सपा के राष्ट्रीय अधिवेशन में आज अध्यक्ष चुने जायेंगे अखिलेश, मुलायम की मिल चुकी सरपरस्ती
आगराः समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव की ओर से आशीर्वाद यानी सरपरस्ती मिलने के दावे के बाद गुरुवार को आयोजित होने वाले सपा के राष्ट्रीय अधिवेशन में अखिलेश यादव के पार्टी अध्यक्ष चुने जाने की संभावना प्रबल है. सपा के 10वें राष्ट्रीय अधिवेशन से पहले गुरुवार को पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक […]
आगराः समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव की ओर से आशीर्वाद यानी सरपरस्ती मिलने के दावे के बाद गुरुवार को आयोजित होने वाले सपा के राष्ट्रीय अधिवेशन में अखिलेश यादव के पार्टी अध्यक्ष चुने जाने की संभावना प्रबल है. सपा के 10वें राष्ट्रीय अधिवेशन से पहले गुरुवार को पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक होगी, जिसमें अध्यक्ष के कार्यकाल की अवधि बढ़ाकर पांच साल करने सहित विभिन्न महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा होगी.
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सपा प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने बताया कि बृहस्पतिवार को होने वाली राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में पार्टी संविधान में संशोधन कर दल के अध्यक्ष का कार्यकाल तीन साल से बढाकर पांच साल किया जाना है. अखिलेश ने पिछले दिनों पिता मुलायम सिंह यादव को राष्ट्रीय अधिवेशन का न्यौता देने के बाद दावा किया था कि उन्हें सपा संरक्षक का आशीर्वाद प्राप्त है. मुलायम ने भी गत 25 सितंबर को संवाददाता सम्मेलन में अखिलेश के विरोधी शिवपाल सिंह यादव के धड़े को झटका देते हुए कहा था कि पिता होने के नाते उनका आशीर्वाद पुत्र के साथ है.
अध्यक्ष का कार्यकाल होगा पूरे पांच साल
इस पृष्ठभूमि में पूरी संभावना है कि अखिलेश को फिर सपा अध्यक्ष चुन लिया जायेगा. कार्यकाल पांच वर्ष का किये जाने के बाद यह तय हो जायेगा कि सपा वर्ष 2019 का लोकसभा चुनाव और 2022 का उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव भी पार्टी अखिलेश के नेतृत्व में लड़ेगी. अखिलेश पिछली एक जनवरी को लखनऊ में आयोजित राष्ट्रीय अधिवेशन में मुलायम की जगह सपा के अध्यक्ष बने थे. उसमें मुलायम को पार्टी का सर्वोच्च रहनुमा बना दिया गया था. साथ ही, शिवपाल को सपा के प्रांतीय अध्यक्ष पद से हटा दिया गया था.
चाचा शिवपाल से रस्साकशी के बीच अखिलेश के पक्ष में हवा
सपा का यह अधिवेशन पार्टी में अखिलेश और शिवपाल धड़ों के बीच जारी रस्साकशी के बीच हो रहा है. फिलहाल, हालात अखिलेश के पक्ष में नजर आ रहा है. ऐसा माना जा रहा था कि खुद को सपा के तमाम मामलों से अलग कर चुके मुलायम 25 सितंबर को लखनऊ में हुए संवाददाता सममेलन में अलग पार्टी या मोर्चे के गठन का एलान करेंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ.
शिवपाल पर अलग राह चुनने का दबाव
मुलायम के सहारे समाजवादी सेक्युलर मोर्चे के गठन की उम्मीद लगाये शिवपाल पर अब अपनी राह चुनने का दबाव है. शिवपाल के करीबियों का कहना है कि सपा के गुरुवार को होने वाले राष्ट्रीय अधिवेशन के बाद वह कोई फैसला ले सकते हैं. पिछली 23 सितंबर को लखनऊ में आयोजित सपा के प्रांतीय अधिवेशन में उन्होंने शिवपाल यादव गुट को बनावटी समाजवादी की संज्ञा देते हुए समर्थक कार्यकर्ताओं बनावटी समाजवादियों के प्रति आगाह किया था.
