श्रीनगर : विपक्षी नेशनल कांफ्रेंस (नेकां) के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने रविवार को कहा कि पंडितों के बगैर कश्मीर अधूरा है और उनकी पार्टी चाहती है कि वे लौटें. हालांकि वह घाटी में उनके लिए पृथक होमलैंड बनाने के विचार के विरुद्ध हैं. पंद्रह साल के अंतराल के बाद यहां शेर ए कश्मीर क्रिक्रेट स्टेडियम में नेकां के प्रतिनिधि सत्र को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि कश्मीरी पंडित राज्य का हिस्सा हैं तथा उनकी पार्टी घाटी में उन्हें वापस लाने के लिए प्रयास करेगी.
उन्होंने कहा, मैं आपको बताऊं कि उन्हें कश्मीर लौटना है, जबतक वे नहीं लौटते कश्मीर अधूरा है. वे इस राज्य का हिस्सा हैं और हम उन्हें वापस लायेंगे. मैं (पंडितों के लिए) यह होमलैंड स्वीकार नहीं करुंगा. उन्हें यहां मुसलमानों के साथ रहना है और मुसलमान उनकी रक्षा करेंगे. इससे पहले पार्टी ने कश्मीरी पंडितों की वापसी समेत विविध मुद्दों पर प्रस्ताव पारित किये.
उन्होंने कहा, हमारे कश्मीरी पंडित भाइयों और बहनों का त्रासदपूर्ण बहिर्गमन जम्मू कश्मीर के इतिहास में एक काला अध्याय है और राज्य के हर जागरक नागरिक के लिए पीड़ा और दर्द का विषय है. उनकी मर्यादापूर्ण वापसी एवं पुनर्वास अधूरा है तथा इस दिशा में कोई प्रगति नहीं हुई है.
कश्मीर पर परस्पर-विरोधी बयान जारी करना बंद करें : उमर अब्दुल्ला
नेशनल कांफ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आग्रह किया कि वह अपने मंत्रियों को कश्मीर मुद्दे पर परस्पर-विरोधी बयान जारी नहीं करने का निर्देश दें. जितेंद्र सिंह के एक हालिया बयान का हवाला देते हुए उमर ने सवाल किया कि केंद्र ने बातचीत के लिए विशेष प्रतिनिधि की नियुक्ति क्यों की है.
दरअसल, प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री सिंह ने कहा था कि कश्मीर मुद्दे जैसी कोई चीज नहीं है. जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर ने कहा कि कई केंद्रीय मंत्रियों की ओर से परस्पर विरोधी बयान आने की वजह से खुफिया ब्यूरो के पूर्व प्रमुख दिनेश्वर शर्मा असमंजस में पड जायेंगे. शर्मा को हाल ही में कश्मीर मुद्दे पर सभी संबंधित पक्षों से बातचीत के लिए वार्ताकार नियुक्त किया गया है. उमर ने आरोप लगाया कि कि केंद्र सरकार के मंत्री प्रधानमंत्री की नहीं सुनते हैं.