भारत के लिए यह समय स्वर्णकाल, एकसाथ चुनाव पर चर्चा को आगे बढ़ाने का वक्त : पीएम मोदी

नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने के मुद्दे को लेकर आज फिर चर्चा छेड़ दी. विधिक दिवस के मौके पर कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि एक साथ चुनाव का अनुभव भारत पहले भी कर चुका है, वह अनुभव सुखद था लेकिन हमारी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 26, 2017 9:38 PM

नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने के मुद्दे को लेकर आज फिर चर्चा छेड़ दी. विधिक दिवस के मौके पर कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि एक साथ चुनाव का अनुभव भारत पहले भी कर चुका है, वह अनुभव सुखद था लेकिन हमारी कमियों की वजह से वह व्यवस्था टूट गयी. आज मैं इसकी चर्चा को आगे बढ़ाना चाहूंगा. प्रधानमंत्री दिल्ली में संविधान दिवस के मौके पर बोल रहे थे. उन्होंने विज्ञान भवन में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि कानून सम्राटों का सम्राट है, कानून से ऊपर कुछ भी नहीं है.भारत के लिए यह समय स्वर्णकाल है.आत्मविश्वास से भरा देश दशकों बाद दिखा है.

हम रहें न रहें लेकिन यह देश रहने वाला है. जो व्यवस्था हम देश को देकर जाएंगे वह सुरक्षित, स्वाभिमानी और स्वावलंबी भारत की व्यवस्था होनी चाहिए.देश में होने वाला हर भ्रष्टाचार कहीं न कहीं किसी गरीब का हक छीनता है.देश को गरीबी, गंदगी, बीमारी और भूख से मुक्त कराना हैदेश को ऊर्जा देने के लिए हर संवैधानिक संस्था को काम करना होगा. 2022 में हमें एकजुट होकर स्वतंत्रता सेनानियों का सपना पूरा करना है
हमारे संविधान में चुनौतियों का सामना करने की ताकत है. 2022 में हमें एकजुट होकर स्वतंत्रता सेनानियों का सपना पूरा करना है. हमारे संविधान ने देश को लोकतंत्र के रास्ते पर बनाए रखा है, उसे भटकने से बचाया है.समय के साथ हमारे संविधान ने हर परीक्षा को पार किया है.देश को ऊर्जा देने के लिए हर संवैधानिक संस्था को काम करना होगा.
न्यू इंडिया के संकल्प पर जोर देते हुए मोदी ने कहा कि भारत आज दुनिया का सबसे नौजवान देश है. इस नौजवान ऊर्जा को दिशा देने के लिए देश की हर संवैधानिक संस्था को मिलकर काम करने की आवश्यकता है. 20वीं सदी में हम एक बार ये अवसर चूक चुके हैं. अब 21वीं सदी में न्यू इंडिया बनाने के लिए, हम सभी को संकल्प लेना होगा.उन्होंने कहा, स्वतंत्रता के इतने वर्षों बाद भी आंतरिक कमजोरियां दूर नहीं हुई हैं. इसलिए कार्यपालिका, न्यायपालिका और विधायिका तीनों ही स्तर पर मंथन किए जाने की जरुरत है कि अब बदले हुए हालात में कैसे आगे बढा जाए. अपनी-अपनी कमजोरियां हम जानते हैं, अपनी-अपनी शक्तियों को भी पहचानते हैं.
उन्होंने कहा कि ये सवाल सिर्फ न्यायपालिका या सरकार में बैठे लोगों के सामने नहीं, बल्कि देश के हर उस स्तंभ, हर उस स्तम्भ, हर उस संस्था के सामने है, जिस पर आज करोडों लोगों की उम्मीदें टिकी हुई हैं. इन संस्थाओं का एक एक फैसला, एक एक कदम लोगों के जीवन को प्रभावित करता है.
मोदी ने कहा कि सवाल ये है कि क्या ये संस्थाएं देश के विकास के लिए, देश की आवश्यकताओं, देश के समक्ष चुनौतियों और देश के लोगों की आशाओं-आकांक्षाओं को समझते हुए, एक दूसरे का सहयोग कर रही हैं? एक दूसरे को समर्थन, एक दूसरे को मजबूत कर रही हैं? प्रधानमंत्री ने कहा कि पाँच साल बाद हम सब स्वतंत्रता के 75 वर्ष का पर्व मनाएंगे. हमें एकजुट होकर उस भारत का सपना पूरा करना है, जिस का सपना हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने देखा था। इसके लिए हर संस्था को अपनी ऊर्जा इस तरह से व्यवस्थित करनी होगी, उसे सिर्फ न्यू इंडिया का सपना पूरा करने में लगाना होगा. उन्होंने कहा कि 68 वर्षों में संविधान ने एक अभिभावक की तरह हमें सही रास्ते पर चलना सिखाया है. संविधान ने देश को लोकतंत्र के रास्ते पर बनाए रखा, उसे भटकने से रोका है.
इसी अभिभावक के परिवार के सदस्य के तौर पर हम उपस्थित हैं. सरकार, न्यायपालिका, नौकरशाही हम सभी इस परिवार के सदस्य ही तो हैं मोदी ने कहा कि संविधान दिवस हमारे लिए एक महत्वपूर्ण प्रश्न लेकर आया है. क्या एक परिवार के सदस्य के तौर पर हम उन मर्यादाओं का पालन कर रहे हैं, जिसकी उम्मीद हमारा अभिभावक, हमारा संविधान हमसे करता है? प्रधानमंत्री ने सवाल किया, क्या एक ही परिवार के सदस्य के तौर पर हम एक दूसरे को मजबूत करने के लिए, एक दूसरे का सहयोग करने के लिए काम कर रहे हैं?

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