अखिलेशन ने आठवें अधिवेशन में किया था ये दावा
अखिलेश ने सपा के आठवें प्रांतीय अधिवेशन को संबोधित करते हुए कहा था कि कई बार लोग सवाल उठाते हैं. मैं उनसे यही कहना चाहता हूं कि नेताजी (मुलायम) हमारे पिता तो रहेंगे ही, उनका आशीर्वाद भी बना रहेगा, तो हम समाजवादी आंदोलन को बढ़ायेंगे और नयी ऊंचाइयों तक पहुंचायेंगे. अखिलेश ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के इस्तीफा देने के बाद रिक्त हुई गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव की तैयारियों में जुटने का आह्वान किया था. माना जा रहा है कि इस राष्ट्रीय सम्मेलन में इसकी तैयारियों की रूपरेखा तय हो सकती है.
फिलहाल किसी से गठबंधन की कोई बात नहीं, राहुल गांधी से दोस्ती बरकरार
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने यह भी कहा कि उनकी पार्टी फिलहाल किसी भी दल से गठबंधन करने के बजाय खुद को मजबूत करने पर ध्यान दे रही है. अखिलेश ने सपा के राष्ट्रीय अधिवेशन की पूर्वसंध्या पर आयोजित संवाददाता सम्मेलन में एक सवाल पर कहा कि उनकी राहुल गांधी से दोस्ती बरकरार है और यह आगे भी रहेगी. हालांकि, फिलहाल उनकी पार्टी के किसी के साथ गठबंधन की कोई बात नहीं है. इस वक्त पार्टी का सारा ध्यान खुद को और मजबूत करने पर है.
दूसरी पार्टियों से सम्मान मिलने का अर्थ गठबंधन नहीं
बसपा अध्यक्ष मायावती द्वारा हाल में अपने एक संबोधन में सपा की बुराई नहीं किये जाने के पीछे सपा से गठबंधन की उनकी मंशा के बारे में पूछे जाने पर अखिलेश ने कहा कि क्या अगर कोई सम्मान से बात कर लें, तो आप उसी से गठबंधन की बात निकाल लेंगे. गुजरात समेत कई राज्यों में आसन्न विधानसभा चुनाव में सपा के मैदान में उतरने की सम्भावना के बारे में उन्होंने कहा कि सपा दूसरे प्रदेशों के पार्टी अध्यक्षों से बात करके उनके राज्यों में चुनाव लड़ने पर फैसला करेगी.
ताजमहल को पर्यटन स्थलों से हटाने को लेकर भाजपा पर मुद्दे से भटकाने का आरोप
प्रदेश के पर्यटन विभाग द्वारा हाल में जारी एक पुस्तिका से ताजमहल का नाम नदारद होने को लेकर उठे विवाद पर पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि ताजमहल से बडे पैमाने पर लोगों की रोजी-रोटी जुडी है. ताज भारत की पहचान भी है. यहां हिन्दू मुस्लिम एकता दिखायी देती है. भाजपा जानबूझकर अलग मुद्दे ला रही है, ताकि बाकी महत्वपूर्ण मुद्दों पर बात ही न हो.
नोटबंदी आैर जीएसटी पर तल्ख तंज
नोटबंदी पर उन्होंने तल्ख तंज कसते हुए कहा कि नोटबंदी को लेकर तमाम तरह की बातें की गयीं, लेकिन उस वक्त अर्थशास्त्रियों ने जिन दुष्परिणामों की बात कही थी, वे आज सामने आ रहे हैं. इसके अलावा, जीएसटी ने देश के व्यापार को बरबाद कर दिया है. आज देश के तमाम व्यापारी परेशान हैं.