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वरिष्ठ अधिवक्ता मनोनीत करने को ले सुप्रीम कोर्ट ने तय किये मानक, CJ की अध्यक्षता में गठित होगी समिति

नयी दिल्ली : सुप्रीमकोर्ट ने वकीलों को वरिष्ठ अधिवक्ता मनोनीत करने के मामले में अपने और सभी 24 उच्च न्यायालयों के लिए गुरुवारको विस्तृत दिशा-निर्देश प्रतिपादित करने के साथ ही प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता में इसके लिए एक समिति बनाने का आदेश दिया जिसकी मदद के लिए एक सचिवालय होगा. न्यायमूर्ति रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति आरएम […]

नयी दिल्ली : सुप्रीमकोर्ट ने वकीलों को वरिष्ठ अधिवक्ता मनोनीत करने के मामले में अपने और सभी 24 उच्च न्यायालयों के लिए गुरुवारको विस्तृत दिशा-निर्देश प्रतिपादित करने के साथ ही प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता में इसके लिए एक समिति बनाने का आदेश दिया जिसकी मदद के लिए एक सचिवालय होगा.

न्यायमूर्ति रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति आरएम नरिमन और न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने हालांकि अधिवक्ता कानून, 1961 की धारा 16 को असंवैधानिक घोषित करने से इनकार कर दिया. यह धारा ही उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों को वरिष्ठ अधिवक्ता मनोनीत करने का अधिकार प्रदान करती है. पीठ ने कहा, यह अनियंत्रित और दिशाहीन अधिकार नहीं है, हो सकता है कि मामले विशेष में ऐसी भूमिका हो गयी हो. हालांकि, इसके दुरुपयोग की संभावना कानून के प्रावधान को असंवैधानिक घोषित करने का आधार नहीं हो सकती है. न्यायालय ने वरिष्ठ अधिवक्ता इन्दिरा जयसिंह की याचिका सहित चार याचिकाओं का निबटारा करते हुए अपने 112 पेज के फैसले में वकीलों को वरिष्ठ अधिवक्ता मनोनीत करने की प्रक्रिका को प्रभावी बनाने के लिए 11 दिशा-निर्देश प्रतिपादित किये हैं.

फैसले में कहा गया है, उच्चतम न्यायालय और देश के सभी उच्च न्यायालयों में वकीलों को वरिष्ठ अधिवक्ता मनोनीत करने संबंधी सारे मामलों पर स्थायी समिति, जिसे वरिष्ठ अधिवक्ता मनोनयन समिति के नाम से जाना जायेगा, ही विचार करेगी. प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षतावाली इस समिति में शीर्षअदालत या उच्च न्यायालय, जैसा भी मामला हो के दो वरिष्ठतम न्यायाधीशों के साथ अटाॅर्नी जनरल और उच्च न्यायलाय के मामले में राज्य के महाधिवक्ता इसके सदस्य होंगे. बार को प्रतिनिधित्व देने के बारे में न्यायालय ने कहा, चार सदस्यीय स्थायी समिति इसके पांचवें सदस्य के रूप में बार के एक सदस्य को नामित करेगी. समिति का अपना स्थायी सचिवालय होगा. किसी वकील को वरिष्ठ अधिवक्ता मनोनीत करने के आवेदन सचिवालय के पास जायेंगे जो आवेदक की प्रतिष्ठा, आचरण, वकील की निष्ठा, जनहित के मामलों में उसकी भागीदारी, वे फैसले जिनमें संबंधित वकील पेश हुआ हो, पिछले पांच साल में ऐसे फैसलों की संख्या आदि का विवरण संकलित करेगा.

पीठ ने कहा कि सचिवालय अपेक्षित आंकड़ों का संकलन करेगा ओर इसके स्रोत प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षतावाली समिति के समक्ष अवलोकन और निर्णय के लिए पेश करेगा. सचिवालय संबंधित न्यायालय की अधिकृत वेबसाइट पर वकील को वरिष्ठ अधिवक्ता के मनोनयन के बारे में प्रस्ताव प्रकाशित करेगा और प्रस्तावित मनोनयन के मामले में दूसरे दावेदारों से सुझाव आमंत्रित करेगा. यदि किसी वकील का वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में मनोनयन का आवेदन अस्वीकार हो जाता है, तो वह दो साल की अवधि बीतने के बाद फिर इसके लिए आवेदन कर सकता है. यदि कोई वरिष्ठ अधिवक्ता कदाचार का दोषी पाया गया, तो न्यायालय संबंधित व्यक्ति के मनोनयन के निर्णय की समीक्षा करके इसे वापस ले सकता है.

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