इटानगर : इस खबर पर आप यकीन करें या नहीं करें, लेकिन यह सच है आैर वह यह कि पूर्वोत्तर भारत के एक राज्य में चकमा जनजाति के लोगों को शौचालय निर्माण के लिए सरकार की आेर से 20,000 रुपये दिये जा रहे हैं आैर करीब 8,000 रुपये में बेचा जा रहा है एक बोरी सीमेंट. इस बीच, सवाल यह भी पैदा होता है कि जब चकमा जनजाति के लोगों को केवल एक बोरी सीमेंट के लिए ही 8,000 रुपये चुकता पड़ेंगे, तो वह शौचालय का निर्माण कहां से करा पायेंगे?
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खबर पूर्वोत्तर भारत के अरुणाचल प्रदेश के चांगलांग जिले की है. अरुणाचल प्रदेश के चांगलांग जिले के विजयनगर कस्बे में रह रहे लोगों को एक बोरी सीमेंट के लिए 8000 रुपये चुकाना पड़ रहा है. चौंकाने वाली बात यह भी है कि एक बोरी सीमेंट की कीमत 8000 रुपये चुकाने के बावजूद सबको उपलब्ध नहीं है. इसके लिए भी जरूरतमंदों को पापड़ बेलने पड़ रहे हैं.
खबरों के मुताबिक, अरुणाचल प्रदेश के चांगलांग जिले में 1500 की आबादी वाले सब डिविजन विजयनगर में पर्याप्त सड़क संपर्क नहीं है. मिआओ में निकटवर्ती मार्ग से कस्बे में पहुंचने के लिए लोगों को पांच दिन लगते हैं. सामानों की आपूर्ति के लिए एक साप्ताहिक हेलिकॉप्टर सेवा भी है, लेकिन यह पूरी तरह से मौसमी स्थिति पर निर्भर करता है. पीएचई विभाग कस्बे में शौचालय निर्माण करा रहा है.
पीएचर्इ विभाग की आेर शौचालय के निर्माण के लिए केंद्र सरकार से 10,800 रुपये और राज्य सरकार की ओर से 9,200 रुपये दिये जा रहे हैं. लोक स्वास्थ्य इंजीनियरिंग विभाग के कनिष्ठ अभियंता जुमली अदो ने कहा कि चकमा लोग अपनी पीठ पर सामग्री ढोकर पांच दिन में 156 किलोमीटर का रास्ता तय कर गंतव्य तक पहुंचते हैं. दिसंबर तक खुले में शौच से मुक्त (ओडीएफ) का दर्जा हासिल करने के लिए इस पहाडी राज्य में चुनौतियों का अंदाजा लगाया जा सकता है.