जयपुर/नयी दिल्ली : राजस्थान के बूंदी घराने की महारानी मयूरी सिंह ने संजय लीला भंसाली की फिल्म पद्मावती के रिलीज से पहले विरोध नहीं करने की बात कही है. उन्होंने कहा कि फिल्म के रिलीज का विरोध नहीं होना चाहिए. उनका मानना है कि पहले फिल्म को रिलीज होने दिया जाये और उसके बाद इसकी समीक्षा होनी चाहिए. मयूरी सिंह ने कहा कि फिल्म के रिलीज के बाद अगर राजपूत समुदाय के लोगों को लगे कि फिल्म मेंसमुदाय की सभ्यता और संस्कृति के विरुद्ध कुछदिखाया गया है,तो उसका विरोध होना चाहिए.
मयूरी सिंह के विचार का समर्थन करते हुए चर्चित गीतकार जावेद अख्तर और फिल्मकार करण जौहर ने भी संजय लीला भंसाली की फिल्म का समर्थन किया है. मालूम हो विभिन्न समूहों ने भंसाली पर फिल्म में ऐतहासिक तथ्यों के साथ छेड़छाड़ करने का आरोप लगाया है. विरोध करनेवालों में ज्यादातर राजपूत समुदाय के हैं. अख्तर से फिल्म को लेकर विवाद के बारे में पूछा गया था, इस पर गीतकार ने कहा, मैं टीवी पर इतिहास के एक प्रोफेसर को सुन रहा था जिन्होंने कहा कि खिलजी शासन और पद्मावत लिखे जाने में 200-250 वर्षों का अंतर है. मलिक मोहम्मद जायसी के पद्मावत लिखे जाने के पहले पद्मावती का जिक्र नहीं मिलता. उन्होंने कहा, उस समय के बारे में बहुत इतिहास लिखा गया है. उस समय का काफी सारा रिकाॅर्ड उपलब्ध है, लेकिन उनमें पद्मावती का उल्लेख नहीं है.
आशुतोष गोवारीकर की जोधा अकबर का जिक्र करते हुए अख्तर ने कहा कि इतिहास के मुताबिक अकबर की जोधा बाई नामक पत्नी नहीं थी और लोगों को काल्पनिक काम और इतिहास के बीच भ्रमित नहीं होना चाहिए. उन्होंने कहा, कहानियां बनायी जाती है. इतिहास के लिए फिल्मों का और फिल्मों के लिए इतिहास की गलत व्याख्या नहीं की जाये. आप सिनेमा देखिये और आनंद लीजिये. अगर आप इतिहास में दिलचस्पी रखते हैं तो गंभीरता से पढ़िये. जौहर भी कार्यक्रम में मौजूद थे.
फिल्मकार ने कहा कि वह भंसाली के दृष्टिकोण का सम्मान करते हैं और उनकी शानदार फिल्म के विवादों में फंसने से बुरा महसूस कर रहे हैं. उन्होंने कहा, मुझे एक फिल्म की रिलीज के पहले बहुत सारे विवादों का सामना करना पड़ा. मुझे एक फिल्मकार के लिए बुरा लग रहा है जो देश में श्रेष्ठ हैं. संजय लीला भंसाली ने एक शानदार फिल्म बनायी है और मुझे उम्मीद है कि जो लोग सृजन को अभिव्यक्ति का रूप मानते हैं वे उनकी रक्षा करेंगे.