कर्मचारियों के तनाव को कम करने के लिये नियोक्ता उठा रहे हैं कदम: सर्वे
नयी दिल्ली: भारतीय नियोक्ता कार्य संबंधी तनाव को दूर करने की रणनीति तैयार करने के मामले में एशिया प्रशांत के अपने समकक्षों के मुकाबले आगे हैं. हर तीन में से एक नियोक्ता ने पिछले साल तनाव प्रबंधन कार्यक्रम शुरु किये और करीब इतनी ही नियोक्ताओं की इस साल भी ऐसी योजना है. ‘स्टेइंग एट वर्क’ […]
नयी दिल्ली: भारतीय नियोक्ता कार्य संबंधी तनाव को दूर करने की रणनीति तैयार करने के मामले में एशिया प्रशांत के अपने समकक्षों के मुकाबले आगे हैं. हर तीन में से एक नियोक्ता ने पिछले साल तनाव प्रबंधन कार्यक्रम शुरु किये और करीब इतनी ही नियोक्ताओं की इस साल भी ऐसी योजना है.
‘स्टेइंग एट वर्क’ के एशिया प्रशांत संस्करण सर्वे के अनुसार तनाव जीवन के लिये बडा जोखिम तत्व है और यह भौतिक असक्रियता तथा मोटापा से ज्यादा खतरनाक है. यह सर्वे पेशेवर कंपनी टावर्स वाटसन ने किया है.नियोक्ताओं में अब यह बात घर कर रही है कि कार्यस्थल अनुभव कर्मचारियों के तनाव को बढा भी सकता है और उसे कम भी कर सकता है. अब ऐसे नियोक्ताओं की संख्या बढ रही है जो जीवनचर्या में बदलाव कार्यक्रमों की योजना बना रहे हैं जो पहले नहीं था.
रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘प्राय: प्रत्येक तीन में से एक भारतीय कर्मचारियों ने 2013 में तनाव प्रबंधन कार्यक्रम शुरु किये और 2014 में भी इतने ही नियोक्ताओं की ऐसी योजना है. चूंकि तनाव अब जीवन के लिये सबसे बडा जोखिम बन गया है, ऐसे में यह संख्या और बढ सकती है.’’ भारतीय कर्मचारियों के अनुसार कार्यस्थल पर तनाव का तीन प्रमुख कारण है जिसमें अस्पष्ट या परस्पर विरोधी रोजगार उम्मीदें, अपर्याप्त कर्मचारी :समर्थन का अभाव, समूह पर असंतुलित कार्य दबाव: तथा जीवनचर्या संतुलित नहीं होना है.
नियोक्ताओं ने कर्मचारियों के तनाव को कम करने के लिये जो सामान्य समाधान अपनाया है, उसमें कर्मचारियों के लिये लचीला काम के घंटे शामिल हैं. करीब 50 प्रतिशत नियोक्ताओं ने इस समाधान को अपनाया है.