चंडीगढ़ : चंडीगढ़ की एक फास्ट ट्रैक ट्रायल कोर्ट ने दो भाइयों को अपने 10 साल की भांजी से रेप करने के आरोप में आज उम्रकैद की सजा व 3.50 लाख रुपये के जुर्माने की सजा सुनायी. इस मामले की सुनवाई करते हुए न्यायाधीश पूनम आर जोशी ने चंडीगढ़ की राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण को लड़की को मुआवजा देने का आदेश दिया.लड़की ने इस साल अगस्त में एक बच्चे को जन्म दिया. इस मामले में अभियोजन पक्ष ने दलील दी कि दोषियों ने परिवार व लड़की का भरोसा तोड़ा और उसके साथ रेप किया और यह दुर्लभतम मामला है, अत: अधिकतम सजा होनी चाहिए. वहीं, इस पर बचाव पक्ष का कहना था कि दोनों आरोपी अपने परिवार में एकमात्र कमाने वाले सदस्य हैं.
इस मामले का खुलासा तब हुआ जब 30 सप्ताह की गर्भवती लड़की ने अपनी मां से पेट में दर्द होने की शिकायत की और उसके बाद उसे अस्पताल ले जाया गया. मामले का खुलासा होने पर लड़की के परिवार वालों ने अदालत से गर्भ गिराने की अनुमति मांगी, हालांकि इस मामले में डॉक्टरों ने कहा कि अब गर्भ गिराना बच्ची की जान के लिए खतरा हो सकता है. बाद में परिवार ने सुप्रीम कोर्ट से यह आग्रह किया, लेकिन वहां भीइसी आधार पर गर्भ गिराने की अनुमति नहीं मिली.
इस मामले में पुलिस ने लड़की की मां के एक चचेरे भाई को आरंभ में गिरफ्तार किया, जो एक स्थानीय होटल में गार्ड की नौकरी करता था. पर, उसका डीएनए सैंपल लड़की द्वारा जन्म दिये गये बच्चे से नहीं मिला, जिसे उसने इस साल 17 अगस्त को जन्म दिया था.पुलिसने इस केस की और पड़ताल की व लड़की से जानकारी जुटाने का प्रयास किया. इस मामले में 17 दिन बाद पुलिस ने उस व्यक्ति के छोटे भाई को गिरफ्तार किया. उसका डीएनए सैंपल लड़की के बच्चे के डीएनए से मैच कर गया. छोटा भाई उसी होटल में खाना बनाने का काम करता था जहां बड़ा भाई गार्ड की नौकरी कर रहा था.
लड़की ने इस मामले में बताया कि पहले उसकेरिश्तेके छोटे मामा ने उसके साथ बलात्कार किया. फिर बड़ेमामा लगातार अप्रैल से जुलाई के शुरू तक उसका यौन शोषण करते रहे. उसने अपने बयान में बताया कि आरंभ में उसने छोटे मामा के डर से उसका नाम नहीं लिया, क्योंकि उसने धमकी दी थी कि किसी को इस बारे मेंबताओगी तो तुम्हारे मां-बाप को जान से मार देंगे.
इस मामले में कानूनी प्रावधानों के तहत लड़की का मुआवजा दिया गया और वह अपने परिवार के साथ ही रह रही है. उसके परिवार वाले सरकार द्वारा इस संबंध में संचालित घरों में उसे रखने के इच्छुक नहीं हैं. बाल कल्याण समितिपर नवजात बच्चे के बेहतर हितों का ध्यान रखने की जिम्मेवारी है.