दिक्कत न हो, इसके लिए जरूरी निर्देश देदियेगये हैं. साथ ही यह भी सुनिश्चित करने को कहा गया है कि जितने नियमित कोच हों, उतने ही टिकट बुक किये जायें.

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