नयी दिल्ली / गांधीनगर : गुजरात चुनाव में पाटीदार अनामत अंदोलन ( पीएएएस) कांग्रेस के साथ होगी या अकेले चुनाव लड़ेगी ?. सवाल बड़ा है, कांग्रेस और पाटीदार समाज के नेता मिलकर जवाब ढूंढ़ने में लगे है. राजनीतिक पंडितों के साथ- साथ दूसरी बड़ी पार्टियों की नजर भी इस फैसले पर होगी. दोनों पार्टियों मे बैठकों का सिलसिला जारी है. इस बड़े फैसले पर जल्द मुहर लगेगी.
पाटीदार नेता कांग्रेस के साथ बैठक में आरक्षण को लेकर अपनी मांग पर फैसला लेने को कहा है. पाटीदारों की पार्टी ने यह साफ कर दिया है कि जबतक हमें स्पष्ट तौर पर हमारे आरक्षण को लेकर मंजूरी नहीं मिलती हम किसी के साथ नहीं जायेंगे. राजनीतिक विशेषज्ञों की मानें तो कांग्रेस पार्टी भी चुनाव से पहले इस पर फैसला ले लेना चाहती है. कांग्रेस नहीं चाहती के गठबंधन के बगैर चुनाव में जाया जाए.
इस दल में पाटीदारों के नेता हार्दिक पटेल शामिल नहीं थे. पाटीदारों को कांग्रेस की तरफ से बातचीत के लिए आमंत्रित किया गया है. इस बैठक में दिनेश बमभानिया, लित वसोया, मनोज पनारा, कीर्तिभाई पटेल मौजूद रहे. पाटीदारों के आंदोलन के बाद कई नेता उभर कर सामने आये. ऐसे में अब भाजपा के लिए चुनाव में सबको मिलाकर एक साथ रखना कठिन हो रहा है. भाजपा ने अपने प्रचार में भी इसे फूट डालो शासन करो की नीति बताया है. बीते दो सालों से गुजरात में सत्तारूढ़ बीजेपी से आरक्षण के दर्जे की मांग कर रहे हैं.
कांग्रेस और पाटीदारों के बीच आरक्षण की मांग के साथ- साथ पेंच सीट के बंटवारे पर भी अटका है. पाटीदार 30 से 35 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े करने की मांग कर रही है. सूत्रों की मानें तो कई नेताओं ने कांग्रेस पर पार्टी नेताओं की अनदेखी का भी आरोप लगाया है. दिनेश बमभानिया ने कहा कि कांग्रेस ने हमें मिलने के लिए बुलाया लेकिन पूरे दिन हमें मिलने का वक्त नहीं दिया. कांग्रेस ने हमारी बेइज्जती की है