चुनाव आयुक्त ने कहा-लोस व विस चुनाव एक साथ कराने के लिए सभी राजनीतिक पार्टियों की सहमति जरूरी
नयी दिल्ली : लोकसभा और सभी राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने का पक्ष लेते हुए चुनाव आयोग ने रविवारको कहा कि ऐसा कुछ करने से पहले तमाम राजनीतिक पार्टियों को इसके लिए सहमत करना जरूरी है. चुनाव आयुक्त ओपी रावत ने कहा, चुनाव आयोग का हमेशा से नजरिया रहा है कि एक साथ […]
नयी दिल्ली : लोकसभा और सभी राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने का पक्ष लेते हुए चुनाव आयोग ने रविवारको कहा कि ऐसा कुछ करने से पहले तमाम राजनीतिक पार्टियों को इसके लिए सहमत करना जरूरी है. चुनाव आयुक्त ओपी रावत ने कहा, चुनाव आयोग का हमेशा से नजरिया रहा है कि एक साथ चुनाव कराने से निवर्तमान सरकार को आदर्श आचार संहिता लागू होने से आनेवाली रुकावट के बगैर नीतियां बनाने और लगातार कार्यक्रम लागू करने के लिए पर्याप्त समय मिलेगा. उन्होंने कहा कि संविधान और जनप्रतिनिधित्व कानून में जरूरी बदलाव करने के बाद ही एक साथ चुनाव कराना मुमकिन हो सकेगा.
मौजूदा कानूनी और संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार किसी राज्य की विधानसभा या लोकसभा का कार्यकाल खत्म होने से छह महीने पहले तक चुनाव कराये जा सकते हैं. रावत ने कहा कि संवैधानिक और कानूनी खाका बनाने के बाद ही तमाम तरह के समर्थन मांगना और एक साथ चुनाव कराना व्यवहार्य होगा. उन्होंने कहा, आयोग (संवैधानिक और कानूनी बदलाव करने के बाद) ऐसे चुनाव छह महीने बाद करा सकता है. उन्होंने कहा कि एक साथ चुनाव कराने के लिए तमाम राजनीतिक पार्टियों की सहमति आवश्यक है. आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और ओड़िशा विधानसभाओं के चुनाव 2019 के मध्य में अगले आम चुनाव के साथ होने हैं. रावत ने कहा कि एक साथ चुनाव कराने पर निर्वाचन आयोग से 2015 में अपना रुख बताने को कहा गया था.
रावत ने कहा कि आयोग ने उस साल मार्च में अपने विचार दे दिये थे. उसने कहा था कि इस तरह के चुनावो को व्यावहारि बनाने के लिए कुछ कदम उठाना जरूरी है. रावत ने कहा कि एक साथ चुनाव कराना तभी संभव हो पायेगा जब आयोग को पर्याप्त वक्त दिया जाये. उन्होंने कहा कि इस के लिए 24 लाख इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन ( वीवीएम) और उतनी ही संख्या में वोटर वेरीफाइबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएटी) मशीनों की जरूरत पड़ेगी.
निर्वाचन आयुक्त रावत ने कहा, हमें ईवीएम के दो सेट की जरूरत होगी एक लोकसभा के लिए और दूसरा विधानसभा चुनावों के लिए. उन्होंने कहा कि और ईवीएम और वीवीपीएटी मशीनों के ऑर्डर पहले ही दिये जा चुके हैं और नयी मशीनें और दूसरी चीजें आनेवाले दिनों में आनी शुरू होंगी.
रावत ने कहा, आयोग आवश्यक संख्या में ईवीएम और वीवीपीएटी मशीनों को 2019 के मध्य तक या जरूरी हुआ तो इससे पहले हासिल कर लेगा. निर्वाचन आयुक्त के बयान की अहमियत है क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने की पहले ही वकालत कर चुके हैं. सरकार के नीति आयोग ने राष्ट्रीय हित में 2024 से दो चरण में लोकसभा के चुनाव और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने की सिफारिश की थी.