नयी दिल्ली : संसद में उपस्थित रहने के मामले में भाजपा के सांसदों ने कांग्रेस को पछाड़ दिया है. संसद के लोक महत्व, नीतिगत एवं अन्य महत्वपूर्ण विषयों की चर्चा का सर्वोच्च मंच होने के बीच 16वीं लोकसभा में तीन वर्षों के दौरान दोनों सदनों में सांसदों की शत प्रतिशत उपस्थिति नहीं रही. लोकसभा में सांसदों की औसत उपस्थिति 81 प्रतिशत और राज्यसभा में सांसदों की औसत उपस्थिति 80 फीसदी दर्ज की गयी.
इसे भी पढ़ेंः संसद में सांसदों की उपस्थिति का लेखा-जोखा : सिर्फ पांच की हाजिरी 100 प्रतिशत
पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार, 11 अगस्त, 2017 को समाप्त संसद के माॅनसून सत्र तक 16वीं लोकसभा के तीन वर्ष पूरे होने के पश्चात लोकसभा में भाजपा सांसदों की औसत उपस्थिति 87 फीसदी रही. पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च की आेर से जारी आंकड़ों के अनुसार, इस अवधि में कांग्रेस सदस्यों की औसत उपस्थिति 79 फीसदी, बीजद सदस्यों की 83 फीसदी, अन्नाद्रमुक सदस्यों की 81 फीसदी, शिवसेना सदस्यों की 80 फीसदी दर्ज की गयी.
अन्य दलों में तेदेपा अव्वल
16वीं लोकसभा में पिछले तीन वर्षों के दौरान तेदेपा सदस्यों की औसत उपस्थिति 79 फीसदी, टीआरएस सदस्यों की 70 फीसदी, तृणमूल कांग्रेस की 65 फीसदी रही. 16वीं लोकसभा में 11 अगस्त, 2017 को समाप्त संसद के माॅनसून सत्र तक तीन वर्षों के बीच उच्च सदन राज्यसभा में भारतीय जनता पार्टी और समाजवादी पार्टी के सदस्यों की औसत उपस्थिति 88-88 फीसदी दर्ज की गयी, जबकि कांग्रेस सदस्यों की औसत उपस्थिति 85 फीसदी, जदयू सदस्यों की 81 फीसदी, अन्नाद्रमुक सदस्यों की 78 फीसदी और तृणमूल कांग्रेस सदस्यों की औसत उपस्थिति 70 फीसदी दर्ज की गयी. रिपोर्ट के अनुसार, लोकसभा में उत्तर क्षेत्र के सांसदों की सदन में उपस्थिति 86 फीसदी रही, जबकि दक्षिण क्षेत्र के सांसदों की उपस्थिति 78 फीसदी दर्ज की गयी. सदन में 40 वर्ष से कम आयु के सांसदों की उपस्थिति 74 फीसदी दर्ज की गयी, जबकि 40 से 70 वर्ष के सांसदों की उपस्थिति 82 फीसदी दर्ज की गयी.
राज्यसभा में युवा सांसदों की उपस्थिति रही सबसे अधिक
वहीं, राज्यसभा में पुरुष सांसदों की उपस्थिति 80 फीसदी दर्ज की गयी, जबकि महिला सांसदों की उपस्थिति 75 फीसदी रही. राज्यसभा में 55 वर्ष से अधिक आयु के सांसदों की उपस्थिति युवा सांसदों से अधिक रही. पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च की रिपोर्ट के मुताबिक, लोकसभा में 55 से 70 वर्ष आयु वर्ग के सांसदों ने सदन में चर्चा में ज्यादा हिस्सा लिया. इस आयु वर्ग के सांसदों ने औसतन 40 चर्चाओं में हिस्सा लिया, जबकि 40 वर्ष से कम आयु के सांसदों ने सदन में औसतन 23 चर्चाओं में हिस्सा लिया.
किसने कितने पूछे सवाल
पिछले तीन वर्षो के दौरान लोकसभा में 40 से 55 वर्ष आयु वर्ग के सांसदों ने 242 प्रश्न पूछे, जबकि 70 वर्ष से अधिक के सांसदों ने 133 सवाल पूछे. राज्यसभा में 40 वर्ष तक के सांसदों ने औसतन 96 चर्चाओं में हिस्सा लिया. दक्षिण क्षेत्र के सांसदों ने औसतन 67 चर्चाओं में हिस्सा लिया, जबकि पश्चिम क्षेत्र के सांसदों ने 50 चर्चाओं में हिस्सा लिया. उच्च सदन में पश्चिम क्षेत्र के सांसदों ने सबसे अधिक सवाल पूछे, जबकि उत्तर क्षेत्र के सांसदों ने तुलनात्मक रूप से कम सवाल पूछे.