13वीं के दिन हेलमेट पहन पगड़ी की रस्म पूरी की
इंदौर के 30 वर्षीय राजेश राओरिया की दो महीने पहले एक सड़क दुर्घटना में मौत हो गयी. उस दिन जब वह बाइक से कहीं निकल रहा था, तो उसके दादा रामनारायण टिकोलिया ने उसे हेलमेट लगाने की सलाह दी थी. लेकिन, उसने सलाह नहीं मानी. हेलमेट के बिना बाइक लेकर निकला. सड़क पर बाइक फिसल […]
इंदौर के 30 वर्षीय राजेश राओरिया की दो महीने पहले एक सड़क दुर्घटना में मौत हो गयी. उस दिन जब वह बाइक से कहीं निकल रहा था, तो उसके दादा रामनारायण टिकोलिया ने उसे हेलमेट लगाने की सलाह दी थी. लेकिन, उसने सलाह नहीं मानी. हेलमेट के बिना बाइक लेकर निकला. सड़क पर बाइक फिसल गयी और सिर पर चोट लगने की वजह से मौके पर ही उसकी मौत हो गयी. घर वाले अफसोस करते रह गये कि काश उसने बात मान ली होती. इसके बाद से रामनारायण जी हेलमेट को लेकर और सख्त हो गये. रास्ते में जिसे भी बिना हेलमेट के देखते, तो उसे सबसे पहले रोककर एक हेलमेट देते. उससे यह भी कहते कि बेटा जब भी इधर आना तो इसे वापस कर देना. फिर इसी हेलमेट से वे दूसरों की मदद करते.
हाल ही में रामनारायण जी का निधन हो गया. उनकी मृत्यु के बाद उनके परिवार वालों ने जो किया, वह समाज के सामने अनूठा उदाहरण बन गया. तेरहवीं के दिन जब मुंडन के बाद पगड़ी के रस्म की बारी आयी तो लोगों को पगड़ी की जगह हेलमेट पहनाये गये. घरवालों ने कहा कि वे हमेशा लोगों को हेलमेट पहनने के लिए प्रेरित करते रहे. खुद के पैसे से हेलमेट खरीदकर लोगों को देते थे. रामनाराण के दूसरे पोते राजेश ने कहा, ‘हालांकि, वे लोगों से इसे वापस करने की गुजारिश भी करते थे. पर कभी किसी ने वापस किया, किसी ने नहीं. कुछ लोगों ने तो दादा जी की इस मुहिम में उनका साथ भी दिया. उनकी इसी इच्छा का सम्मान करते हुए इस परिवार ने पगड़ी की रस्म को हेलमेट से पूरा किया और समाज के सामने एक नया उदाहरण पेश किया.