एक बार फिर मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित करने के प्रस्ताव पर रोड़ा अटकाएगा चीन !
पेइचिंग : चीन एक बार फिर पाकिस्तानी आतंकी मसूद अजहर पर नरमी दिखाने की तैयारी में नजर आ रहा है. जानकारी के अनुसार अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस जैसे देशों से समर्थित बैन के प्रस्ताव को चीन अपनी ताकत का इस्तेमाल करते हुए हमेशा के लिए रद्द करने वाला है. चीन पिछले कई महीनों से आतंकी […]
पेइचिंग : चीन एक बार फिर पाकिस्तानी आतंकी मसूद अजहर पर नरमी दिखाने की तैयारी में नजर आ रहा है. जानकारी के अनुसार अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस जैसे देशों से समर्थित बैन के प्रस्ताव को चीन अपनी ताकत का इस्तेमाल करते हुए हमेशा के लिए रद्द करने वाला है. चीन पिछले कई महीनों से आतंकी मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित करने के प्रस्ताव पर अपनी मुहर नहीं लगा रहा है और इस प्रस्ताव को लटकाए हुए है. ऐसे कयास लगाये जा रहे हैं कि चीन के अब इस ताजा कदम से भारत के साथ उसके सम्बंधों में नयी खटास पैदा होगी.
चीन ने पाकिस्तानी टेररिस्ट अजहर मसूद को ब्लैक लिस्टेड करने को लेकर यूएन में डाला खलल
भारत में कई आतंकी हमलों को अंजाम देने वाले आतंकी मसूद अजहर पर बैन लगाने के लिए संयुक्त राष्ट्र में इस साल जनवरी में एक प्रस्ताव लाया गया था, जिस पर चीन ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) का स्थायी सदस्य होने के नाते वीटो लगाया था और प्रस्ताव पर तकनीकी पेच लगा दी थी जिससे इसपर रोक लग गया था. इस तकनीकी रोक को चीन ने अगस्त में 3 महीने के लिए और बढ़ा दिया था, जो इस हफ्ते गुरुवार को समाप्त होने जा रही है.
क्योंकि अब इसे और नहीं बढ़ाया जा सकता है, अत: इस पूरे मामले पर नजर बनाए हुए टॉप इंटेलिजेंस सूत्रों के अनुसार चीन अब पूरी तरह से इस प्रस्ताव को खत्म कर देगा , जिससे मसूद अजहर पर बैन लगाने की भारत की मंशा ध्वस्त हो जाएगी. आतंक के खिलाफ चीन के इस रवैये ने भारत के लिए एक बड़ी कूटनीतिक चुनौती खड़ी कर दी है. पिछले दिनों ही सम्पन्न हुए ब्रिक्स सम्मेलन के घोषणापत्र में पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठनों जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा और हिज्बुल मुजाहिदीन की कड़ी निंदा की गयी थी, जिसे भारत की एक बड़ी कूटनीतिक जीत माना जा रहा था.
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भारत चीन से लगातार आग्रह कर रहा है कि आतंकी मसूद अजहर भारत में कई आतंकी घटनाओं का मास्टरमाइंड रहा है. पठानकोट आतंकी हमले में भी उसका हाथ था, मगर चीन का मानना है कि मसूद अजहर को इन घटनाओं का दोषी मानने के लिए भारत के पास ‘पर्याप्त और ठोस सबूत’ मौजूद नहीं है.