नयी दिल्ली : चर्चित आरुषि-हेमराज हत्याकांड में गुरुवार को इलाहाबाद हाइकोर्ट ने आरुषि के माता-पिता (राजेश और नुपुर तलवार) को बरी कर दिया. हाइकोर्ट ने कहा कि डॉक्टर राजेश तलवार और नुपुर तलवार निर्दोष है. हाइकोर्ट के इस फैसले के बाद तलवार दंपती (डेंटिस्ट) पर अपनी ही बेटी के कातिल होने का दाग धुल गया है.
लेकिन, बड़ा सवाल यह खड़ा हुआ है कि बंद घर में आखिर किसने चुपके से दो कत्ल कर दिये? उससे भी बड़ा सवाल ये है कि आखिर देश के बड़े-बड़े मामलों को सुलझाने वाली देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी सीबीआइ एक मासूम लड़की की हत्या में खाली हाथ कैसे रह गयी? डबल मर्डर मिस्ट्री नौ साल बाद जहां से चली थी, फिर वहीं पहुंच गयी है. 16 मई, 2008 को जब आरुषि की हत्या हुई थी, तब भी यही सवाल पूछा जा रहा था -हत्यारा कौन है? मामले की जांच के दौरान पहले पुलिस और बाद में सीबीआइ की थ्योरी बदलती गयी और अंतत: नौ साल पांच माह बाद भी यह सवाल अधूरा रहा.
सीबीआइ की जांच में कई खोट, जिसका तलवार दंपती को मिला फायदा
सीबीआइ की दलील : डॉक्टर राजेश तलवार और नुपुर तलवार अपनी बेटी आरुषि के कातिल हैं.
सवाल : अगर वे बेटी के कातिल थे, तो सीबीआइ की क्लोजर रिपोर्ट के खिलाफ कोर्ट क्यों गये?
दलील : बेडरूम में हेमराज और आरुषि जिस्मानी रिश्ते बना रहे थे. वहीं, राजेश ने हेमराज की हत्या की.
सवाल : मौके से जांच एजेंसी को 24 फिंगर प्रिंट मिले,जिसमें हेमराज के फिंगर प्रिंट नहीं थे. अगर तलवार ने हेमराज के फिंगर प्रिंट मिटाये, तो उन्हें कैसे पता चला कि उसके फिंगर प्रिंट कौन से और कहां पर हैं?
दलील : बेडरूम में आपत्तिजनक हालत में देख तलवार ने हेमराज पर गोल्फ स्टिक से वार किया, लेकिन हेमराज पलट गया और गोल्फ स्टिक आरुषि के माथे में घुस गयी.
सवाल : इस वारदात का कोर्ट में रीकंस्ट्रक्शन किया गया, लेकिन उसमें वैसी चोट नहीं आयी.
दलील : हेमराज की हत्या के बाद तलवार दंपती ने उसकी लाश एक चादर में लपेटी और उसे घसीटकर छत पर ले गये
सवाल : कोर्ट के सामने इस घटना का रीकंस्ट्रक्शन किया गया, लेकिन किसी को चादर में लपेटकर जो खरोचें आयीं, वैसे निशान हेमराज के जिस्म पर नहीं मिले.
दलील : राजेश तलवार ने हेमराज की हत्या आरुषि के बेडरूम में आरुषि के बेड पर की.
सवाल : हेमराज का खून आरुषि के तकिये पर नहीं मिला, बल्कि उसका खून उसके कमरे में उसके तकिये पर मिला.
सच्चाई की जीत : भारद्वाज
फिल्म ‘तलवार’ के फिल्मकार विशाल भारद्वाज ने ट्विटर पर लिखा, न्याय में देरी का मतलब न्याय से इनकार नहीं है. बरी किये जाने की खबर सुनकर खुश हूं और काफी राहत महसूस कर रहा हूं. मेघना ने कहा कि यह न्याय की जीत है. मैं केवल कल्पना कर सकती हूं कि अभिभावक किस यंत्रणा गुजरे होंगे. बता दें कि भारद्वाज फिल्म तलवार के निर्माता और लेखक थे, जबकि मेघना ने फिल्म का निर्देशन किया था.
सीबीआइ के पूर्व निदेशक बोले
पूर्व सीबीआइ निदेशक एपी सिंह ने कहा कि राजेश और नुपुर के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिये अपर्याप्त सबूत थे. हाइकोर्ट ने उन्हें संदेह का लाभ दिया है और यही बात हमने भी अपनी क्लोजर रिपोर्ट में कही थी. उधर, हत्याकांड में सीबीआइ दल की अगुआई करनेवाले अरुण कुमार ने आपराधिक न्याय प्रणाली की समीक्षा की मांग की.
तारिखों में आरुषि-हेमराज हत्याकांड
16 मई, 2008 : आरुषि अपने कमरे में मृत मिली. उसका गला किसी धारदार वस्तु से काटा गया था. संदेह घरेलू सहायक हेमराज पर था, जो उस समय लापता था.
17 मई : हेमराज का शव छत पर मिला
19 मई : नौकर विष्णु शर्मा पर संदेह
23 मई : पिता राजेश तलवार को पुलिस ने गिरफ्तार किया.
01 जून : जांच का जिम्मा सीबीआइ को
13 जून : नौकर कृष्णा गिरफ्तार.
12 जुलाई : राजेश तलवार को जमानत.
29 दिसंबर, 2010: सीबीआइ ने क्लोजर रिपोर्ट. घरेलू सहायकों को क्लीन चीट.माता-पिता की तरफ ऊंगली उठायी.
9 फरवरी, 2011 : सीबीआइ को कोर्ट की फटकार. माता-पिता पर लगाये गये हत्या व सबूत मिटाने के आरोप को लेकर मामला जारी रखने को कहा.
नवंबर, 2013: तलवार दंपती डबल मर्डर में दोषी करार. उम्र कैद की सजा.
सात सितंबर, 2017 : इलाहाबाद हाइकोर्ट ने माता-पिता की याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा.
12 अक्तूबर: हाइकोर्ट ने बरी किया.