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DIPLOMATS की संख्या बढ़ाये सरकार, IFS के लिए अलग से हो परीक्षा : शशि थरूर

नयी दिल्ली : कांग्रेस नेता और विदेश मामलों की संसदीय समिति के अध्यक्ष शशि थरुर ने आज कहा कि सरकार को राजनयिकों की संख्या में वृद्धि करनी चाहिए. उन्होंने साथ ही भारतीय विदेश सेवा (आईएफएस) के लिए अलग परीक्षा की जरुरत की हिमायत की. इस सप्ताह समिति की एक बैठक से इतर थरुर ने संवाददाताओं […]

नयी दिल्ली : कांग्रेस नेता और विदेश मामलों की संसदीय समिति के अध्यक्ष शशि थरुर ने आज कहा कि सरकार को राजनयिकों की संख्या में वृद्धि करनी चाहिए. उन्होंने साथ ही भारतीय विदेश सेवा (आईएफएस) के लिए अलग परीक्षा की जरुरत की हिमायत की. इस सप्ताह समिति की एक बैठक से इतर थरुर ने संवाददाताओं से कहा, ब्राजील में विदेश सेवाओं में 1200 लोग हैं, अगर आप चीन को देखें तो वहां करीब 6,000 लोग हैं जबकि अमेरिका में राजनयिकों की संख्या 20,000 है. मैं नहीं कह रहा हूं कि हम अमेरिका या चीन की तरह हों लेकिन 800 बहुत कम है, इस संख्या को बढाये जाने की जरूरत है.

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विदेश मामलों की समिति ने भी आईएफएस अधिकारियों की कम संख्या पर गंभीर चिंता जाहिर की है. उसने 912 स्वीकृत पद होने के बावजूद केवल 770 आईएफएस अधिकारी होने की बात कही है. समिति की राय थी कि मंत्रालय और देश के कार्यों और चुनौतियों के मद्देनजर देश के राजयनिकों की संख्या पर्याप्त नहीं है. आईएफएस में लेटरल एंटरी की हिमायत करते हुए थरुर ने कहा कि पिछले साल विदेश सेवा में अधिक लोगों को शामिल किया गया था लेकिन वे दस साल के कार्यानुभव के बाद काम के लिहाज से तैयार होंगे.
उन्होंने कहा, हम कह रहे हैं कि आपको अपनी क्षमता को बरकरार रखने के लिए कुछ लोगों की जरुरत है. इसलिए हम लेटरल एंटरी और इस सेवा में आप्रवासी भारतीयों के प्रवेश के बारे में सोच सकते हैं. विदेश सेवा के लिए अलग परीक्षा की वकालत करते हुए थरुर ने कहा कि वे सुनहरे दिन बीत चुके हैं जब आईएफएस सेवा को उत्कृष्ट माना जाता था और यूपीएससी के शीर्ष दस रैंकिंग वाले लोग इसे चुनते थे. उन्होंने कहा, दूसरी तरफ विदेश सेवा में हमें ऐसे लोग मिल रहे हैं, जो कभी इस सेवा में आना ही नहीं चाहते थे. एक राजनयिक के लिए बिल्कुल अलग तरह के गुणों की जरुरत होती है. इसलिए अलग परीक्षा की जरुरत है. थरूर ने कहा कि राजनयिक बनने के लिए अन्य गुणों के अलावा विश्व मामलों, भाषा और अन्य चीजों में भी रुचि की जरुरत है.

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