‘महिला सुरक्षा पर समुचित ध्यान नहीं दे रहे हैं राजनीतिक दल’
नयी दिल्ली: यौन हिंसा के मुद्दे पर जागरुकता फैलाने के लिए आज यहां आयोजित प्रतिभागियों का मानना है कि महिला सुरक्षा से संबंधित मसलों पर राजनीतिक दल पूरा ध्यान नहीं दे रहे हैं. जानीमानी कॉरपोरेट हस्ती नैना लाल किदवई ने कहा, ‘‘वैश्विक स्तर पर विभिन्न आर्थिक सम्मेलनों में चर्चा की शुरुआत हमारे देश में महिलाओं […]
नयी दिल्ली: यौन हिंसा के मुद्दे पर जागरुकता फैलाने के लिए आज यहां आयोजित प्रतिभागियों का मानना है कि महिला सुरक्षा से संबंधित मसलों पर राजनीतिक दल पूरा ध्यान नहीं दे रहे हैं.
जानीमानी कॉरपोरेट हस्ती नैना लाल किदवई ने कहा, ‘‘वैश्विक स्तर पर विभिन्न आर्थिक सम्मेलनों में चर्चा की शुरुआत हमारे देश में महिलाओं की दशा से होती है, और 16 दिसंबर के सामूहिक बलात्कार कांड को मिले भारी कवरेज के कारण यह पूरी दुनिया में फैल गया. यह शर्म की बात है कि हमने अपनी महिलाओं के लिए इतना कम किया है.’’ ‘‘यौन हिंसा समाप्त करने के लिए नेतृत्व को प्रोत्साहित करना’’ विषय पर आयोजित दो दिवसीय सम्मेलन में उन्होंने यह बातें कहीं.नैना का कहना है कि दिल्ली सामूहिक बलात्कार कांड के बाद जनता में फैली जागरुकता बहुत महत्वपूर्ण विकास है और हमें इसे बेकार नहीं होने देना चाहिए.
उन्होंने कहा, ‘‘महिलाओं को कार्य क्षेत्र में उतरना होगा. यौन हिंसा पर रोक लगाने का वास्तविक अर्थ होगा निर्भरता के चक्र को खत्म करना. आर्थिक रुप से आत्मनिर्भर बनकर गरीबी के चक्र से पैदा होने वाले विभिन्न दुराचारों और प्रताडना को कम किया जा सकता है.’’ अनंत सेन्टर एण्ड इमेनसिप एक्शन की ओर से आयोजित सम्मेलन में ‘भारत में महिलाओं के प्रति पुरुषों का रवैया’, ‘शिक्षा तक उनकी पहुंच’, ‘आर्थिक क्षेत्र में अवसर’, ‘कला और मीडिया’ और ‘कानून तथा उन्हें कैसे लागू किया जाता है’ आदि विषयों पर जीवन के विभिन्न क्षेत्रों से आयी हस्तियों ने अपने विचार रखे.महिला सशक्तिकरण ‘‘अधिकार’’ है और ‘‘सुरक्षा मांगना’’ नहीं, कहते हुए उच्चतम न्यायालय की वकील करुणा नंदी ने भारतीय समाज में जडे जमाए हुए पितृसत्तात्मक आदतों पर वार किया.
करुणा ने कहा, ‘‘पितृसत्ता की आदत हमारे समाज में गहरी जडें जमाए हुए है. यदि आप हमारे देश में महिला प्रत्याशियों की संख्या और बडे राजनीतिक दलों के चुनावी घोषणापत्र में महिला मुद्दों को दी गयी जगह पर गौर करेंगे तो पता चल जाएगा कि हमें कितनी गंभीरता से लिया जाता है. हम आपकी सुरक्षा नहीं चाहते हैं, हम अपना अधिकार चाहते हैं.’’