ओडिशा अब भुखमरी के लिए नहीं जाना जाता है. पिछले 15 साल में नवीन पटनायक ने इसकी पहचान को बदला है. राज्य के लोगों में आत्मविश्वास भी भरा है. इसलिए राज्य में सरकार से ज्यादा उनकी प्रसिद्धि है. लोग उन्हें काम करने वाला ईमानदार नेता मानते हैं. इस बार भी लोकसभा और विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी के प्रदर्शन सुधरने के आसार है.
देशभर में भले ही नरेंद्र मोदी की लहर हो पर ऐसा माना जा रहा है कि ओडिशा का परिणाम भारतीय जनता पार्टी के लिए निराशा ही लेकर आयेगा. इस राज्य में सिर्फ एक व्यक्ति के पक्ष में लहर है और वह व्यक्ति है नवीन पटनायक. लोगों के बीच नवीन पटनायक इतने लोकप्रिय हैं कि राज्य की जनता उन्हें पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री ज्योति बसु का रिकॉर्ड तोड़ते हुए देखना चाहती है.
पिछली बार की तरह इस बार भी ओड़िशा में लोकसभा और विधानसभा चुनाव साथ-साथ हो रहे हैं. पिछली बार की तरह इसबार भी नवीन पटनायक की बीजू जनता दल को विधानसभा में आसानी से बहुमत के आसार हैं. वही लोकसभा में उसकी सीटों की संख्या में सुधार होने की उम्मीद है. ऐसा ओपीनियन पोल में भी कहा जा रहा है. ओड़िशा में 21 लोकसभा की सीटें हैं. एनडीटीवी के ओपीनियन पोल के अनुसार बीजू जनता दल को 18 सीटें मिल सकती हैं. पिछली बार पार्टी को 14 सीटें आई थी. वहीं कांग्रेस को तीन सीट मिलने का अनुमान लगाया गया है. पिछली बार छह सीटों पर विजय मिली थी. वोटों के प्रतिशत के हिसाब से इस बार बीजद को 45} वोट मिलने के आसार हैं. यह पिछली बार की तुलना में आठ फीसदी ज्यादा है. वहीं कांग्रेस को 30 और भाजपा को 15 फीसदी वोट मिलने के आसार हैं.
राजनीतिक विश्लेषक कहते हैं कि साल 2009 का असर राज्य की राजनीति पर अब भी है. उस साल बीजू जनता दल ने भाजपा से नाता तोड़ लिया था. नतीजों से साफ था कि राज्य में भाजपा की स्वीकार्यता नवीन पटनायक की वजह से थी क्योंकि उसे लोकसभा में एक भी सीट नहीं मिली थी. बीजू जनता दल की सीटें 11 से बढ़कर 14 हो गईं, कांग्रेस को छह सांसद मिले जबकि एक सीट कम्युनिस्ट पार्टी के खाते में गई. विधानसभा में भी उसने 103 सीटें जीतकर शानदार प्रदर्शन किया.
क्यों गाते हैं नवीन के गुण
यह पूछने पर कि जब अंदरूनी सड़कें खराब हैं, कुछ इलाकों में बिजली कटौती होती है और पीने के पानी की समस्या है फिर भी लोग नवीन पटनायक को क्यों पसंद करते हैं, जबाव मिलता है, नवीन बाबू ईमानदार हैं और काम करते हैं. वे कहते हैं कि राज्य में फाइलिन तूफान आया तो जानमाल का बहुत कम नुकसान हुआ. बड़ा हादसा होने से बच गया. मुख्यमंत्री ने घर बनवाने से लेकर भोजन और कपड़े तक घर-घर पहुंचाए. लोग पलटकर सवाल पूछते हैं, ऐसा किस और मुख्यमंत्री ने किया है? कुछ अतिउत्साही नवीन समर्थक यहां तक कहते हैं कि उनके मुख्यमंत्री देश में सबसे लंबे समय तक लगातार मुख्यमंत्री रहने का ज्योति बसु का रिकॉर्ड तोड़ देंगे. इस बार का चुनाव जीतने पर वे अगले चुनाव तक सत्ता में 20 वर्ष का कार्यकाल पूरा कर लेंगे. नवीन पटनायक की इस छवि से टकराना कांग्रेस के लिए संभव नहीं दिख रहा है और भारतीय जनता पार्टी शायद इसी को अपनी कामयाबी मानकर खुश हो ले कि विधानसभा में वह दूसरी सबसे बड़ी पार्टी हो जाएगी.
