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राफेल सौदे पर निर्मला सीतारमण ने यूपीए पर साधा निशाना, कहा-देरी क्यों हुई उसे बयां नहीं कर सकती

चेन्नई : रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने करीब 10 साल तक राफेल लड़ाकू विमान सौदे पर निर्णय नहीं करने को लेकर पिछली संप्रग सरकार की शनिवार को आलोचना की और कहा कि देर करने से क्या हुआ, उसे वह विस्तार से बयां नहीं कर सकती क्योंकि इसमें राष्ट्र की सुरक्षा शामिल है. रक्षा मंत्री ने […]

चेन्नई : रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने करीब 10 साल तक राफेल लड़ाकू विमान सौदे पर निर्णय नहीं करने को लेकर पिछली संप्रग सरकार की शनिवार को आलोचना की और कहा कि देर करने से क्या हुआ, उसे वह विस्तार से बयां नहीं कर सकती क्योंकि इसमें राष्ट्र की सुरक्षा शामिल है. रक्षा मंत्री ने कहा कि संप्रग शासन के दौरान 2004 और 2013 के बीच कई दौर की चर्चा के बाद भी कोई फैसला नहीं लिया गया.

उन्होंने कहा, 10 साल तक सत्ता में रहने के बाद आपने (कांग्रेस पार्टी नीत संप्रग) कोई फैसला नहीं लिया. मंत्री ने कहा कि निर्णय नहीं लेने के चलते क्या हुआ, उसे वह विस्तार से बयां नहीं कर सकती, क्योंकि यह मुद्दा राष्ट्र की सुरक्षा से जुड़ा हुआ है. उन्होंने कहा, राजग के 2014 में सत्ता में आने के बाद फ्रांस से 36 राफेल विमानों की खरीद के लिए अंतर सरकारी रास्ते का विकल्प चुना गया. दरअसल, इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वायु सेना के साथ चर्चा हुई थी. उन्होंने कहा कि संप्रग सरकार खरीद पूरी नहीं कर सकी. वहीं, भाजपा नीत सरकार ने हमारी जरूरत और तात्कालिकता पर विचार करते हुए यह किया.

उन्होंने सीआइआइ के एक कार्यक्रम से इतर संवाददाताओं से कहा कि खरीद का आॅर्डर उचित तरीके से किया गया. सुरक्षा पर कैबिनेट कमेटी की सहमति ली गयी और सारी औपचाराकिताएं पूरी की गयी. दरअसल, इस बारे में उनसे एक सवाल किया गया जिसके जवाब में उन्होंने यह कहा. यह पूछे जाने पर कि कांग्रेस यह मुद्दा अब क्यों उठा रही है, रक्षा मंत्री ने कहा, यह सरकार बगैर किसी भ्रष्टाचार के काम कर रही है. उन्होंने कहा कि यह (लडाकू विमान खरीद) भ्रमित करने का एक बहाना बन गया है.

गौरतलब है कि शुक्रवार को मंत्री ने दिल्ली में संवाददाताओं से बात करते हुए सौदे पर कांग्रेस पार्टी के आरोपों को शर्मनाक बताया था. उन्होंने कहा कि हथियार प्रणाली के साथ हर लड़ाकू विमान की कीमत उससे कम है, जो संप्रग सरकार ने बात की थी. उन्होंने आरोप लगाया कि लड़ाकू विमान खरीदने के पिछली संप्रग सरकार के अनिर्णय ने संभवत: राष्ट्रीय सुरक्षा के हितों से समझौता किया. गौरतलब है कि भारत ने 36 राफेल विमानों की खरीद के लिए सितंबर 2016 में फ्रांस के साथ एक अंतर सरकारी समझौते पर हस्ताक्षर किये थे. इससे करीब डेढ़ साल पहले प्रधानमंत्री मोदी ने पेरिस की एक यात्रा के दौरान इस प्रस्ताव की घोषणा की थी.

कांग्रेस पार्टी ने हाल के समय में इस सौदे की कीमतों सहित कई चीजों पर सवाल उठाये हैं. उसने सरकार पर सांठगांठवाले पूंजीवाद को बढ़ावा देकर राष्ट्रीय हित और सुरक्षा से समझौता करने का आरोप लगाया. साथ ही, सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचाने का भी आरोप लगाया है.

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