राष्ट्रीय एकता दिवस पर विशेष : लौह पुरुष सरदार पटेल के लौह इरादों को वीपी मेनन ने बनाया था सफल

नयी दिल्ली : 31 अक्तूबरयानी आजाद भारत के पहले गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती. सरदार पटेल को देश को एक सूत्र में बांधने वाला प्रमुख शख्स माना जाता है. देश आज उनकी जयंती को राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मना रहा है.भारत सरकारने आजसरदार पटेल की जयंती पर रन फॉर यूनिटी दौड़ […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 31, 2017 12:39 PM

नयी दिल्ली : 31 अक्तूबरयानी आजाद भारत के पहले गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती. सरदार पटेल को देश को एक सूत्र में बांधने वाला प्रमुख शख्स माना जाता है. देश आज उनकी जयंती को राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मना रहा है.भारत सरकारने आजसरदार पटेल की जयंती पर रन फॉर यूनिटी दौड़ का आयोजन किया है. इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके योगदानों की तारीफ की और आरोप लगाया कि इतिहास में उनकेयोगदान को कम कर दिखानेबीते सालों में प्रयास किया गया. गृहमंत्री के रूप में उनकेलगभग तीन साल के कार्यकाल कीतारीफ इस कदर होती है कि लंबा अरसा शीर्ष पदों पर गुजारने वाले शख्सों की भी वैसी तारीफ नहीं हो पाती है. वे अपने से उम्र में 14 साल छोटेपंडित जवाहर लाल नेहरू की कैबिनेट मेंभलेआधिकारिक तौर पर नंबर दो की हैसियत वाले शख्स थे, लेकिन वास्तविक रूप से वे बराबरी वाले शख्स थे. सरदार पटेलके प्रशंसकों का एकऐसा बड़ा वर्ग भी है जो मानता है कि वास्तव में उन्हें ही देश का प्रधानमंत्री बनना चाहिए. हालांकि तब नेहरूको उनके व्यक्तित्व का आभामंडल व आकर्षण विशिष्ट बनाता था. बहरहाल,बातसरदार पटेल व उनके एक अनन्य सहयोगी की,जिन्होंने राजवाड़ों काविलय कराया.

आजादीमिलनेकेवर्षही27जूनकोनयेराज्यविभागकागठनकियागयाथा.इसकीजिम्मेवारीसरदारपटेलकोसौंपीगयी.इसविभागकी चुनौतियों से निबटने उन्हें एकयोग्य सहयोगी की जरूरत थी. सरदार पटेल ने वीपीमेनन को अपना सचिव चुना, जो केरल (तब मालाबार प्रांत) से आते थे. इतिहासकार रामचंद्र गुहा अपनी पुस्तक भारत : गांधी के बाद में लिखते हैं -वीपी मेनन चौकन्ने किस्म के और बहुत ही तीक्ष्ण दिमागवाले मलयाली थे. उस पद के महत्व केबिल्कुल ही विपरीत मेनन निचले तबके के कर्मचारियों से पदोन्नत हुए थे.

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वीपी मेनन के काम करनेका तरीकाबहुत अलग था. वे हर तरह की नीति अपनाते थे.अंगरेज प्रशासनमेंकाम करते हुए उनकी नीतियों की भी उन पर छाप थी, जोसरदार पटेल के रियासतों कीएकीकरण के लिएतब जरूरी था. महत्वाकांक्षी राजवाड़ों के लिए वे फूट डालने की नीतिभी अपनाते थे, उन्हें चेताते थे और अन्य उपाय भी करते थे. वीपी मेनन ने एकक्लर्क के रूप में भारत सरकार की नौकरी शुरू की थी और धीरे-धीरे वे काम करते हुए ऊपर पहुंचे. वे संभ्रांतआइसीएस अफसरों से अलग थे और नीचे सेऊपर बढ़ने के कारण उनके अंदर बारीक जमीनी समझ थी.रामचंद्र गुहा ने अपनीपुस्तक में लिखा है : निचले तबके से आने के कारणउनके सहयोगी उन्हें बाबू मेनन कह करपुकारतेथे. वे अपने पुराने बॉस माउंटबेटन और नये बॉस पटेल के बीच बेहतर समन्वय बनाने की स्थिति में थे और तत्कालीन परिस्थितियों में सत्ता हस्तांतरण की पेचीदगी को सुलझाने के लिए सबसेकाबिल व्यक्तिथे.

जबपटेल ने रियासतों के एकीकरण केलिए वायसराय माउंटबेटनसेपहली वार्ता की तो उन्होंनेशीर्ष अंगरेज अफसर से कहा कि वे आजादी मिलनेकेदिन तक एक टोकरी में हर दिन 565 सेब लेकर आयें. ये सेबबिखरेरियासतों के प्रतीक थे औरठोकरी में उन्हें एक साथ लाना उनके एकीकरण के प्रयासों का प्रतीक.तब वायसराय ने कहाथा कि क्या वे 560 से संतुष्ट हो जायेंगे?उनका तात्पर्य कुछ रियासतों केविलय में आने वाली उलझनों से था, तब पटेल ने वायसराय को हां तो कह दिया, लेकिन सरदार ने अपने सहयोगी वीपी मेननके साथ मिल करसिर उठाने का प्रयास करने वाले व महत्वाकांक्षी राजवाड़ों का भी विलय करा लिया.

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अाजादी के ठीक पूर्व गांधीजी भीराजवाड़ों की बेतुके महत्वाकांक्षा को लेकर चिंतित थे. उन्होंने तब माउंटबेटन से कहा था किदेशीरियासतों की आजादीकेऐलान का उकसावा नहीं मिले और अंगरेज देश को अराजकता में छोड़ कर न जायें, वे ऐसा प्रयास करें.गांधी, नेहरू, पटेल तीनों इस बात के लिएचिंतित व प्रयासरत थे और इसकी सीधी कमान पटेल के साथ उनके सहयोगी मेनन केहाथों में ही थी.

तब माउंटबेन नेराजवाड़ों को इंगित करते हुए अपने भाषण में कहा थाअंगरेज उनकी रक्षा नहीं कर सकेंगे और उनके लिए स्वतंत्र राज्य की कल्पना महज एक मारीचिका है. इससे ज्यादातर राजवाड़े सतर्क हो गये.इस दौरान वीपी मेनन पूरे हिंदुस्तान में राजवाड़ों का दौरा कर विलय के प्रमुख वार्ताकार थे. इस दौरान उन्होंने हर तरह की परिस्थिति का सामना किया और हर तरह की नीति भी अपनाई. उन्हें इसमें लगातार सफलता भी मिली.ज्यादातर मामलों में वे जिस राजवाड़े के दौरेपर जाते, कुछ दिनों बाद उसके विलय की खबरें आ जाती. जूनागढ़ (जहां सेखुद पटेल आते थे), त्रावणकोर, भोपाल, जोधपुरआनाकानी करने वाली रियासतें थीं, जिन्हें बड़े कूटनीतिक ढंग से देश में विलय के लिए पटेल व उनके सहयोगी मेनन ने मजबूर किया और इन चीजों को विस्तार से जानने के लिए इतिहास की किताब के पन्नों को पलटना होगा.

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