दिव्यांगों को मुख्यधारा में लाने का समान अवसर मिले : राष्ट्रपति कोविंद

नयी दिल्ली : देश में एक करोड़ से अधिक लोगों के निशक्कता से प्रभावित होने को रेखांकित करते हुए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने आज कहा कि ऐसे दिव्यांगों को सामाजिक एवं पेशेवर स्तर पर मुख्यधारा में लाना और जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में उन्हें समान अवसर प्रदान करना हम सभी की प्रतिबद्धता हो. पहले वैश्विक […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 1, 2017 3:47 PM

नयी दिल्ली : देश में एक करोड़ से अधिक लोगों के निशक्कता से प्रभावित होने को रेखांकित करते हुए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने आज कहा कि ऐसे दिव्यांगों को सामाजिक एवं पेशेवर स्तर पर मुख्यधारा में लाना और जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में उन्हें समान अवसर प्रदान करना हम सभी की प्रतिबद्धता हो. पहले वैश्विक क्लबफुट (पदवक्रता) सम्मेलन को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि भारत में एक करोड़ से अधिक लोग किसी न किसी तरह के निशक्तता से प्रभावित हैं.

ऐसे दिव्यांग जीवन के हर एक क्षेत्र में समान अवसर प्राप्त करने के योग्य हैं. ऐसे दिव्यांगों को सामाजिक एवं पेशेवर अनुभव प्रदान कराना हम सभी की प्रतिबद्धता हो. उन्होंने कहा कि ऐसे में अनेक ऐसी निशक्तताएं हैं जिन्हें रोका जा सकता है और उन्हें ठीक किया जा सकता है. रोकथाम, उपचार और मुख्यधारा में लाने के कार्य सभी समानान्तर रुप से किये जाने चाहिए. राष्ट्रपति ने कहा कि ऐसी एक निशक्कता क्लबफुट :पदवक्रता: है जो बच्चों में हड्डी संबंधी दोष के कारण उत्पन्न होती है.
अगर प्रारंभ में इसका उपचार नहीं होता तब यह निशक्कता स्थायी रुप ले लेती है. इसके कारण बच्चों को चलने में परेशानी आती है और जिनसे उनकी शिक्षा प्रभावित होती है. कोविंद ने कहा कि यह विडंबना है कि क्लबफुट का उपचार किया जा सकता है लेकिन इसके बावजूद एक अनुमान के अनुसार भारत में प्रत्येक वर्ष जन्म लेने वाले करीब 50 हजार बच्चे पदवक्रता से प्रभावित होते हैं. हाल के समय तक इस बीमारी से प्रभावित बच्चों का उपचार सर्जरी के माध्यम से होता था. हाल ही में इसके उपचार के लिसे पोनसेटी पद्धति का विकास किया गया है जिसमें सर्जरी की जरुरत नहीं होती है. यह पद्धति क्लबफुट के उपचार के लिये बेहतर मानी जा रही है.
उन्होंने कहा कि इस संबंध में मिली सफलताओं के बावजूद हम इस बात को नजरंदाज नहीं कर सकते कि वर्तमान दर पर प्रत्येक वर्ष पदवक्रता के 8000 नये मामलों का उपचार किया जाता है जो इस लिहाज से काफी कम है कि प्रत्येक वर्ष इसके 50 हजार नये मामले सामने आ रहे हैं. कोविंद ने कहा कि देश 2022 में आजादी के 75 वर्ष मनाने जा रहा है, ऐसे में हमें इस बात का राष्ट्रीय संकल्प लेना चाहिए कि उस तारीख तक पदवक्रता से प्रभावित प्रत्येक बच्चे की पहुंच इसके उपचार सेवाओं तक सुलभ हो. राष्ट्रपति ने क्योर इंटरनेशनल इंडिया की पहल का स्वागत करते हुए कहा कि सार्वजनिक अस्पतालों के साथ गठजोड़ करके प्रभावित बच्चों तक पहुंचने की पहल काफी सकारात्मक है.
यह कार्यक्रम अब 29 राज्यों में जारी है. कोविंद ने कहा कि हम सभी को इस बात का संकल्प लेना चाहिए कि हम आने वाली पीढ़ी को क्लबफुट (पदवक्रता) से मुक्त बनायें. हमें प्रत्येक प्रभावित बच्चे और प्रत्येक माता पिता को इस पीडा से मुक्त बनाने का संकल्प लेना चाहिए. उन्होंने कहा कि जिस प्रकार से हमने पोलियो के मामले में प्रतिबद्ध पहल की, उसी प्रकार से पदवक्रता को समाप्त करने के लिये बहुआयामी एवं बहु पक्षीय पहल किये जाने की जरुरत है.
इसके लिये सभी सार्वजनिक एवं निजी एजेंसियों, स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं, सरकार एवं नागरिक संगठनों समेत पूरे समाज को मिलकर प्रयास करना चाहिए. राष्ट्रपति ने कहा कि मुझे पूरा विश्वास है कि ऐसा हो सकता है. हम सभी को क्लबफुट के इतिहास के बारे में जानकारी है और साल 2022 तक हमें क्लबफुट को बीते कल की बात बनाना है.

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