नयी दिल्ली : चुनाव आयोग ने गुरुवार को हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए तारीखों का एेलान कर दिया, लेकिन गुजरात विधानसभा चुनाव के तारीखों की घोषणा नहीं करने पर कांग्रेस ने केंद्र की भाजपा सरकार पर आरोप लगाये हैं. कांग्रेस ने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग केंद्र के इशारे पर काम कर रहा है.
कांग्रेस ने कहा कि गुजरात में चुनाव की घोषणानहीं करने के पीछे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 16 अक्तूबर को गुजरात दौरा है. कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि चुनाव आयोग ने ऐसा प्रधानमंत्री के कहने पर किया है. कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि चुनाव के तारीखों की घोषणा हो जाती तो फिर वहां आचार संहिता लागू हो जाता और प्रधानमंत्री किसी भी तरह की घोषणा नहीं कर पाते. सुरजेवाला ने कहा कि गुजरात की जनता भाजपा को चलता करने का मन बना चुकी है. उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग को इस मसले पर देश को जवाब देना चाहिए. हालांकि, चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि गुजरात चुनाव के लिए तारीखों का एेलान नहीं होने का पीएम के दौरे से कोई मतलब नहीं है. चुनाव आयोग ने इस बारे में उठे सवाल पर कहा कि ऐसा नियम सम्मत किया गया है.
आयोग के सूत्रों ने कहा कि गुजरात में इस साल जुलाई में आयी बाढ़ के बाद शुरू किये गये राहत कार्य अभी पूरे नहीं हो पाने के कारण राज्य में विधानसभा चुनाव कार्यक्रम की घोषणा बाद में होगी. मुख्य निर्वाचन आयुक्त ए के जोती ने संवाददाता सम्मेलन में अगले साल 22 जनवरी को गुजरात विधानसभा का कार्यकाल पूरा हो रहा है. जोती ने कहा कि गुजरात में भी 18 दिसंबर से पहले ही मतदान करा लिया जायेगा. आयोग ने यह भी साफ किया कि हिमाचल प्रदेश के वोटों की गिनती गुजरात की गिनती के साथ ही होगी. उन्होंने स्पष्ट किया कि गुजरात के मुख्य सचिव ने आयोग से अनुरोध किया है कि राज्य में इस साल जुलाई में भीषण बाढ़ के बाद शुरू किया गया राहत अभियान अभी पूरा नहीं हुआ है. मुख्य सचिव ने राहत अभियान का काम पूरा करने के लिए आयोग से गुजरात विधानसभा चुनाव कार्यक्रम हिमाचल प्रदेश के साथ घोषित नहीं करने का अनुरोध किया है. जोती ने बताया कि बाढ़ राहत अभियान और अन्य कारणों से गुजरात विधानसभा चुनाव का कार्यक्रम बाद में घोषित किया जायेगा.
गुजरात सरकार को चुनाव आचार संहिता लागू होने से बचाने के लिए हिमाचल प्रदेश के साथ गुजरात का चुनाव कार्यक्रम घोषित नहीं करने के सवाल पर जोती ने कहा कि ऐसी कोई स्थापित परंपरा नहीं है जिसमें एक ही महीने के भीतर विधानसभाओं के कार्यकाल पूरे होनेवाले राज्यों में चुनाव कार्यक्रम एक साथ घोषित किये जाते हों. उन्होंने कहा कि इससे पहले साल 2002, 1993 एवं 1994 में भी गुजरात और हिमाचल प्रदेश में अलग-अलग चुनाव कार्यक्रम घोषित किया गया था. हालांकि, अब तक की परंपरा के अनुसार कम अंतराल पर होनेवाले चुनाव के तारीखों की घोषणा एक ही दिन घोषित होती थी. हिमाचल प्रदेश में गुरुवारको चुनाव कार्यक्रम घोषित होने के साथ ही चुनाव आचार संहिता भी लागू हो गयी. अब केंद्र या राज्य सरकार हिमाचल प्रदेश के लिए कोई बड़ी सरकारी योजना की घोषणा नहीं कर सकेंगी.