सऊदी अरब में योग को मान्यता दिलाने वाली नऊफ मोहम्मद अल मरवाई हैं काैन, जानें?
जिस योग पर भारत में अक्सर विवाद होता रहता है, उसे सऊदी अरब ने मान्यता दे दी. यह प्रगतिवादी कदम कट्ठमुल्लाओं को एक तरह से आईना दिखाने वाला है. इसमें यह संदेश है कि योग शरीर, मन एवं मस्तिष्क को स्वस्थ रखने का माध्यम है और इसका धर्म से संबंध नहीं है.इस्लामिक देश सऊदी अरब […]
जिस योग पर भारत में अक्सर विवाद होता रहता है, उसे सऊदी अरब ने मान्यता दे दी. यह प्रगतिवादी कदम कट्ठमुल्लाओं को एक तरह से आईना दिखाने वाला है. इसमें यह संदेश है कि योग शरीर, मन एवं मस्तिष्क को स्वस्थ रखने का माध्यम है और इसका धर्म से संबंध नहीं है.इस्लामिक देश सऊदी अरब में योग को मान्यता दिलाने में जिस एक शख्स की सबसे बड़ी भूमिका रही है, उनका नाम है नऊफ मोहम्मद अल मरवाई. नऊफ सऊदी अरब की ही हैं और एक सफल महिला एंटरप्रेन्योर हैं और इसे वे अपने पैशन और बिजनेस दोनों रूप में संचालित करती हैं और कई लोगों को उन्होंने इसके माध्यम से रोजगार उपलब्ध कराया है.
मार्शल आर्ट ट्रेनर पिता की बेटी नऊफ की 19 साल की उम्र में योग व फिजियोलॉजीमेंरुचि पैदा हुई और उन्होंने इसे सीखने के लिए आस्ट्रेलिया का रुख किया, लेकिन वे इतने से संतुष्ट नहीं हुईं. उन्हें लगा कि यह कला और बेहतर ढंग से उन्हें सीखनी चाहिए और उन्होंने भारत का रुख किया और यहां केरल में इसे सीखा और वे योग व आयुर्वेद की अपने देश में ब्रांड ऐंबेसेडर बन गयीं. नऊफ को आज भी केरल से गहरा प्यार है और वे इस भारतीय राज्य से अपनापन महसूस करती हैं.
वे सऊदी अरब लौटीं तो उन्होंने योग, आयुर्वेंद व नेचुरोपैथी को अपने जीवन का लक्ष्य बना लिया और तय किया इससे वे अपने देश के लोगों का भी जीवन बदलेंगी. 2009 में उन्हें जेद्दाह यूनिवर्सिटी में वर्कशॉप का मौका मिला और फिर उन्होंने अगले साल अरब योग फाउंडेशन नामक संस्था की नींव रखी. उनके फाउंडेशन से दर्जनों योग ट्रेनर जुड़े हैं और वे वहां सक्रिय हैं. उनके प्रयासों के कारण ही सऊदी अरब ने योग को एक खेल के रूप में मान्यता दे दी है. यह मान्यता सऊदी अरब के व्यापार एवं उद्योग मंत्रालय ने दी है.
नऊफ रियाद में रहती हैं और योग को जीवन बदलने का माध्यम मानती हैं और इसकी बड़ी पैरोकार हैं. उन्होंने फेसबुक पर लिखा कि योग का मतलब है जोड़ना-संघ बनाना, जिसके माध्यम से हम शरीर, मस्तिष्क, भावना व हृदय को जोड़ते हैं.
वे बड़ी मजबूती से मानती हैं कि ईश्वर ने उन्हें संघर्ष करने की शक्ति दी है औरवे ऐसे विषयोंकेलिए लड़ती हैं. वे कहती हैं कि अब सऊदी अरब को कोई योग करने पर विकृत व्यवहार नहीं कर सकेगा. वे पुराने दिनों को याद करते हुए कहती हैं कि पहले खासकर योग दिवस के आसपास मुझे पत्र व टैक्स मैसेज के द्वारा योग करवाने पर धमकियां मिलती थीं. वे कहती हैं कि जब मैंने 2012 में अपने नेचुरोपेथी सेंटर के लिए 10 लाख डॉलर खर्च कर दिये और इसके लिए मुझे लाइसेंस नहीं मिला तो बहुत दु:ख हुआ, लेकिन भारत, भारतीय लोगों एवं वहां की सरकार को मैं धन्यवाद देना चाहूंगी जिन्होंने मुझे मदद की. वे उन दिनों में आधिकारिक रूप से योग नहीं करवा पातीं थीं. उन्हें भारत के काउंसुलेट जनरल से अपने काम को स्थापित करने एवं मान्यता दिलाने में काफी मदद मिली. ध्यान रहे कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों से संयुक्त राष्ट्र संघ ने योग को मान्यता दी और 2015 से 21 जून को विश्व योग दिवस घोषित किया गया.