सार्वजनिक हो सकता है वाजपेयी और मोदी के बीच हुए संदेशों का आदान-प्रदान
नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री कार्यालय 2002 में गुजरात में हुए दंगों के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच हुए संदेशों के आदान-प्रदान को सार्वजनिक करने के लिए राज्य सरकार की और मोदी की स्वीकृति मांगेगा. सूत्रों का दावा है कि भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र […]
नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री कार्यालय 2002 में गुजरात में हुए दंगों के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच हुए संदेशों के आदान-प्रदान को सार्वजनिक करने के लिए राज्य सरकार की और मोदी की स्वीकृति मांगेगा.
सूत्रों का दावा है कि भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी को इस पर कोई आपत्ति नहीं होगी. वे इसकी अनुमति दे सकते हैं. पीएमओ के केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी एसइ रिजवी ने पहले बिना कारण बताये आरटीआइ कानून का उल्लेख करते हुए सूचना देने से इनकार कर दिया था. उनके वरिष्ठ अधिकारी व पीएमओ के निदेशक कृष्ण कुमार के समक्ष की गयी अपील के दौरान इस फैसले को पलट दिया गया. आवेदक ने उनके समक्ष सीपीआइओ के जवाब पर आपत्ति जताते हुए कहा था कि वह सूचना नहीं देने की पुख्ता वजह नहीं बता सके.
* अपीलीय प्राधिकरण ने दिया आदेश
आवेदक ने इस बात पर भी जोर दिया था कि यह बातचीत 11 साल पुरानी है और इसका आरोपियों से पूछताछ, गिरफ्तारी या अभियोजन पर कोई असर पड़ने की संभावना नहीं है. आवेदक द्वारा बताये गये कारणों की पुष्टि करते हुए अपीलीय प्राधिकरण ने सीपीआइओ को निर्देश दिया कि मामले से संबंधित अतिरिक्त ब्योरा दिया जाये. निदेशक कृष्ण कुमार ने फैसला किया था, क्योंकि धारा 8 (1) (एच) के तहत छूट का आधार मान्य नहीं है. इसलिए पीएमओ के सीपीआइओ को निर्देश दिया जाता है कि इस संबंध में ताजा जानकारी प्राप्त करें और उसे 15 कार्य-दिवसों के भीतर आवेदक को दिया जाये.
* दी गयी है यह जानकारी
साढ़े छह महीने पुरानी आरटीआइ अर्जी के ताजा जवाब में रिजवी ने कहा, सूचित किया जाता है कि इसी अनुरोध पर आरटीआइ कानून की धारा 11 (1) के तहत तीसरे पक्ष (गुजरात सरकार और मोदी) से परामर्श चल रहा है. सूचना को देने से संबंधित जवाब आपको कानून की धारा 11 के अनुसार प्रक्रिया पूरी होने के बाद प्रदान किया जायेगा. आरटीआइ आवेदक ने 27 फरवरी, 2002 और 30 अप्रैल, 2002 के बीच राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति पर पीएमओ और गुजरात सरकार के बीच हुए संवाद की प्रति मांगी थी. तनावपूर्ण माहौल के दौरान वाजपेयी व मोदी के बीच संदेशों के आदान-प्रदान की भी जानकारी मांगी थी.