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जनहित से जुड़े मामलों की रक्षा के लिए बड़ा हथियार है पीआईएल, जानें पूरी प्रक्रिया

।।रचना प्रियदर्शनी।। जनहित से जुड़े मामलों को हल करने में जनहित याचिका ( PIL) एक कारगर हथियार है. आरटीआई आने के बाद से यह हथियार और भी धारदार हुआ है. क्या है PIL और यह कैसे दायर किया जाता है. देश के हर नागरिक को संविधान की ओर से छह मूल अधिकार दिये गये हैं. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 29, 2017 5:58 PM

।।रचना प्रियदर्शनी।।

जनहित से जुड़े मामलों को हल करने में जनहित याचिका ( PIL) एक कारगर हथियार है. आरटीआई आने के बाद से यह हथियार और भी धारदार हुआ है.

क्या है PIL और यह कैसे दायर किया जाता है.
देश के हर नागरिक को संविधान की ओर से छह मूल अधिकार दिये गये हैं. यदि देश के आम नागरिक के मूल अधिकार का हनन हो रहा हो, तो वह हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर मूल अधिकार की रक्षा के लिए गुहार लगा सकता है. वह अनुच्छेद -226 के तहत हाई कोर्ट का और अनुच्छेद -32 के तहत सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकता है.
– समानता का अधिकार,
– स्वतंत्रता का अधिकार,
– शोषण के खिलाफ अधिकार,
– संस्कृति और शिक्षा का अधिकार,
– धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार और
– मौलिक अधिकारों को पाने का अधिकार.
PIL दो तरह के होते हैं:
व्यक्तिगत याचिका (Personal Interest Litigation) – अगर मामला निजी हित से जुड़ा है या निजी तौर पर किसी के अधिकारों का हनन हो रहा है, तो उसे जनहित याचिका नहीं माना जाता. ऐसे मामलों में दायर की गई याचिका को व्यक्तिगत याचिका (Personal Interest Litigation) कहा जाता है और इसी के तहत उनकी सुनवायी भी होती है.
जनहित याचिका- (Public Interest Litigation)अगर मामला निजी न होकर व्यापक जनहित से जुड़ा है, तो याचिका को जनहित याचिका (Public Interest Litigation) के तौर पर देखा जाता है. इसमें याचिका दायर करने वाले शख्स को अदालत को यह बताना होता है कि उक्त मामले में किस तरह आम लोगों का हित प्रभावित हो रहा है. दायर की गई याचिका जनहित है या नहीं, इसका फैसला कोर्ट ही करता है.
PIL में सरकार को प्रतिवादी बनाया जाता है. सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट सरकार को उचित निर्देश जारी करती हैं, यानी PIL के जरिये लोग जनहित के मामलों में सरकार को अदालत से निदेर्श जारी करवा सकते हैं.
– समानता का अधिकार,
– स्वतंत्रता का अधिकार,
– शोषण के खिलाफ अधिकार,
– संस्कृति और शिक्षा का अधिकार,
– धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार और
– मौलिक अधिकारों को पाने का अधिकार.
PIL हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में दायर की जा सकती हैं. इससे नीचे की अदालतों में PIL दाखिल नहीं होती. कोई भी PIL आमतौर पर पहले हाई कोर्ट में ही दाखिल किया जाता है. वहां से अर्जी खारिज होने के बाद ही सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया जाता है. कोई मामला यदि व्यापक जनहित से जुड़ा हो, तो ऐसे में अनुच्छेद -32 के तहत सीधे सुप्रीम कोर्ट में PIL दायर की जा सकती है.
कैसे दाखिल करें PIL ?
* लेटर के जरिये
अगर कोई शख्स आम आदमी से जुड़े मामले में हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट को लेटर लिखता है , तो कोर्ट देखता है कि क्या मामला वाकई आम आदमी के हित से जुड़ा है. अगर ऐसा है तो उस लेटर को ही PIL के तौर पर लिया जाता है और सुनवाई होती है. अपने लेटर में याचिकाकर्ता को यह बताना जरूरी होता है कि मामला कैसे जनहित से जुड़ा है और याचिका में जो भी मुद्दे उठाये गये हैं, उनके हक में पुख्ता सबूत क्या हैं. अगर कोई सबूत है तो उसकी कॉपी भी लेटर के साथ लगा सकते हैं.
लेटर जनहित याचिका में तब्दील होने के बाद संबंधित पक्षों को नोटिस जारी किया जाता है और याचिकाकर्ता को भी कोर्ट में पेश होने के लिए कहा जाता है. सुनवाई के दौरान अगर याचिकाकर्ता के पास वकील न हो, तो कोर्ट वकील मुहैया करा सकती है.
जिस हाई कोर्ट के अधिकार क्षेत्र से संबंधित मामला है, वहां के चीफ जस्टिस के नाम लेटर लिखा जाता है. लिखने वाला कहां रहता है , इससे कोई मतलब नहीं है. लेटर हाई कोर्ट के लिखा जा सकता है. सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस के नाम भी यह लेटर लिखा जा सकता है. लेटर हिंदी या अंग्रेजी में लिखा जा सकता हैं. यह हाथ से लिखा भी हो सकता है और टाइप किया हुआ भी. इसे डाक के माध्यम से भी भेजा जा सकता है.
* वकील की सहायता से भी कर सकते है PIL दायर
कोई भी शख्स वकील की मदद से जनहित याचिका दायर कर सकता है. वकील याचिका तैयार करने में मदद करते हैं. याचिका में प्रतिवादी कौन होगा और किस तरह उसे ड्रॉफ्ट किया जायेगा, इन बातों के लिए वकील की मदद जरूरी है.
PIL दायर करने के लिए कोई फीस नहीं लगती. इसे सीधे काउंटर पर जाकर जमा करना होता है. हां, जिस वकील से इसके लिए सलाह ली जाती है, उसकी फीस देनी होती है. PIL ऑनलाइन दायर नहीं की जा सकती.
कोर्ट का खुद संज्ञान
अगर मीडिया में जनहित से जुड़े मामले पर कोई खबर छापे, तो सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट अपने आप संज्ञान ले सकती हैं. कोर्ट उसे PIL की तरह सुनती है और आदेश पारित करती है.
दुरुपयोग पर जुर्माना
PIL का गलत इस्तेमाल पर कोर्ट भारी हर्जाना भी लगा सकती है. ऐसे में याचिका दायर करने से पहले अपनी दलील के पक्ष में पुख्ता जानकारी जुटा लेनी चाहिए.
RTI (Right to Information) या सूचना का अधिकार आने के बाद से PIL काफी प्रभावकारी साबित हुआ है. पहले लोगों को जानकारी के अभाव में अपनी दलील के पक्ष में दस्तावेज जुटाने में दिक्कतें होती थी , लेकिन अब लोग RTI के जरिये दस्तावेजों को पुख्ता कर सकते हैं और फिर तमाम दस्तावेज सबूत के तौर पर पेश कर सकते हैं.

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