नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने कथित लव जिहाद प्रकरण में केरल की महिला से बातचीत की और उसे होम्योपैथी की शिक्षा आगे जारी रखने के लिए तमिलनाडु के सलेम भेज दिया प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति एएम खानविलकर और न्यायमूर्ति धनंजय वाई चंद्रचूड़ की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने हादिया को सुरक्षा प्रदान करने और यथाशीघ्र उसका सलेम पहुंचना सुनिश्चित करने का केरल पुलिस को निर्देश दिया है.
शीर्ष अदालत ने सलेम स्थित होम्योपैथिक काॅलेज के डीन को हादिया का संरक्षक नियुक्त करने के साथ ही उन्हें किसी भी परेशानी की स्थिति में न्यायालय आने की छूट प्रदान की है. न्यायालय ने काॅलेज और विश्वविद्यालय को निर्देश दिया कि हादिया को फिर से प्रवेश दिया जाये और उसे छात्रावास की सुविधा उपलब्ध करायी जाये. हादिया पिछले कई सप्ताह से अपने पिता के घर में रह रही थी. इस मामले की दो घंटे से भी अधिक समय तक चली सुनवाई के दौरान हादिया ने कहा कि वह अपने पति शफी जहां के साथ जाना चाहती है. शीर्ष अदालत हादिया के साथ शफी की शादी को अमान्य करार देने के केरल उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ शफी की याचिका पर जनवरी के तीसरे सप्ताह में आगे विचार करेगी.
शफी जहां ने 20 सितंबर को शीर्ष अदालत में एक अर्जी दायर करके हिंदू युवती द्वारा धर्म परिवर्तन के बाद उसके साथ विवाह करने के इस विवादास्पद मामले की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी को सौंपने का आदेश वापस लेने का अनुरोध किया था. शीर्ष अदालत ने 16 अगस्त को राष्ट्रीय जांच एजेंसी को इस घटना की जांच शीर्ष अदालत के सेवानिवृत्त न्यायाधीश आरवी रवींद्रन की देखरेख में करने का निर्देश दिया था. शफी जहां ने इस हिंदू युवती से पिछले साल दिसंबर में विवाह किया था, लेकिन उच्च न्यायालय द्वारा इस विवाह को अमान्य घोषित करने के फैसले को चुनौती देते हुए उसने शीर्ष अदालत में याचिका दायर की जिसमें उसने इस निर्णय को देश में महिलाओं की स्वतंत्रता का अपमान बताया था. उच्च न्यायालय ने केरल पुलिस को इस तरह के मामलों की जांच करने का भी आदेश दिया था.
इस युवती के पिता अशोकन केएम ने आरोप लगाया था कि उसे सीरिया में इस्लामिक स्टेट मिशन द्वारा भर्ती किया गया है और जहां तो सिर्फ एक मोहरा है. उनका यह भी आरोप था कि धर्म परिवर्तन और इस्लामिक कट्टरता के लिए एक सुव्यवस्थित तंत्र काम कर रहा है.