नयी दिल्ली : अंतरराष्ट्रीय कोर्ट के जज पद के कड़े मुकाबले में आखिरकार भारत के प्रतिनिधि दलवीर भंडारी ने जीत दर्ज कर ली. वे दूसरी बार इसके लिए चुने गये. इस पद की दौड़ में उनके प्रतिद्वंद्वी ब्रिटेन के प्रतिनिधि थे. भंडारी की जीत ब्रिटेन द्वारा चुनाव से अपना प्रत्याशी वापस लिये जाने के कारणआसान हुई. दलवीर भंडारी ने इस पद के लिए जीत हासिल कर भारत का मान बढ़ाया है. दलवीर भंडारी की लंबान्यायिक कैरियर रहा है और उन्होंने कई बड़े सुधारवादी कदम उठाये. भंडारी बौद्धिक संपदा के कंप्यूटराइजेशन के पैरवीकार रहे हैं. इसी साल उनकी किताब ज्यूडीशियल रिफॉर्म्स : रिसेंट, ग्लोबल ट्रेंड्स का लोकार्पण नयी दिल्ली में राष्ट्रपति भवन में किया गया था.
एक अक्तूबर 1947 को जन्मे दलवीर भंडारी खानदारी कानूनविद हैं. उनके दादाबीसीभंडारी राजस्थानबार के मेंबर थे और उनके पिता महावीर चंद भंडारी भी राजस्थान बार के सदस्य थे. परिवार के इस माहौल ने उन्हें भी कानून का छात्र बनने के लिए आकर्षित किया. मानविकी और लॉ की शिक्षा पाने के बाद वे राजस्थान हाइकोर्ट में वकील के रूप में प्राइक्टिस करने लगे. इस दौरान वे यूनवर्सिटी ऑफ शिकागो के एक लॉ वर्कशॉप में शामिल हुए थे. उन्होंने नार्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी स्कूल आॅफ लाॅ से मास्टर डिग्री हासिल की. फिर उन्हें एक लॉ फेलोशिप के जरिये कई देशों में जाने का मौका मिला.
दलवीर भंडारी बाद के दिनों में दिल्ली आ गये और फिर सुप्रीम कोर्ट में प्राइक्टिस करने लगे. मार्च 1991 में उनका दिल्ली हाइकोर्ट के लिए चयन हो गया. वे दिल्ली हाइकोर्ट लिगल सर्विस कमेटी के प्रमुख बने. वे दिल्ली राज्य के लिए एडवाइजरी बोर्ड के चेयरमैन भी रहे. 28 अक्तूबर 2005 को उनका चयन सुप्रीम कोर्ट के लिए हो गया. इस पद पर रहते हुए उन्होंने कई बड़े फैसले दिये. उन्होंने खाद्य सुरक्षा, हिंदू विवाह एक्ट, तलाक, खाद्य सुरक्षा आदि से जुड़े मामलों की सुनवाई की. वे सुप्रीम कोर्ट लीगल सर्विस कमेटी के चेयरमैन भी चुने गये और फिर 19 जून 2012 को उन्होंने अंतरराष्ट्रीय कोर्ट के जज के रूप में शपथ ली. पिछली बार उन्होंने फिलिपिंस के उम्मीदवार को दोगुणे वोटों से हराया था. उस समय उन्हें 122 वोट इस पद के लिए मिले थे, जबकि उनके प्रतिद्वंद्वी को मात्र 58 वोट मिले थे.
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