नयी दिल्ली : गुरुग्राम के फोर्टिस अस्पताल द्वारा डेंगू पीड़ित सात साल की बच्ची आद्या के 15 दिन के इलाज का 16 लाख रुपये बिल बनाने के बाद केंद्र सरकार जग गयी है. आद्या की जिंदगी तो डॉक्टर नहीं बचा सके, लेकिन अब सरकार पेसेंट के पीड़ितों को बीमारियों के इलाज का रेटकार्ड बनाकर बड़ी राहत देने जा रही है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय यह कदम 2010 के क्लिनिकल स्टेबलिसमेंट एक्ट के तहत उठाने जा रही है और इसे मजबूती से लागू करने जा रही है. इससे अस्पताल बिल बढ़ाने के लिए गलत जांच नहीं करा सकेंगे, अधिक बिल नहीं बना सकेंगे.
इस एक्ट को केंद्र को राज्य सरकार के सहयोग से देश भर में लागू करवाना था, लेकिन डॉक्टरों एवं अस्पतालों के तीखे विरोध के कारण सरकार इसे अबतकप्रभावी ढंग से लागू नहीं करवा सकी है. सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, अब केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने 227 ऐसी बीमारियों चिह्नित की हैं, जिनकी जांच व विभिन्न श्रेणी के इलाज के लिए एक दर सरकार निर्धारित करेगी जो निजी क्षेत्र के अस्पतालों पर लागू होगी. सरकार यह आकलन करेगी कि अलग-अलग प्रकार के रोग के लिए किस तरह के इलाज की जरूरत होगी और यह सुनिश्चित करवाने का प्रयास करेगी कि उसी क्रम में जांच हो.
हालांकि क्लिनिकल स्टेबलिसमेंट के कुछ प्रावधानों को लेकर इसको लागू करने का डॉक्टरों द्वारा विरोध किया जाता रहा है और यह कहा जाता रहा है कि इससे चिकित्सा क्षेत्र में कॉरपोरेट कल्चर बढ़ेगा, क्योंकि इसके मानक को पूरा करना सबके लिए संभव नहीं होगा. मालूम हो आद्या की मौत व अधिक बिल बनाने के मामले को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने गंभीरता से लिया था और आवश्यक कदम उठाने की बात कही थी.