केरल लव जेहाद : सुप्रीम कोर्ट ने बंद कमरे में बातचीत वाली याचिका पर तत्काल सुनवाई से इनकार किया
नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने केरल की उस महिला के पिता की याचिका पर तत्काल सुनवाई करने से आज इनकार कर दिया जिसने एक मुस्लिम व्यक्ति से निकाह करने से पहले इस्लाम कबूल लिया था. याचिका में कहा गया है कि महिला से बातचीत बंद कमरे में की जाये. प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा और […]
By Prabhat Khabar Digital Desk |
November 22, 2017 12:38 PM
नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने केरल की उस महिला के पिता की याचिका पर तत्काल सुनवाई करने से आज इनकार कर दिया जिसने एक मुस्लिम व्यक्ति से निकाह करने से पहले इस्लाम कबूल लिया था. याचिका में कहा गया है कि महिला से बातचीत बंद कमरे में की जाये. प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड की पीठ ने कहा कि वह 27 नवंबर को इस याचिका पर सुनवाई करेगी जब बातचीत के लिए महिला को उसके समक्ष पेश किया जायेगा.
महिला के पिता अशोकन के. एम. के वकील ने उनकी याचिका पर तत्काल सुनवाई की मांग की. उन्होंने कहा कि अगर खुली अदालत में सुनवाई करने के उसके पूर्व के आदेश में संशोधन नहीं किया गया तो यह निष्फल हो जाएगा. शीर्ष न्यायालय ने 30 अक्तूबर को निर्देश दिया था कि महिला को 27 नवंबर को खुली अदालत में बातचीत के लिए पेश किया जाये. अशोकन ने अपने आवेदन में कहा है कि चूंकि यह मामला पक्षकारों की सुरक्षा सहित सांप्रदायिक रूप में संवेदनशील मुद्दों से संबंधित है, इसलिए पूरी संजीदगी से यह महसूस किया जा रहा है कि प्रतिवादी और उसके परिवार की सुरक्षा और निजता के हित में बंद कमरे में बातचीत करना उचित होगा.
शीर्ष अदालत ने 16 अगस्त को कहा था कि इस मामले में अंतिम निर्णय करने से पहले महिला से बंद कमरे में बात की जायेगी. परंतु बाद में इस आदेश में सुधार कर दिया गया. इसमें कहा गया, हम यह जोड़ रहे हैं कि यह न्यायालय बंद कमरे के बजाय खुली अदालत में बात करेगा शीर्ष अदालत ने पहले टिप्पणी की थी कि वयस्क की स्वेच्छा से विवाह के लिए सहमति के बारे में जानकारी प्राप्त करनी होगी. इस संबंध में राष्ट्रीय जांच एजेंसी का कहना था कि सिखाया पढ़ाया गया व्यक्ति विवाह के लिए स्वेच्छा से सहमति देने में असमर्थ होता है.
राष्ट्रीय जांच एजेंदी ने मनोवैज्ञानिक अपहरण का जिक्र करते हुये कहा था कि सिखाया पढाया गया व्यक्ति स्वेच्छा से सहमति देने में असमर्थ हो सकता है. उसने भी कहा था कि केरल में एक सुनियोजित तंत्र लोगों को सिखाने-पढ़ाने और कट्टरता की गतिविधियों में संलिप्त है और इस तरह के 89 मामले सामने आ चुके हैं. जांच एजेंसी ने दावा किया है कि यह एक ऐसा मामला है जिसमें युवती को सिखाया पढ़ाया गया और इसलिए न्यायालय पितृ सत्ता का इस्तेमाल कर सकता है भले ही महिला वयस्क ही हो.
इस महिला के पिता के वकील ने पहले दावा किया था कि उसकी बेटी का कथित पति शफीन जहां एक कट्टर व्यक्ति है और उसके आईएसआईएस में भर्ती कराने वाले लोगों से संबंध हैं. इस हिंदू महिला ने इस्लाम धर्म कबूल करने के बाद शादी कर ली थी. आरोप है कि इस महिला को सीरिया में इस्लामिक स्टेट मिशन द्वारा भर्ती किया गया था और जहां तो केवल एक गुर्गा ही है.
जहां ने धर्म परिवर्तन के बाद हिंदू युवती के उसके साथ विवाह के विवादास्पद मामले की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी को सौंपने के शीर्ष अदालत का 16 अगस्त का आदेश वापस लेने का अनुरोध करते हुए 20 सितंबर को न्यायालय में एक आवेदन दायर किया था.