यहां डॉक्टरों की भाषा नहीं होती है अबूझ पहेली, हिंदी में लिखा जाता है प्रिस्क्रिप्शन

डॉक्टरों की भाषा मरीज के लिए हमेशा से अबूझ पहेली रही है. लेकिन राजस्थान सरकार के एक अस्पताल ने इस परंपरा को तोड़ मिसाल कायम की है. सरकारी अस्पताल में लिखी गयी प्रिस्क्रिप्शन में दवा का नाम हिंदी में लिखा गया है और डॉक्टर की लिखावट इस तरह कि मामूली -से – मामूली आदमी समझ […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 16, 2017 2:24 PM
डॉक्टरों की भाषा मरीज के लिए हमेशा से अबूझ पहेली रही है. लेकिन राजस्थान सरकार के एक अस्पताल ने इस परंपरा को तोड़ मिसाल कायम की है. सरकारी अस्पताल में लिखी गयी प्रिस्क्रिप्शन में दवा का नाम हिंदी में लिखा गया है और डॉक्टर की लिखावट इस तरह कि मामूली -से – मामूली आदमी समझ जाये.
दिल्ली हाईकोर्ट के वकील शशि भूषण सिंह ने अपने फेसबुक प्रोफाइल में राजस्थान सरकार के अस्पताल के प्रिस्क्रिपशन की तसवीर पेश करते हुए लिखा है. यह प्रिस्क्रिप्शन फेसबुक पर एक मित्र ने डॉक्टर का मजाक उड़ाने के लिए पोस्ट किया है. मगर मेरे हिसाब से यह आदर्श प्रिस्क्रिप्शन है.
पहली बात यह हिंदी में लिखी हुई है, इसे ज्यादातर मरीज आसानी से समझ सकते हैं. दूसरी बात, इसमें दवा का कंपोजीशन लिखा गया है, ब्रांडनेम नहीं. इसी तरह से डॉक्टरों और दवा कंपनियों के बीच के नेक्सस को तोड़ा जा सकता है.राजस्थान के सरकारी अस्पतालों में जो यह अच्छा काम हो रहा है, इसे पूरे देश के सरकारी-गैर सरकारी अस्पतालों और क्लीनिकों में लागू कराये जाने की जरूरत है….
गौरतलब है कि आज की तारीख में अगर मरीज अनपढ़ या कम पढ़ा लिखा हो तो उसे अपने ही शरीर की बिमारी को समझना मुश्किल हो जाता है. दरअसल कोड वर्ड के रूप में लिखी गयी प्रिस्क्रेप्शन मरीजों के लिए नहीं बल्कि दवाखानों के लिए लिखी जाती है. कई बार इसे खास ब्रांड को प्रमोट किया जाता है. स्वास्थ्य व्यवस्था में इन तमाम बिडंबनाओं के बीच राजस्थान सरकार के इस मिसाल को दूसरे जगहों पर भी लागू किया जा सकता है.प्रिस्क्रिप्शन को सरल बनाने की मांग पहले भी उठ चुकी है. कई बार दवाओं के नाम भी हिंदी में रखने की अपील की गयी थी लेकिन यह मुहिम कभी रंग नहीं ला सकी. दवाओं के नाम क्षेत्रीय भाषा में लिखा जाये तो मरीज को समझने में बहुत आसानी होती है.

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