प्रत्याशी पैसे बांट रहे,वोटर कर रहे मोलभाव

ओड़िशा के एक सज्जन जो पटना में रह कर काम करते हैं, उन्होंने इस चुनाव के मौके पर हमें एक रोचक कहानी सुनायी. सज्जन ने बताया कि वे राजनीतिक रूप से सजग व्यक्ति हैं और चुनाव के मौके पर वोट डालने सपरिवार अपने पैतृक गांव जरूर जाते हैं. इस बार भी 17 अप्रैल को वोट […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 20, 2014 8:37 AM

ओड़िशा के एक सज्जन जो पटना में रह कर काम करते हैं, उन्होंने इस चुनाव के मौके पर हमें एक रोचक कहानी सुनायी. सज्जन ने बताया कि वे राजनीतिक रूप से सजग व्यक्ति हैं और चुनाव के मौके पर वोट डालने सपरिवार अपने पैतृक गांव जरूर जाते हैं. इस बार भी 17 अप्रैल को वोट डालने वे सपरिवार वहां गये थे. उन्होंने बताया कि ओड़िशा में राजनीतिक माहौल काफी अलग है, वहां मोदी का शोर नहीं है और न ही उत्तर भारत जैसा राजनीतिक माहौल.

चूंकि वे मतदान करने यहां से इतनी दूर जा रहे थे इसलिए हमारी स्वाभविक रुचि उनमें थी और हम इस दौरान लगातार उनके संपर्क में थे. उन्होंने 15 तारीख को फोनकर हमें अपने पहुंचने की सूचना दी और बताया कि आज ही सुबह-सुबह एक सज्जन जो उनके इलाके से निर्दलीय प्रत्याशी थे, उनके घर पहुंचे. उन्होंने कहा कि आपके यहां कितने वोटर हैं, हमारे परिचित सज्जन ने कहा कि हमलोग आठ मतदाता हैं.

मगर घर पर उस समय छह ही मौजूद थे. दो सदस्य किसी काम से भुवनेश्वर में थे. इस पर उस उम्मीदवार ने उन्हें छह हजार रुपये गिनकर दिये और कहा कि हमें वोट डालियेगा. दूसरे दिन एक और सज्जन किसी अन्य राजनीतिक दल के कार्यकर्ता थे, भी उनके घर पहुंचे. उन्होंने उसी तरह वोटर गिने और तीन हजार रुपये प्रति वोटर की दर से 18 हजार रुपये गिनकर दिये. हमारे परिचित सज्जन ने बताया कि हमारे इलाके में वोट के बदले पैसा दिया जाना आम बात है और इस बार तो मतदाता प्रत्याशियों से पैसों को लेकर मोल भाव भी कर रहे हैं. वोटर उम्मीदवारों से अपने वोट की मनचाही कीमत वसूल लेना चाहते थे.

सज्जन ने बताया कि हालांकि पैसे लेना वोट देने की गारंटी नहीं है. जैसे उनके परिवार के लोगों ने ऐसे प्रत्याशी को वोट दिया जिन्होंने उन्हें पैसा नहीं दिया था. ऐसे ही कई और लोग भी होंगे. मगर प्रत्याशी और दल बिना पैसा बांटे संतुष्ट नहीं होते. आयरन ओर का इलाका होने के चलते कई लोग पिछले कुछ सालों में धनवान बन गये हैं. अब वे राजनीति में उतरने को उतावले हैं. हमारे परिचित सज्जन ने बताया कि चुनाव के दिनों में वोटरों को भात और मीट खिलाने का प्रचलन आम है.

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