यूपी में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में भाजपा की प्रचंड जीत के क्या हैं मायने?
नयी दिल्ली : उत्तरप्रदेश नगर निकाय चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को मिली बंपर जीत से खुश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पीठ थपथपाई और उन्हें बधाई दी. कल आये चुनाव परिणाम के बाद योगी आदित्यनाथ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उनके आवास पर शनिवार सुबह मुलाकात की. योगी […]
नयी दिल्ली : उत्तरप्रदेश नगर निकाय चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को मिली बंपर जीत से खुश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पीठ थपथपाई और उन्हें बधाई दी. कल आये चुनाव परिणाम के बाद योगी आदित्यनाथ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उनके आवास पर शनिवार सुबह मुलाकात की. योगी आदित्यनाथ यूपी निकाय चुनाव का परिणाम आने के बाद कल शाम एक सम्मेलन में भाग लेने दिल्ली आये थे, जहां उन्होंने उत्तरप्रदेश चुनाव का श्रेय पार्टी कार्यकर्ताओं को देने के साथ कहा था कि 2019 के लोकसभा चुनाव में हम राज्य की सभी 80 सीटें जीत लेंगे.
योगी के इस आत्मविश्वास के पीछे वजह भी है. उनके नेतृत्व में भाजपा ने राज्य के 16 नगर निगम में 14 पर कब्जा जमा लिया और कांग्रेस व सपा का सूपड़ा साफ हो गया. योगी के नेतृत्व में भाजपा ने पहले चुनाव में प्रचंड मत हासिल किया है जो उनके नेतृत्व पर मुहर है. मायावती की पार्टी बसपा दो नगर निगम पर कब्जे के साथ कुछ हद तक अपना जोर दिखा सकी, लेकिन यह संदेश भी मिल गया कि भाजपा से मुकाबला करने की सांगठनिक व रणनीतिक क्षमता अभी उनकी पार्टी के पास भी नहीं है.
2019 का लोकसभाचुनाव बहुत दूर नहीं है. यह महज सवा साल बाद होना है. वर्ष 2017 का आखिरी महीना चल रहा है और 2019 के फरवरी-मार्च में चुनाव प्रक्रिया शुरू हो जायेगी.
यह खबर भी पढ़ें :
यूपी नगर निकाय चुनाव : काशी से मथुरा तक लहराया भगवा, मोदी-शाह-योगी ने यूपी में फिर खिलाया कमल
भाजपा का सांगठनिक ताना-बाना मजबूत
2014 के लोकसभा चुनाव में यूपी के प्रभारी महासचिव के रूप में अमित शाह ने 80 में 72 सीटें जीत कर भाजपा व नरेंद्र मोदी की झोली में डाल दी थी. उस समय यह माना गया कि यह मोदी लहर का असर है, जो सच भी है. लेकिन, फिर 2017 के विधानसभा चुनाव में सवा तीन सौ सीटें जीतना और नगर निकाय चुनाव में प्रचंड जीत आसाधारण सफलता है. तीनों चुनाव में भाजपा का प्रदर्शन 75 प्रतिशत से अधिक रहा है. राजनीति में इसे डिस्टिंक्शन मार्क्स कहा जा सकता है.
लगातार तीन चुनाव में ऐसी प्रचंड जीत यह प्रमाणित करती है कि भाजपा का प्रदेश में संगठन काफी मजबूत है और वह ग्रासरूट स्तर तक है. संगठन को निचले स्तर पर पहुंचानेकेअभियानकी शुरुआत अमित शाह ने उत्तरप्रदेश में बतौर प्रभारी महासचिव की थी. सांगठनिक स्तर पर भाजपा दूसरी पार्टियों से काफी आगे है.
क्या नेतृत्व के लिए तैयार हो रहे हैं योगी?
योगी आदित्यनाथ के राजनीतिक व्यक्तित्व में एक आभामंडल है, जो किसी नेता को मास लीडर बनाने में मददगार होती है. योगी भाजपा के नये-नये मुख्यमंत्री हैं, लेकिन दूसरे राज्यों में उनकी मांग भाजपा के दूसरे मुख्यमंत्रियों से अधिक है. याद कीजिए, केरल में जब अमित शाह ने राजनीतिक हिंसा के खिलाफ पदयात्रा शुरू की थी तो पार्टी के उस महत्वपूर्ण अभियान में शाह के तुरंत बाद योगी ही शामिल हुए थे. हिमाचल प्रदेश के चुनाव में योगी आदित्यनाथ दूसरे भाजपाई मुख्यमंत्रियों से अधिक सक्रिय रहे और यही हाल गुजरात का भी है. योगी मोदी-शाह के गृहप्रदेश गुजरात में भी चुनावी जनसभाएं कर रहे हैं. योगी की वहां मांग है. योगी भाजपा कीअगली पीढ़ी के नेतृत्व के लिए हिंदुत्ववादी विचारधारा के सबसे बड़ेप्रतीक के रूप में उभरे हैं. कोई अन्य नेता उन्हें इस पैमाने पर चुनौती देता भी नहीं दिख रहा है. जब अटल बिहारी वाजपेयी भाजपा के शीर्ष नेता व देश के प्रधानमंत्री थे, तब इसी तरह एक मुख्यमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी का उदय हो रहा था. और, यह भी एक संयोग है कि भाजपा में पूर्ण नेतृत्व प्रचारकवगैरपारिवारिकजीवन जीने वाले शख्स को ही मिलता रहा है. लालकृष्ण आडवाणी को वाजपेयी के लिए और राजनाथ सिंह को मोदी के लिए प्रधानमंत्री पद तक पहुंचने का मार्ग बनाना पड़ा था. और, अक्सर इतिहास खुद को दोहराता है.