नयी दिल्ली : दिल्ली की एक अदालत ने एक एचआईवी पीडित और उसकी पत्नी को लूट और घर में सेंध मारने के आरोप में सात साल जेल की सजा सुनाई है.अदालत ने स्वास्थ्य के आधार पर कोई भी रियायत देने से इंकार करते हुए कहा कि इस तरह के अपराध को निश्चित तौर पर रोकने की आवश्यकता है. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश यशवंत कुमार ने जोडे को अपराध का दोषी पाए जाने के बाद भारतीय दंड संहिता की धारा 392 (लूट), 452 (घर में घुसपैठ) और 397 (लूट के साथ हत्या की कोशिश) के तहत जेल की सजा सुनाई.
इसके अलावा अदालत ने एचआईवी पीडित को स्वास्थ्य के आधार पर रियायत देने की याचिका को निरस्त करते हुए प्रत्येक दोषी पर तीन तीन हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया. न्यायाधीश कुमार ने बताया, ‘‘इन दिनों इस तरह के अपराध बढते जा रहे हैं जिस पर रोक लगाने की आवश्यकता है. इसलिए कडी कार्रवाई की जरुरत है.. ऐसे मामलों में कोई भी नरमी बरतने की आवश्यकता नहीं है.’’
पुलिस के मुताबिक, 11 जुलाई 2011 को यह जोडा शिकायतकर्ता के घर में जबरन घुसा और वहां से 8,000 रुपए व अंगूठी लूट ले गए थे. दोषी महिला वहां पहले नौकरानी का काम करती थी. अपराध के दौरान इस जोडे ने शिकायतकर्ता और उसके परिवार वालों पर हमला भी किया था. शिकायत में यह भी बताया गया कि चीख सुनकर पडोसी पीडितों को बचाने के लिए आए थे.महिला को पकड लिया गया लेकिन उसका पति फरार हो गया. हालांकि उसी दिन महिला के पति को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया.सुनवाई के दौरान जोडे ने उन पर लगाए गए आरोपों से इंकार किया था. अदालत ने हालांकि अपने समक्ष प्रस्तुत साक्ष्य पर विश्वास करते हुए दोनों को दोषी ठहराया.