नोटबंदी ”कानूनी डाका” या ”काले धन पर अटैक”, पढ़ें मनमोहन Vs जेटली

अहमदाबाद : नोटबंदी की सालगिरह से एक दिन पहले विपक्षी कांग्रेस पार्टी ने मोदी सरकार पर जमकर हमला किया. नोटबंदी को बिना सोचा समझा कदम बताते हुए पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने मंगलवार को दोहराया कि बड़े मूल्य नोटों को चलन से बाहर करने की राजग सरकार की कार्रवाई एक संगठित लूट और कानूनी डाका […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 7, 2017 2:43 PM

अहमदाबाद : नोटबंदी की सालगिरह से एक दिन पहले विपक्षी कांग्रेस पार्टी ने मोदी सरकार पर जमकर हमला किया. नोटबंदी को बिना सोचा समझा कदम बताते हुए पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने मंगलवार को दोहराया कि बड़े मूल्य नोटों को चलन से बाहर करने की राजग सरकार की कार्रवाई एक संगठित लूट और कानूनी डाका था. इधर, वित्त मंत्री अरुण जेटली ने फेसबुक पर एक ब्लॉग के माध्‍यम से सरकार के नोटबंदी के फैसले पर सवाल उठाने वालों को करारा जवाब दिया है. उन्होंने नोटबंदी के फैसले की घोषणा के दिन 8 नवंबर 2016 को भारतीय अर्थव्यवस्था के इतिहास का ऐतिहासिक क्षण करार दिया.

मनमोहन सिंह ने यहां गुजरात के व्यवसायियों और कारोबारियों के साथ अर्थव्यवस्था की मौजूदा स्थिति पर चर्चा में कहा कि नोटबंदी का कोई लक्ष्य हासिल नहीं हो सका है. राज्य में चुनावी माहौल के बीच सिंह ने कहा, नोटबंदी एक संगठित लूट और कानूनी डाका था. माल एवं सेवाकर (जीएसटी) को लागू करने को लेकर सरकार के निर्णय पर प्रहार करते हुए सिंह ने कहा कि जीएसटी अनुपालन की शर्तें छोटे कारोबारियों के लिए दु:स्वप्न की तरह हो गयी हैं.

पूर्व पीएम ने केंद्र सरकार अहमदाबाद-मुंबई बुलेट रेल परियोजना की भी आलोचना की और कहा कि यह एक दिखावा है. सिंह की यात्रा कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी की सूरत यात्रा के एक दिन पूर्व हुई है. कल नोटबंदी की वर्षगांठ पर राहुल गांधी सूरत की यात्रा कर सकते हैं. पिछले साल आठ नवंबर को नोटबंदी की घोषणा के एक वर्ष पूरा होने पर विपक्षी दिलों ने काला दिवस मनाने की घोषणा की है.

अरुण जेटली ने नोटबंदी के फैसले की घोषणा के दिन 8 नवंबर 2016 को भारतीय अर्थव्यवस्था के इतिहास का ऐतिहासिक क्षण करार देते हुए अपने फेसबुक वॉल के जरिए कहा कि यह दिन देश को ‘काले धन की भयावह बीमारी’ से बचाने के इस सरकार के संकल्प को दर्शाता है. उन्होंने अपने फेसबुक पोस्ट में लिखा कि देश जानता है कि किस तरह तत्कालीन सरकार ने इस (काले धन के) मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के निर्देश को भी वर्षों तक नहीं सुना. काले धन के खिलाफ लड़ाई की अनिच्छा का एक और उदाहरण बेनामी प्रॉपर्टी ऐक्ट को लागू करने में 28 वर्षों की लेटलतिफी है. जेटली ने कहा कि जब देश ‘ऐंटी-ब्लैक मनी डे’ का भागीदार बन रहा है, तब एक बहस छिड़ गयी है कि क्या नोटबंदी अपने मुकाम तक पहुंचा है.

वित्त मंत्री ने कहा कि नोटबंदी के बड़े उद्देश्यों में एक भारत को लेस कैस इकॉनमी बनाकर सिस्टम में काले धन के प्रवाह को कम करना था. उस वक्त से तुलना की जाए तो अब सर्कुलेशन में कम करंसी रह जाने से स्पष्ट होता है कि यह उद्देश्य पूरा हो चुका है.

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