अरविंद केजरीवाल ने विधानसभा में कहा : मैं आतंकवादी नहीं, दिल्ली के हम हैं मालिक

नयी दिल्ली : दिल्ली में अतिथि शिक्षकों को नियमित करने के विधेयक का विरोध करने के लिए उपराज्यपाल अनिल बैजल पर नाटकीय ढंग से प्रहार करते हुए अरविंद केजरीवाल ने कहा है कि मैं एक निर्वाचित मुख्यमंत्री हूं, न कि आतंकवादी. दिल्ली विधानसभा के बुधवार को एक दिवसीय सत्र के दौरान केजरीवाल ने उपराज्यपाल, भाजपा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 5, 2017 11:51 AM

नयी दिल्ली : दिल्ली में अतिथि शिक्षकों को नियमित करने के विधेयक का विरोध करने के लिए उपराज्यपाल अनिल बैजल पर नाटकीय ढंग से प्रहार करते हुए अरविंद केजरीवाल ने कहा है कि मैं एक निर्वाचित मुख्यमंत्री हूं, न कि आतंकवादी. दिल्ली विधानसभा के बुधवार को एक दिवसीय सत्र के दौरान केजरीवाल ने उपराज्यपाल, भाजपा और नौकरशाहों के बीच मिलीभगत होने के आरोप लगाए जिस पर विपक्ष ने सभा से बहिर्गमन किया.

एक बार उन्होंने कहा, दिल्ली के मालिक हम हैं, न कि नौकरशाह. उनके इस बयान का आम आदमी पार्टी के विधायकों ने मेज थपथपाकर स्वागत किया. दिल्ली सरकार के स्कूलों में करीब 15 हजार अतिथि शिक्षकों को नियमित करने के लिए विधानसभा में पेश एक विधेयक पर चर्चा में वह भाग ले रहे थे. विधेयक को सदन में सर्वसम्मति से पारित किया गया.

बैजल ने इसका विरोध करते हुए कहा था कि सेवाओं से संबंधित मामले राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के विधानसभा के विधायी दायरे से बाहर हैं और प्रस्तावित विधेयक संवैधानिक प्रावधानों के मुताबिक नहीं हैं.

केजरीवाल ने आरोप लगाए कि शिक्षकों को नियमित करने से संबंधित फाइल उपराज्यपाल के निर्देश पर अधिकारियों ने कभी भी उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को नहीं दिखाए जिनके पास शिक्षा विभाग भी है.

केजरीवाल ने कहा, इन फाइलों में क्या गोपनीय बातें हैं जो हमें नहीं दिखाई जा सकतीं? मैं एलजी से कहना चाहता हूं कि मैं दिल्ली का निर्वाचित मुख्यमंत्री हूं, न कि आतंकवादी. वह निर्वाचित शिक्षा मंत्री हैं, न कि आतंकवादी. केजरीवाल ने बैजल की इस आपत्ति पर भी सवाल उठाए कि सरकार ने विधेयक पेश करने से पहले कानून विभाग से सलाह नहीं ली.

उन्होंने कहा, लोग विधि सचिव को नहीं चुनते, वे हमें चुनते हैं. देश लोकतंत्र से चलता है, नौकरशाही से नहीं. दिल्ली के हम मालिक हैं. वे (नौकरशाह) हमारे आदेशों का पालन करेंगे. आप के 2015 में सत्ता में आने के बाद से नौकरशाही से उसके रिश्ते अच्छे नहीं हैं, खासकर राजधानी के प्रशासनिक ढांचे के मामले जहां निर्वाचित मुख्यमंत्री से ज्यादा शक्तियां उपराज्यपाल के पास होती हैं.

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