नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने बंबई हाइकोर्ट के आधिकारिक रिसीवर को गुरुवारको निर्देश दिया कि वह सहारा की आंबी वैली संपत्ति की नीलामी में परिसमापक की मदद करे. प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति एके सीकरी की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने बंबई उच्च न्यायालय के आधिकारिक परिसमापक से भी कहा कि वह इस मामले में रिसीवर की मदद लें और यह सुनिश्चित करें कि आंबी वैली की संपत्तियों की नीलामी हो जाये.
पीठ ने कहा, हम चाहते हैं कि संपत्ति की नीलामी हो. उस समय तक, हम बंबई उच्च न्यायालय के रिसीवर को नीलामी का काम पूरा होने तक के लिए इसमें मदद के लिए नियुक्त करते हैं. पीठ ने आधिकारिक परिसमापक को निर्देश दिया कि वह उच्च न्यायालय या फिर कंपनी न्यायाधीश से निर्देश प्राप्त करें. इस आधिकारिक परिसमापक को नीलामी कराने की जिम्मेदारी सौंपी गयी है.
सहारा समूह ने इससे पहले 24,000 करोड़ रुपये के मूलधन में से शेष करीब नौ हजार करोड़ रुपये के भुगतान के लिए 18 महीने का समय देने का अनुरोध किया था. शीर्ष अदालत ने आंबी वैली की नीलामी प्रक्रिया में सहारा समूह द्वारा कथित रूप से अड़गा डालने पर 12 अक्तूबर को कड़ी आपत्ति की थी ओर उसे चेतावनी दी थी कि जो कोई भी इसमें बाधा डालेगा वह अवमानना की कार्यवाही का हकदार होगा और उसे जेल भेज दिया जायेगा.
शीर्ष अदालत उस समय इस बात से नाराज हो गयी जब सेबी ने दावा किया था कि सहारा समूह ने इस संपत्ति के मामले में कानून व्यवस्था का मुद्दा उठाते हुए पुणे पुलिस को एक पत्र लिखकर नीलामी प्रक्रिया में कथित रूप से बाधा डालने का प्रयास किया है. समूह के मुखिया सुब्रत राय करीब दो साल तक तिहाड़ जेल में बंद थे और उन्हें पिछले साल छह मई को अपनी मां के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए पैरोल पर रिहा किया गया था. इसके बाद से उनकी पैरोल की अवधि बढ़ायी जाती रही है.
सुब्रत राय के अलावा दो निदेशक रवि शंकर दुबे और अशोक राय चौधरी भी समूह की सहारा इंडिया रियल एस्टेट कार्पोरेशन और सहारा हाउसिंग इंवेस्टमेन्ट कार्प लि के शीर्ष अदालत के 31 अगस्त, 2012 के आदेश पर अमल करने में विफल रहने के कारण जेल भेज दिये गये थे. इन्हें निवेशकों का 24,000 करोड़ रुपये लौटाने के न्यायिक आदेश पर अमल करने में विफल रहने के कारण गिरफ्तार कर लिया गया था.