नयी दिल्लीः यशवंत सिन्हा के बाद एक बार फिर भाजपा के अंदर से ही एक बार फिर मोदी सरकार के खिलाफ आवाज उठायी गयी है. अबकी दफा वाजपेयी सरकार के कार्यकाल में केंद्रीय मंत्री रहे अरुण शौरी ने केंद्र की मोदी सरकार हमला किया है. एनडीटीवी को दिये एक साक्षात्कार में अरुण शौरी ने कहा है कि नोटबंदी कालेधन को सफेद करने की सरकार की बड़ी स्कीम थी, जिसके पास भी कालाधन था उसने नोटबंदी में उसे सफेद कर लिया. शौरी ने ये भी कहा है कि बड़े आर्थिक फैसले सिर्फ ढाई लोग लेते हैं, पीएम नरेंद्र मोदी, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और घर के वकील. घर के वकील को लेकर उनका इशारा वित्त मंत्री अरुण जेटली की ओर है.
इससे पहले इसी साल की जनवरी में वाजपेयी सरकार में मंत्री रहे अरुण शौरी ने एक साक्षात्कार में भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा था कि पीएम मोदी का 2014 में समर्थन को अपनी जिंदगी की दूसरी सबसे बड़ी गलती थी. उन्होंने कहा कि राजीव गांधी के खिलाफ वीपी सिंह का समर्थन करना उनके जीवन की पहली सबसे बड़ी गलती थी, तो 2014 में मोदी का समर्थन करना जीवन की दूसरी सबसे बड़ी गलती थी.
अरुण शौरी ने कहा कि नोटबंदी कालेधन को सफेद करने के लिए सरकार की ओर से चलायी गयी सबसे बड़ी स्कीम थी. जिसके पास भी कालाधन था, उसने सफेद कर लिया. रिजर्व बैंक ने कहा कि नोटबंदी के बाद 99 फीसदी पुराने नोट वापस आ गये. मतलब साफ है कि नोटबंदी से कालाधन नष्ट नहीं हुआ.
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जीएसटी पर अरुण शौरी ने कहा कि जीएसटी अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए बड़ा कदम था, लेकिन इसे ठीक से लागू नहीं किया गया. तीन महीने के अंदर सात बार नियम बदले गये. आर्थिक नीति को लेकर बड़े फैसले एक चैंबर में बैठकर सिर्फ ढाई लोग ले रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और घर के एक वकील. घर के एक वकील से अरुण शौरी का इशारा वित्त मंत्री जेटली की ओर था.
अरुण शौरी 1999-2004 के बीच वाजपेयी सरकार में विनिवेश मंत्री रहे. बाल्को पहली सरकारी कंपनी थी, जिसका शौरी के कार्यकाल में विनिवेश हुआ. देश के पहले और आखिरी विनिवेश मंत्री रहे, अभी ये विभाग वित्त मंत्री के पास होता है. साल 1998-2004, 2004-2010 दो बार राज्यसभा के सांसद रहे. अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस के संपादक भी रहे हैं.