Doklam effect ? नहीं हुई भारत और चीन के बीच औपचारिक सीमा बैठक
नयी दिल्ली : डोकलाम में भले ही भारतीय और चीनी सेना के बीच के मामला सुलझ गया हो लेकिन अभी भी दोनों देशों के बीच सबकुछ ठीक नहीं है. रणनीतिक प्रयासों से डोकलाम में दोनों देशों का स्टैंडऑफ तो खत्म हुआ लेकिन इसका असर अभी भी दोनों की सेनाओं के बीच साफ तौर पर देखा […]
नयी दिल्ली : डोकलाम में भले ही भारतीय और चीनी सेना के बीच के मामला सुलझ गया हो लेकिन अभी भी दोनों देशों के बीच सबकुछ ठीक नहीं है. रणनीतिक प्रयासों से डोकलाम में दोनों देशों का स्टैंडऑफ तो खत्म हुआ लेकिन इसका असर अभी भी दोनों की सेनाओं के बीच साफ तौर पर देखा जा सकता है. इसका सबूत दोनों देशों की सेनाओं के बीच पारंपरिक सीमा बैठक है, जो इस वर्ष नहीं हो पायी.
आपको बता दें कि दोनों देशों की सेनाएं हर साल चीन के राष्ट्रीय दिवस पर 4057 किलोमीटर की वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर पांच चिन्हित जगहों पर बैठक करती हैं लेकिन इस वर्ष चीन के 68वें राष्ट्रीय दिवस पर इस बैठक का आयोजन नहीं किया गया जो चिंता का विषय है.
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सूत्रों की मानें तो पीपल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने पांच बॉर्डर पर्सनेल मीटिंग (बीपीएम) पॉइंट्स (लद्दाख में दौलत बेग ओल्डी और चुशूल, अरुणाचल में बमला और किबिथू और सिक्किम में नाथूला) पर एक अक्टूबर को औपचारिक बैठक का निमंत्रण भेजा ही नहीं. सूत्र के अनुसार इसके अलावा भारतीय सेना और पीएलए के बीच होने वाली हैंड-इन-हैंड एक्सरसाइज के 7वें संस्करण को लेकर भी बात अग्रसर नहीं है. इस बार यह एक्सरसाइज अक्टूबर महीने में चीन में आयोजित होने वाली है.
सूत्रों की मानें तो दोनों देश सिक्किम-भूटान-तिब्बत के ट्राई जंक्शन पर अपने उच्च सैन्य बल के स्तर को बनाए हुए हैं. यहां उल्लेख कर दें कि कूटनीतिक प्रयासों की मदद से डोकलाम में 73 दिन तक चले गतिरोध को समाप्त किया गया था. दोनों देशों की सेनाएं डोकलाम से तो पीछे हट चुकीं हैं लेकिन ट्राई जंक्शन पर अपनी मौजूदगी को उच्च स्तर पर बनाए हुए हैं.
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ऐसे कयास लगाये जा रहे हैं कि यह हालात तबतक बने रहेंगे जबतक 18 अक्टूबर को चाइनीज कम्युनिस्ट पार्टी के 19वें पार्टी कांग्रेस में राष्ट्रपति शी चिनफिंग फिर से सत्ता में नहीं लौट आते.