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यूजीसी ने AMU से ”मुसलिम” और BHU से ”हिन्दू” शब्द हटाने का दिया सुझाव

नयी दिल्ली : देश के दस केंद्रीय विश्वविद्यालयों की ऑडिट करने गयी एक टीम ने दो प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों से धर्मसूचक शब्दों को हटाने का सुझाव दिया है. यह सुझाव यूजीसी द्वारा 25 अप्रैल को गठित पांच सदस्यीय टीम की कमिटी ने दी है. यह समिति देश के 10 केंद्रीय विश्वविद्यालयों में अनियमितता को जांच के […]

नयी दिल्ली : देश के दस केंद्रीय विश्वविद्यालयों की ऑडिट करने गयी एक टीम ने दो प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों से धर्मसूचक शब्दों को हटाने का सुझाव दिया है. यह सुझाव यूजीसी द्वारा 25 अप्रैल को गठित पांच सदस्यीय टीम की कमिटी ने दी है. यह समिति देश के 10 केंद्रीय विश्वविद्यालयों में अनियमितता को जांच के लिए बनायी गयी थी.

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के इस पैनल ने अपने सुझाव में कहा है कि काशी हिंदू विश्वविद्यालय और अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय के नामों से हिंदू और मुस्लिम जैसे शब्दों को हटाया जाना चाहिए क्योंकि ये शब्द इन विश्वविद्यालयों की धर्मनिरपेक्ष छवि को नहीं दिखाते हैं. इस पैनल का गठन 10 केंद्रीय विश्वविद्यालयों में कथित अनियमितताओं की जांच के लिए किया गया था. पैनल ने ये सिफारिशें एएमयू की लेखा परीक्षा रिपोर्ट में की हैं.
पैनल के एक सदस्य ने बताया कि केंद्र सरकार से वित्तपोषित विश्वविद्यालय धर्मनिरपेक्ष संस्थान होते हैं लेकिन इन विश्वविद्यालयों के नाम के साथ जुडे धर्म से संबंधित शब्द संस्थान की धर्मनिरपेक्ष छवि को नहीं दर्शाते हैं. कमिटी के सदस्य ने कहा कि इन विश्वविद्यालयों को अलीगढ विश्वविद्यालय और काशी विश्वविद्यालय कहा जा सकता है अथवा इन विश्वविद्यालयों के नाम इनके संस्थापकों के नाम पर रखे जा सकते हैं. एएमयू और बीएचयू के लिए अलावा जिन विश्वविद्यालयों की लेखा परीक्षा की गई है उनमें पांडीचेरी विश्वविद्यालय, इलाहाबाद विश्वविद्यालय, हेमवती नंदन बहुगुणा गढवाल विश्वविद्यालय, झारखंड केंद्रीय विश्वविद्यालय, राजस्थान केंद्रीय विश्वविद्यालय, जम्मू केंद्रीय विश्वविद्यालय, महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, त्रिपुरा विश्वविद्यालय और हरि सिंह गौर विश्वविद्यालय शामिल है.
बीएचयू
बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी बनने की कहानी दिलचस्प है. बताया जाता है कि 1904 में पंडित मदन मोहन मालवीय ने सबसे पहले यूनिवर्सिटी बनाने की इच्छा जाहिर की. इसके लिए वाराणसी के महाराजा के साथ बैठक भी हुई. इस बैठक में विश्वविद्यालय निर्माण की परिकल्पना का प्रस्ताव रखा गया.यूनिवर्सिटी की विवरणिका बनायी गयी और 1905 के अक्टूबर महीने में इसे बांटा गया. 31 दिसंबर 1905 को हिन्दt समुदाय के शिक्षाविद् और प्रतिनिधियों के बैठक में विश्वविद्यालय निर्माण को लेकर सर्वसम्मति बनी. मदन मोहन मालवीय लंबे समय से शिक्षा का केंद्र बनाना चाहते थे. हिंदू समुदाय के सनातन धर्म महासभा, इलाहाबाद की बैठक में शंकराचार्य भी मौजूद थे. बैठक में विश्वविद्यालय के निर्माण पर सहयोग की बात कही गयी. बीएचयू के निर्माण में कांग्रेस पार्टी ने भी सहयोग किया.इसके निर्माण के लिए कमिटी बनी और मालवीय जी इस कमिटी के सेक्रेटरी बने.
अलीगढ़ मुसलिम विश्वविद्यालय
ब्रिटीश सरकार ने 1842 में पर्सियन को सरकारी कामकाज और कोर्ट की भाषा से हटा दिया. अंग्रेज सरकार के इस फैसले से मुसलिमों में नौकरी को लेकर संकट पैदा हो गया. सर सैयद अहमद खां चाहते थे कि ऐसा विश्वविद्यालय बने, जिसके माध्यम से मुसलिम अंग्रेजी सीख सके. इसके लिए सैयद अहमद ने गाजीपुर और मोरादाबाद में स्कूल भी खोले और साइंटिफिक सोसाइटी की स्थापना भी की. अथक प्रयासों के बाद सैयद अहमद खां ने एएमयू के परिकल्पना को साकार किया.

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