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पद्मावती विवाद : थरूर पर शाही विरासत वाले कांग्रेसियों का हमला, सिंधिया के बाद वीरभद्र भी बोले

नयी दिल्ली : वरिष्ठ कांग्रेस नेता शशि थरूर की फिल्म पद्मावती के संदर्भ में राजा-महराजाओं पर की गयी एक टिप्पणी के बाद विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. थरूर पर विरोधी दलों से ज्यादा उनकी अपनी पार्टीकांग्रेस के लोग हमलावर हैं. ज्योतिरादित्य सिंधिया ने शुक्रवार को थरूर पर हमला बोलते हुए कहा था […]

नयी दिल्ली : वरिष्ठ कांग्रेस नेता शशि थरूर की फिल्म पद्मावती के संदर्भ में राजा-महराजाओं पर की गयी एक टिप्पणी के बाद विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. थरूर पर विरोधी दलों से ज्यादा उनकी अपनी पार्टीकांग्रेस के लोग हमलावर हैं. ज्योतिरादित्य सिंधिया ने शुक्रवार को थरूर पर हमला बोलते हुए कहा था कि वे हमें इतिहास नहीं सीखाएं, उन्हें इसकी जानकारी नहीं है. आज हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस नेता वीरभद्र सिंह ने थरूर के बयानों से असहमति जतायी है. हम यह नहीं मानते कि हमारी हार हुई थी. ईस्ट इंडिया कंपनी ने दो बार अपनी सेना देश पर कब्जे के लिए भेजी थी, उसे और फौज की जरूरत थी. इस दौरान ब्रिटेन की रानी विक्टोरिया ने कंपनी को समाप्त कर दिया और स्वयं को भारत की साम्राज्ञी घोषित कर दिया.

शशि थरूर ने एक समारोह में ब्रिटिश काल के बारे में कुछ बातें कही थी और कुछ सवाल उठाये थे. उन्होंने अपनी किताब एन एरा ऑफ डार्कनेस : द ब्रिटिश एम्पायर इन इंडिया पर चर्चा के संदर्भ में ये बातें कही थीं. उन्होंने कहा था कि आज जो तथाकथित राजा-महाराजा एक फिल्मकार के पीछे पड़े हैं, वे उस समय कहां गये थे जब ब्रिटिशों ने उनके मान-सम्मान को रौंद दिया था.

थरूर के इस बयान पर भाजपा नेतावकेंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने चुटकी ली थी अौर सवाल उठाया था कि इस पर कांग्रेस के सिंधिया, दिग्गी राजा और अमरिंदर सिंह क्या कहेंगे? उन्होंने सवाल उठाया था कि क्या सभी महाराजाओं ने ब्रिटिश के सामने घुटने ठेके थे?

ज्योतिरादित्य सिंधिया ने शशि थरूर के बयान पर नाराजगी जताते हुए उन्हें इतिहास पढ़ने की नसीहत दे दी. उन्होंने कहा कि उन्हें इतिहास पढ़ना चाहिए और जानना चाहिए कि महाराजा की भूमिका क्या थी.

हालांकि स्मृति की चुटकी पर शशि थरूर ने ट्वीट कर अपनी ओर से सफाई पेश की थी. उन्होंने लिखा था कि भाजपाई अंधभक्तों द्वारा साजिशन झूठा प्रचार किया जा रहा है. मैंने राष्ट्र हित में अंगरेज हुकूमत के कार्यकाल का विरोध करते हुए उन राजाओं की चर्चा की थी, जो स्वतंत्रता संग्राम में अंग्रेजों के साथ थे. शशि थरूर ने लिखा – मैं यह निर्भीक होकर कहूंगा कि भारत की विविधता व समरसता के मद्देनजर राजपूत समाज की भावनाओं का आदर किया जाना सबका कर्तव्य है. राजपूतों की बहादुरी हमारे इतिहास का हिस्सा है व इस पर कोई प्रश्न नहीं उठा सकता. भाजपा व उसके सेंसर बोर्ड को इन भावनाओं का सम्मान करना चाहिए.


http://www.prabhatkhabar.com/news/delhi/shashi-tharoor-should-study-history-congress-leader-jyotiraditya-scindia/1085552.html
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