सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला : पत्नी को रखने के लिए पति को मजबूर नहीं कर सकते कोर्ट

नयी दिल्ली :सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अदालतें पत्नी को रखने के लिए पति को मजबूर नहीं कर सकती हैं. देश की शीर्ष अदालत ने मद्रास हाइकोर्ट के उस जमानत आदेश को बहाल कर दिया है, जिसे पति द्वारा सुलह समझौता मानने से इनकार करने के कारण रद्द कर दिया गया था. मामला पेशे […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 27, 2017 9:15 AM

नयी दिल्ली :सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अदालतें पत्नी को रखने के लिए पति को मजबूर नहीं कर सकती हैं. देश की शीर्ष अदालत ने मद्रास हाइकोर्ट के उस जमानत आदेश को बहाल कर दिया है, जिसे पति द्वारा सुलह समझौता मानने से इनकार करने के कारण रद्द कर दिया गया था. मामला पेशे से पायलट एक व्यक्ति से जुड़ा है.

सुप्रीम कोर्ट ने पायलट को अलग रह रही पत्नी और बेटे की परवरिश के लिए 10 लाख रुपये अंतरिम गुजारा भत्ता के तौर पर जमा कराने के लिए कहा है. न्यायमूर्ति आदर्श गोयल और न्यायमूर्ति यू यू ललित ने कहा, हम एक पति को पत्नी को रखने के लिए मजबूर नहीं कर सकते. यह मानवीय रिश्ता है. आप (व्यक्ति) निचली अदालत में 10 लाख रुपये जमा करायें, जिसे पत्नी अपनी फौरी जरूरतों को पूरा करने के लिए बिना शर्त निकाल पायेगी.

जब व्यक्ति के वकील ने कहा कि राशि को कम किया जाये तो पीठ ने कहा कि शीर्ष न्यायालय परिवार अदालत नहीं है और इस पर कोई बातचीत नहीं हो सकती है.

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