कालाहांडी ही नहीं है पहचान
पहले ओड़िशा सिर्फ कालाहांडी को लेकर ही खबरों में आता था. मीडिया में सिर्फ यही खबरें आती थीं कि कालाहांडी में कितने लोगों की भूख से मौत हुई. क्या खाकर लोग जिंदा हैं. पूरे देश में एक तरह से कालाहांडी एक अलग तरह से ही ओडिशा की तसवीर लोगों के मन में बना दी थी. लेकिन अब इस इलाके की तस्वीर बदल गई है. उपज ठीक-ठाक होने लगी है. जमाखोरों, बिचौलियों और सामंती प्रवृत्ति का लंबे समय तक शिकार रहा ये इलाका भी अब बदल रहा है. यहां कई स्कूल खुले हैं, सड़कें पक्की हैं. बिजली की कमी है और कटौती होती है पर करीब-करीब हर इलाके में लोग कहते हैं कि ऐसा तो हर जगह होता है. कालाहांडी सहित पूरे ओड़िशा की छवि को बदलने का श्रेय भी लोग नवीन पटनायक को ही दे रहे हैं. अब ओडिशा विकास के कई मापदंडों पर आगे बढ़ा है और पिछले दस वर्षों में बड़े औद्योगिक समूहों ने यहां एक लाख करोड़ रु पए से अधिक का निवेश किया है.
नवीन सबसे ज्यादा लोकप्रिय
ओड़िशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक अपनी सरकार से ज्यादा लोकप्रिय हैं. यह बात चुनाव पूर्व हुए ओपिनियन पोल में सामने आई हैं. सर्वे के अनुसार 70 फीसदी लोग नवीन पटनायक को पसंद करते हैं, वहीं 26 } लोग ही उनसे नाखुश हैं. तीन फीसदी लोगों ने इस संबंध में अपनी राय देने में असर्मथता जतायी.
विरोधी भी हैं
ओडिशा के लोगों के बीच मुख्यमंत्री नवीन पटनायक एक हीरो हैं. लेकिन उनके खिलाफ कोई बोलने वाला नहीं है, ऐसी भी बात नहीं. क्योंझर जिले पुरुषोत्तमपुर गांव के सुधांशु कुमार मोहंती कंप्यूटर इंजीनियर हैं. कहते हैं नवीन पटनायक की जितनी भी लोकप्रियता दिख रही है वह सब मैनेज्ड है. सब पैसे के बल पर होता है. यहां अभी भी बहुत गरीबी है. गांव में अगर कोई दो-तीन दिन भरपेट खिला देगा तो लोग उसको अपना नेता मान लेंगे. यही हो रहा है. खाना खिलाकर वोट ले रहे हैं नवीन पटनायक. मोहंती तल्ख लहजे में कहते हैं, करने के लिए 15 साल का समय बहुत होता है. लेकिन गांवों में घूम लीजिए, आपको पता चल जाएगा कि हकीकत क्या है. सच्चई जानने की कोशिश कोई नहीं करता. जो बताया जाता है लोग उसी को सच्चई मान लेते हैं. इसलिए हर जगह नवीन पटनायक के समर्थन में ढोल बज रहे हैं. बहरहाल, ओडिशा में पहले चरण का मतदान समाप्त हो गया है. 17 को बचे हुए निर्वाचन क्षेत्रों में वोटिंग होगी. ओपीनियन पोल के अनुसार देश में भाजपा गठबंधन ही सरकार बनाने के करीब रहेगी, लेकिन उसे अपने पुराने सहयोगियों जयललिता, ममता और नवीन पटनायक की जरूरत पड़ सकती है. तीनों अभी उसके साथ नहीं है. जया और ममता ने समर्थन के संकेत दिये है, लेकिन नवीन बाबू क्या करेंगे इसी पर सबकी नजर है.