चेन्नईः मद्रास हार्इकोर्ट पूर्व मुख्यमंत्री जे जयललिता की मौत की जांच के लिए तमिलनाडु सरकार द्वारा गठित एक जांच आयोग को चुनौती देने वाली एक याचिका पर बुधवार को सुनवाई करेगा. मुख्य न्यायाधीश इंदिरा बनर्जी एवं न्यायमूर्ति एम सुंदर की सदस्यता वाली एक पीठ ने मंगलवार को कहा कि वे बुधवार को इस विषय की सुनवाई करेंगे. दरअसल, वरिष्ठ अधिवक्ता केएम विजयन ने अन्नाद्रमुक के एक सदस्य द्वारा दायर एक जनहित याचिका (पीआईएल) पर विचार करने का विशेष जिक्र किया.
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राज्य सरकार ने हार्इकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश ए अरुमुगसामी के नेतृत्व वाले एक सदस्यीय जांच आयोग का 25 सितंबर को गठन किया था. आयोग का गठन पिछले साल सितंबर में जयललिता के अस्पताल में भर्ती होने की वजह रही परिस्थितियों और उनके इलाज पर गौर करने के लिए किया गया था. याचिकाकर्ता पीए जोसेफ ने दलील दी कि जांच आयोग का गठन कमीशन ऑफ इनक्वायरी एक्ट , 1952 की धारा तीन के तहत अनिवार्य जरूरतों का अनुपालन किये बगैर किया गया.
उन्होंने दलील दी कि इस धारा के मुताबिक इस तरह के जांच आयोग के गठन के लिए सरकार की राय और विधानसभा द्वारा एक प्रस्ताव पारित किये जाने की जरूरत होती है. उन्होंने दावा किया कि इसका गठन सिर्फ सरकार की राय पर किया गया और विधानसभा में कोई प्रस्ताव पारित नहीं कराया गया. याचिकाकर्ता ने कहा कि इस मामले में राज्य की पूरी मशीनरी जयललिता को अस्पताल में भर्ती कराने और पिछले साल पांच दिसंबर को उनकी मौत होने तक उनके इलाज में शामिल थी.
उन्होंने आरोप लगाया है कि जब राज्य सरकार द्वारा आयोग का गठन किया गया, तो इसमें पक्षपात और दबाव होने की पूरी संभावना होगी. मौजूदा आयोग एक स्वतंत्रत जांच नहीं कर पायेगा. जोसेफ ने कहा कि यह उपयुक्त होगा कि केंद्र सरकार एक स्वतंत्र जांच आयोग के लिए कदम उठाये जैसा कि मैंने पहले की रिट याचिका में अनुरोध किया था.