साधारण छात्र भी कड़ी मेहनत के दम पर मेडिकल में कर सकते हैं सफलता हासिल…जानें कैसे

नीट, एम्स और जीपमर है मेडिकल की मुख्य परीक्षा विपिन सिंह, फाउंडर, गोल इंस्टीट्यूट मेडिकल प्रवेश परीक्षाओं का दौर नीट के नोटिफिकेशन के आते ही शुरू हो जायेगा़ देश में नीट, एम्स और जीपमर के रूप में तीन तरह की प्रवेश परीक्षाएं आयोजित होती हैं. नीट के माध्यम से एम्स एवं जीपमर को छोड़कर देश […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 10, 2017 8:03 AM
नीट, एम्स और जीपमर है मेडिकल की मुख्य परीक्षा
विपिन सिंह,
फाउंडर, गोल इंस्टीट्यूट
मेडिकल प्रवेश परीक्षाओं का दौर नीट के नोटिफिकेशन के आते ही शुरू हो जायेगा़ देश में नीट, एम्स और जीपमर के रूप में तीन तरह की प्रवेश परीक्षाएं आयोजित होती हैं. नीट के माध्यम से एम्स एवं जीपमर को छोड़कर देश के सभी सरकारी एवं प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में दाखिला मिलता है. वहीं एम्स द्वारा एम्स में 700 सीटों के लिए प्रवेश परीक्षा आयोजित की जाती है. जीपमर द्वारा जीपमर के पुदुचेरी कॉलेज में एडमिशन होता है. मेडिकल परीक्षा और इसमें करियर को लेकर कई तरह की भ्रांतियां अभिभावक और विद्यार्थियों के बीच होती हैं. इस लेख में इन्हीं भ्रांतियों और इससे जुड़े सवालों के जवाब दिये जा रहे हैं.
यह भ्रम है कि मेडिकल में सफलता काफी मुश्किल है
विद्यार्थियों के बीच यह सवाल सामान्य तौर पर होता है कि इस फिल्ड को चुनना कितना सही है? इसका जवाब यही है कि डॉक्टर को समाज में भगवान के बाद दूसरे स्थान पर रखा जाता है. किसी भी दूसरे प्रोफेशन से एक डॉक्टर का सम्मान ज्यादा होता है. साथ ही समाज में डॉक्टरों की आवश्यकता बढ़ती जा रही है.
भारत को 2034 तक 30 लाख डॉक्टर्स की जरूरत पड़ेगी. इसलिए मेडिकल प्रोफेशन को करियर विकल्प के रूप में चुनना छात्रों के लिए सही है. कई छात्रों और अभिभावकों में यह भ्रम है कि मेडिकल में सफलता बहुत मुश्किल है. यह सिर्फ अति मेधावी छात्रों के लिए ही संभव है, लेकिन यह सही नहीं है. साधारण छात्र भी मेहनत के दम पर मेडिकल में सफलता पाते हैं. इसलिए इस क्षेत्र में कोई भी छात्र अपने सपनों को साकार करने में सक्षम है.
ऐसा कहा जाता है कि मेडिकल में करियर बनाने के लिए बहुत अधिक समय देने की आवश्यकता होती है. यह लोगों के बीच महज भ्रम है.
12वीं के बाद ग्रेजुएशन लेवल के किसी भी करियर के लिए लगभग चार सालों का समय लगता है और एमबीबीएस में इंटर्नशिप के साथ लगभग पांच वर्ष छह माह का समय लगता है. जबकि इंटर्नशिप में छात्रों को वेतनमान भी प्राप्त होता है. एमबीबीएस के आधार पर छात्र अपना करियर सेट कर सकते हैं साथ ही वे आगे की पढ़ाई एमडी/एमएस या सुपर स्पेशलाइजेशन करते हैं तो उनके पढ़ाई के साथ-साथ एक अच्छा वेतनमान भी प्राप्त होता है.
11वीं और 12वीं से पूछे जाते हैं सभी प्रश्न
इतना ही नहीं मेडिकल में किसी कारणवश सफलता नहीं मिलने पर छात्रों के पास कई अन्य विकल्प होते हैं. इसमें डेंटिस्ट, होमियोपैथ, वेटनरी, फिजियोथेरेपी, आयुर्वेद, एग्रीकल्चर, फाॅरेस्ट्री, फिशरिज एवं कई अन्य करियर विकल्पों को चुनकर छात्र अपना करियर संवार सकते हैं.
रही बात मेडिकल की पढ़ाई में खर्च कि तो ज्यादातर गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेजों में सालाना फीस 15 से 20 हजार के बीच ही है. अगर कोई छात्र मेडिकल परीक्षाओं की तैयारी शुरू करना चाहता है, तो इसके लिए उपयुक्त समय 10वीं परीक्षा के तुरंत बाद है. इस परीक्षा में 11वीं और 12वीं के कोर्स से ही सभी प्रश्न पूछे जाते हैं. इसलिए 11-12वीं करने के दौरान ही छात्र सही तरीके से अपने आप को तैयार कर सकते हैं,लेकिन 12वीं परीक्षा के बाद भी छात्र सही मार्गदर्शन में तैयारी कर अपनी सफलता की शिखर पर पहुंच सकते हैं.
अनुभवी शिक्षकों की टीम जरूरी
ज्यादातर मेडिकल प्रवेश परीक्षाओं में भौतिकी, रसायन एवं जीवविज्ञान से प्रश्न पूछे जाते हैं, किंतु कुछ प्रवेश परीक्षाओं में इन विषयों के साथ-साथ अंग्रेजी, जेनरल नॉलेज एवं एनालिटिकल रीजनिंग से भी प्रश्न पूछे जाते हैं. ऐसा देखा जाता है कि सही ‘दिशा-निर्देश’ के अभाव में प्रतिभावान छात्र भी सफलता पाने से वंचित रह जाते हैं और सही दिशा-निर्देश में साधारण छात्र भी सफलता पा जाते हैं. इसलिए तैयारी करने के लिए छात्रों को एक ऐसे प्लेटफाॅर्म की जरूरत होती है जहां क्वालिटी के अनुभवी शिक्षकों की टीम से उन्हें पढ़ाई प्राप्त हो सके.

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