मोदी का समर्थन करने पर तमिल उपन्यासकार को धमकी

चेन्नई : लोकप्रिय तमिल उपन्यासकार आर एन जोए डी क्रूज को भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी की प्रशंसा करने के बाद धमकियां और भडकाउ मेल मिल रहे हैं. उन्होंने गुजरात की मोदी सरकार को चमत्कारी सरकार बताकर उसकी प्रशंसा की थी. साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता और मछुआरों के विषय को उठाने वाले […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 13, 2014 12:23 PM

चेन्नई : लोकप्रिय तमिल उपन्यासकार आर एन जोए डी क्रूज को भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी की प्रशंसा करने के बाद धमकियां और भडकाउ मेल मिल रहे हैं. उन्होंने गुजरात की मोदी सरकार को चमत्कारी सरकार बताकर उसकी प्रशंसा की थी.

साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता और मछुआरों के विषय को उठाने वाले जोए ने बताया कि फेसबुक पर कुछ दिन पूर्व उन्होंने मोदी के समर्थन में पोस्ट डाला था जिसके बाद उन्हें जबर्दस्त विरोध और धमकियों का सामना करना पड रहा है और उन्हें धमकी भरे मेल मिल रहे हैं.

उन्होंने बताया कि उनके पोस्ट के विरोध में लेखन से जुडे कुछ लोगों ने भी चेतावनी भरे मेल भेजे. कुछ ने मुझे धमकी दी कि मेरे लेखन कार्य से जुडा अनुवाद का कार्य मुश्किल में पड़ सकता है. उदाहरण के लिए मेरी आझी सूझ उलागु का अंग्रेजी अनुवाद जो अभी प्रकाशन की प्रक्रिया में है, उसे रोका जा सकता है. कुछ ने मुझे धमकी भरे मेल भी भेजे.

हालांकि जोए इन विरोधों से प्रभावित नहीं हैं. उन्होंने कहा, मोदी को समर्थन करने का फैसला मैंने दिल से लिया है. गुजरात दंगों को लेकर मोदी पर अल्पसंख्यक विरोधी होने और दंगों के दौरान उनके द्वारा ज्यादा कुछ नहीं किए जाने के आरोप लगते रहे हैं. इस पर जोए ने कहा, मैंने काफी यात्राएं की हैं और मैं अपने देश की सामाजिक-राजनीतिक और आर्थिक हकीकत को समझता भी हूं.

अब तक जो भी सत्ता में रहे हैं उन्होंने लोगों की समस्याओं के समाधान के प्रति स्वार्थी रवैया और गैरजिम्मेदाराना विचार ही दर्शाए हैं. पारंपरिक मछुआरा परिवार से ताल्लुक रखने वाले जोए ने कहा कि गुजरात में जो कुछ हुआ उसके प्रति व्यावहारिक समझ रखने की जरुरत थी और तभी वहां के लोगों की समस्याओं का कोई व्यावहारिक समाधान निकाला जा सकता था.

जोए ने कहा, अन्य सभी प्रशासन ऐसा करने में विफल रहे हैं. विशेष रुप से कहें तो वहां ऐसी सरकार है जो आम आदमी के लिए वाकई फिक्रमंद है. मछुआरों के सौ साल के इतिहास पर लिखे गए उनके उपन्यास करकई के लिए उन्हें वर्ष 2013 में साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला था. उनके ताजा उपन्यास आझी सूझ उलागु को वर्ष 2005 में राज्य सरकार द्वारा सर्वश्रेष्ठ उपन्यास का पुरस्कार भी मिला था.

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